
रजिस्टर्ड पोस्ट का अंत : भरोसे की वह मुहर अब नहीं रहेगी
विजय गर्ग
डाकिए की साइकिल की घंटी, थैले से झाँकते पत्रों की उत्सुक प्रतीक्षा, और रजिस्टर्ड डाक की पावती पर हस्ताक्षर का रोमांच – ये पल भारतीयों के दिलों में एक युग की तरह अमर हैं। लेकिन अब यह युग समाप्त होने जा रहा है। भारतीय डाक विभाग ने 1 सितंबर, 2025 से अपनी 50 साल पुरानी रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा को बंद करने क ऐलान किया है, जिसे अब स्पीड पोस्ट में समाहित कर दिया जाएगा। यह निर्णय केवल एक सेव का अंत नहीं, बल्कि लाखों लोगों की भावनाओं, यादों, और विश्वास से जुड़े एक इतिहास क समापन है। रजिस्टर्ड पोस्ट, जो कभी नौकरी के नियुक्ति पत्र, कानूनी नोटिस, या प्रियजनो के बधाई संदेशों का वाहक थी, अब केवल स्मृतियों में सिमट जाएगी। यह सेवा न केवल दस्तावेजों को जोड़ती थी, बल्कि यह भारत के ग्रामीण और शहरी जीवन की धड़कन थी, जो अब हमेशा के लिए थम जाएगी।
रजिस्टर्ड पोस्ट का इतिहास ब्रिटिश काल से शुरू होता है, जब इसे औपनिवेशिक शासन ने महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सुरक्षित डिलीवरी के लिए शुरू किया था। यह सेवा अपन विश्वसनीयता और कानूनी मान्यता के लिए जानी जाती थी । अदालतों में इसके जरिए भेजे गए दस्तावेज साक्ष्य के रूप में स्वीकार किए जाते थे, और सरकारी विभागों, बैंकों, और शैक्षणिक संस्थानों ने इसका भरपूर उपयोग किया। 2024-25 की भारतीय डाक विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में लगभग 9.8 करोड़ रजिस्टर्ड डाक आइटम भेजे गए, जो इस सेवा की व्यापक लोकप्रियता को दर्शाता है। पावती सहित डाक (ऐकनॉलेजमेंट ड्यू) की सुविधा ने इसे और भी भरोसेमंद बनाया, क्योंकि प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर डिलीवरी की पुष्टि करते थे। यह सेवा उन दिनों की याद दिलाती है, जब डाकिया किसी संदेशवाहक से कम नहीं था, जो खुशी, उम्मीद, और कभी- कभी उदासी के पत्र लेकर घर-घर पहुंचता था ।
डिजिटल युग के आगमन और निजी कूरियर सेवाओं के बढ़ते दबदबे ने डाक विभाग को अपने परिचालन को पुनर्गठित करने के लिए प्रेरित किया है। सरकार का तर्क है कि रजिस्टर्ड पोस्ट को स्पीड पोस्ट में मिलाने से परिचालन अधिक कुशल होगा, ट्रैकिंग प्रणाली बेहतर होगी, और ग्राहकों को तेज सेवा मिलेगी। स्पीड पोस्ट, जो 1986 में शुरू हुई थी, अपनी त्वरित डिलीवरी और उन्नत
ट्रैकिंग के लिए पहले ही प्रसिद्ध है। भारतीय डाक विभाग के 2025 के आंकड़ों के अनुसार, स्पीड पोस्ट की ट्रैकिंग प्रणाली 99.97त्न सटीक है, और यह सेवा 230 से अधिक देशों में अंतरराष्ट्रीय डिलीवरी प्रदान करती है। इसके विपरीत, रजिस्टर्ड पोस्ट की ट्रैकिंग सुविधा अपेक्षाकृत सीमित थी और यह मुख्य रूप से घरेलू डिलीवरी तक ही प्रभावी थी। डाक विभाग का दावा है कि इस एकीकरण से वार्षिक परिचालन लागत में 12न की कमी आएगी, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा।
