



“जब भी आए विदेशी मेहमान, कश्मीर लहूलुहान – पहलगाम हमला और भारत में अमेरिका की कूटनीति”
जेडी वेंस के भारत दौरे के बीच कश्मीर के पहलगाम में बड़ा आतंकी हमला, 26 नागरिकों की मौत – इतिहास दोहराता नज़र आ रहा है, जब-जब अमेरिका आया पास, तब-तब घाटी बनी ख़ून से सनी किताब
भारत एक बार फिर आतंकी हमले की आग में झुलस गया, और इस बार निशाना बना कश्मीर का मशहूर पर्यटन स्थल पहलगाम। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर हैं, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश यात्रा पर। इसी बीच, घाटी में 26/11 के बाद का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ जिसमें 26 से अधिक निर्दोष नागरिकों की जान चली गई।
पिछले कुछ वर्षों में घाटी में पर्यटन ने रफ्तार पकड़ी थी। इससे स्थानीय व्यवसाय और रोजगार फले-फूले। लेकिन अब यह हमला उस उम्मीद पर गहरा आघात है। इस हमले को विदेशी नेताओं की मौजूदगी के साथ जोड़कर देखा जा रहा है, ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां मिलें।
जेडी वेंस ने “एक्स” पर इस हमले पर दुख व्यक्त किया और कहा कि वे और उनकी पत्नी उषा भारत की सुंदरता से प्रभावित हैं, लेकिन इस हमले ने उन्हें झकझोर कर रख दिया है।
ऐसे हमले भारत के अतीत की याद दिलाते हैं। 2000 में बिल क्लिंटन के दौरे से ठीक पहले चिट्टीसिंहपोरा में 36 सिखों की हत्या, 2002 में क्रिस्टीना बी रोका की यात्रा के दौरान कालूचक हमला – यह साफ दर्शाता है कि आतंकवाद भारत की कूटनीतिक उपलब्धियों को निशाना बनाता है।
व्हाइट हाउस ने पुष्टि की है कि राष्ट्रपति ट्रंप जल्द प्रधानमंत्री मोदी से इस हमले को लेकर बात करेंगे। अमेरिका-भारत रिश्तों की गर्माहट को बार-बार आतंकवाद के साए में लाया जाता है – और इसका खामियाज़ा भुगतते हैं आम नागरिक।