



रूस से तेल खरीदा, प्रोसेस किया और अमेरिका को ही बेच दिया! भारत बना ग्लोबल एनर्जी ट्रेड का बादशाह
सीआरईए रिपोर्ट का खुलासा: 25 हजार करोड़ का ईंधन अमेरिका ने भारत से खरीदा, जिसमें 11,600 करोड़ का तेल रूस से आया था
नई दिल्ली: भारत की कारोबारी चतुराई ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। यूरोपीय थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदा, उसे अपनी रिफाइनरियों में प्रोसेस किया और फिर वही ईंधन ऊंचे दामों पर अमेरिका को बेच दिया।
अमेरिका, जो रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करना चाहता था, आखिरकार भारतीय कंपनियों से परिष्कृत रूसी तेल खरीदने को मजबूर हो गया। सीआरईए के मुताबिक, जनवरी 2024 से जनवरी 2025 के बीच अमेरिका ने भारत और तुर्की की रिफाइनरियों से करीब 25 हजार करोड़ का ईंधन खरीदा, जिसमें से 11,600 करोड़ का ईंधन रूसी तेल को रिफाइन करके तैयार किया गया था।
भारत की प्रमुख रिफाइनिंग कंपनियों की भूमिका
भारत की दिग्गज रिफाइनिंग कंपनियों ने इस डील में अहम भूमिका निभाई:
- रिलायंस इंडस्ट्रीज़: कुल निर्यात 8,500 करोड़
- नायरा एनर्जी: कुल निर्यात 1,850 करोड़, जिसमें रूसी तेल से बना ईंधन 1,750 करोड़
- मंगलुरु रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल लिमिटेड: कुल निर्यात 420 करोड़, जिसमें रूसी तेल से बना ईंधन 210 करोड़
गुजरात के वाडिनार में स्थित रूस की रोसनेफ्ट-समर्थित नायरा एनर्जी की रिफाइनरी ने अकेले 18.4 करोड़ यूरो का ईंधन अमेरिका को निर्यात किया, जिसमें से 12.4 करोड़ यूरो का ईंधन रूसी कच्चे तेल से परिष्कृत हुआ था।
भारत का ऊर्जा व्यापार मॉडल: खरीदो, प्रोसेस करो और मुनाफा कमाओ
मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद से भारत का ऊर्जा व्यापार मॉडल स्पष्ट है – सस्ता तेल खरीदो, उसे रिफाइन करो और ऊंचे दामों पर बेचो। जब अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस से तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगाया, तो भारत ने इस मौके को बखूबी भुनाया।
रूसी तेल पर लगी पश्चिमी पाबंदियों के चलते, भारत को यह कच्चा तेल अन्य अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क की तुलना में काफी सस्ती दरों पर मिला। इसके बाद भारतीय रिफाइनरियों ने इसे प्रोसेस कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे दामों पर बेचा।
भारत बना एनर्जी ट्रेड का नया बादशाह!
भारत ने इस पूरे घटनाक्रम में न सिर्फ मुनाफा कमाया बल्कि ऊर्जा व्यापार के खेल में एक बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरा। अब भारत न सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी कर रहा है, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका को भी अपनी शर्तों पर तेल बेचने में कामयाब हो रहा है।