



नागपुर हिंसा पर पाकिस्तान की नजर: औरंगजेब का विरोध या कट्टरता का तमगा?
आग में घी डाल रही पाकिस्तानी मीडिया, नागपुर की सच्चाई से डरा पूरा देश!
नागपुर: औरंगजेब की विरासत पर विवाद अब पाकिस्तान तक पहुंच चुका है। नागपुर में हुए हिंसा को लेकर पाकिस्तान की मीडिया उसे “चरमपंथी हरकत” करार दे रही है। आतंकियों को पालने वाला देश अब औरंगजेब का बचाव करने पर उतर आया है।
कैसे भड़की नागपुर में हिंसा?
नागपुर में औरंगजेब की एक प्रतीकात्मक कब्र पर रखी गई चादर को लेकर विवाद शुरू हुआ। एक अफवाह उड़ी कि चादर पर धार्मिक प्रतीक था, जिससे माहौल गरमाने लगा। कुछ ही देर में शहर में बवाल मच गया, और देखते ही देखते हिंसा भड़क उठी।
मुख्यमंत्री के मुताबिक, इस हिंसा में –
- 80 से 100 लोग शामिल थे।
- 12 दोपहिया वाहन जलाए गए।
- क्रेन, जेसीबी और चार पहिया वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।
- तलवार से हमले भी किए गए।
क्या चुन-चुन कर हिंदुओं को निशाना बनाया गया?
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंदुओं की संपत्तियों को निशाना बनाया गया। मशहूर वकील अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि “आज जो लोग औरंगजेब के समर्थन में खड़े हैं, वे उन्हीं हिंदुओं के वंशज हैं, जिन्हें जबरन मुस्लिम बनाया गया था।”
नागपुर पर हमला क्यों अहम?
यह वही नागपुर है –
- जहां हिंदू जनसंख्या 75% है।
- जो दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन (RSS) का गढ़ है।
- जो शिवाजी महाराज और संभाजी की कर्मभूमि रही है।
पाकिस्तान औरंगजेब का गुणगान क्यों कर रहा है?
पाकिस्तान में स्कूली किताबों में औरंगजेब को हीरो बताया जाता है, क्योंकि उसने अपने धर्म को सर्वोपरि रखा। वही पाकिस्तान, जहां के पूर्वज कभी हिंदू थे, अब औरंगजेब की तारीफ में कसीदे पढ़ रहा है।
क्या भारत में औरंगजेब की कब्र का समर्थन हिंसा को न्योता दे रहा है?
नागपुर में जो हुआ, वह सिर्फ एक हिंसा नहीं, बल्कि एक बड़ी मानसिकता का संकेत है। सवाल उठता है –
- क्या इतिहास की सच्चाई को उजागर करना अपराध है?
- क्या भारत में औरंगजेब का विरोध करना अब असहिष्णुता माना जाएगा?
- क्यों पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों में इतनी दिलचस्पी है?
नागपुर की आग में भले ही पाकिस्तान अपनी राजनीति की रोटियां सेंक रहा हो, लेकिन भारत के लिए यह एक गंभीर चेतावनी है।