निश्चित रूप से, इस बदलाव का आर्थिक असर आम आदमी पर पड़ना अवश्यंभावी है। रजिस्टर्ड पोस्ट, अपनी किफायती दरों के लिए लोकप्रिय, अब चुनौती बन सकती है। इसकी शुरुआती फीस 25.96 रुपये है, जिसमें प्रति 20 ग्राम या उसके हिस्से पर 5 रुपये अतिरिक्त लगते हैं। दूसरी ओर, स्पीड पोस्ट की शुरुआत 50 ग्राम तक के लिए 41 रुपये से होती है, जो दूरी और वजन के साथ बढ़ती जाती है – यह रजिस्टर्ड पोस्ट से 20-25 महंगी है। ग्रामीण भारत, जहां 1.56 लाख डाकघरों में से 89न (भारतीय डाक विभाग, 2025 वार्षिक रिपोर्ट) संचार का प्रमुख साधन हैं, वहां यह बदलाव छोटे व्यापारियों, किसानों और
आम नागरिकों के लिए भारी पड़ सकता है। रजिस्टर्ड पोस्ट की सस्ती दरें लाखों लोगों के लिए वरदान थीं, लेकिन अब स्पीडपोस्ट की बढ़ी लागत ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नया बोझ डाल सकती है ।
इस निर्णय का भावनात्मक पहलू भी गहरा है। आज की पीढ़ी, जो ऐप आधारित कूरियर सेवाओं और डिजिटल संचार की आदी है, शायद इस बदलाव को सामान्य माने। लेकिन पुरानी पीढ़ी के लिए रजिस्टर्ड पोस्ट केवल एक सेवा नहीं थी, बल्कि उनके जीवन की कहानियों का हिस्सा थी। डाकिए की वह साइकिल, जिसकी घंटी सुनकर बच्चे और बड़े उत्साह से दरवाजे की ओर दौड़ते थे, वह लाल डाक पेटी, जो प्रेम पत्रों से लेकर सरकारी सूचनाओं तक का गवाह थी, और वह पावती, जो विश्वास की मुहर थी — ये सभी अब केवल स्मृतियों में रह जाएंगे । रजिस्टर्ड पोस्ट ने न केवल दस्तावेज पहुंचाए, बल्कि यह उन पलों को भी जीवंत किया, जब लोग अपने प्रियजनों के पत्रों का इंतजार करते थे। यह सेवा उस समय की याद दिलाती है, जब संचार का मतलब केवल सूचना का आदान- प्रदान नहीं, बल्कि भावनाओं का एक सेतु था।
यह बदलाव भारतीय डाक विभाग की आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन यह एक ऐसी विरासत का अंत भी है, जो ब्रिटिश काल से लेकर स्वतंत्र भारत तक लोगों के जीवन का हिस्सा रही। रजिस्टर्ड पोस्ट का नाम अब डाक विभाग के रिकॉर्ड और लोगों की स्मृतियों में ही बचेगा। इस बदलाव के दीर्घकालिक प्रभाव अभी देखने बाकी हैं। क्या स्पीड पोस्ट रजिस्टर्ड पोस्ट की विश्वसनीयता और किफायती दरों को पूरी तरह प्रतिस्थापित कर पाएगी ? क्या ग्रामीण भारत, जहां डिजिटल पहुंच अभी भी सीमित है, इस बदलाव को सहजता से स्वीकार कर पाएगा?
ये सवाल समय के साथ जवाब पाएंगे। लेकिन एक बात निश्चित है- रजिस्टर्ड पोस्ट का अंत केवल एक डाक सेवा का बंद होना नहीं है, बल्कि यह उस विश्वास, उन यादों, और उस युग का समापन है, जो भारतीय डाक विभाग की आत्मा में बसा था। यह बदलाव हमें यह भी सिखाता है कि प्रगति की राह में हमें अपनी कीमती परंपराओं को अलविदा कहना पड़ता है, भले ही वह कितना ही कष्टकारी क्यों न हो
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