



भारत की चीन नीति के लिए क्यों अहम है BIMSTEC?
पीएम मोदी की थाईलैंड यात्रा और बैंकॉक शिखर सम्मेलन के मायने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3-4 अप्रैल को थाईलैंड में आयोजित बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। इस सम्मेलन में बैंकॉक विजन 2030 को अपनाने और समुद्री सहयोग को मजबूत करने के लिए एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर की संभावना है। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब थाईलैंड आंतरिक संकटों से जूझ रहा है, लेकिन कार्यक्रम तय समय पर ही होगा।
BIMSTEC क्यों है भारत के लिए अहम?
बिम्सटेक भारत, थाईलैंड, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल और भूटान का क्षेत्रीय समूह है। यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण संगठन है। इस वर्ष के शिखर सम्मेलन की थीम “सक्रिय, लचीला और खुला बिम्सटेक” (Pro-BIMSTEC) रखी गई है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देना है।
भारत के लिए बिम्सटेक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संतुलन बनाने में मदद करता है। यह संगठन भारत को दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों से मजबूत व्यापारिक और सामरिक संबंध बनाने का अवसर देता है।
बैंकॉक विजन 2030 और पीएम मोदी की रणनीति
इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, व्यापारिक सहयोग और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। भारत इस मंच का उपयोग चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने और हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कर सकता है।
पीएम मोदी की यह यात्रा न केवल भारत-थाईलैंड संबंधों को नई दिशा देगी, बल्कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी को भी मजबूती देगी। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि बैंकॉक शिखर सम्मेलन भारत की कूटनीति को किस ओर मोड़ता है!