गणित के दीवाने थे हॉकिंग, 21 की उम्र में लाइलाज बीमारी ने बदल दी जिंदगी
स्टीफन हॉकिंग, एक ऐसा नाम जिसने अपनी विलक्षण प्रतिभा और अदम्य इच्छाशक्ति से विज्ञान की दुनिया में इतिहास रच दिया। 8 जनवरी 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में जन्मे हॉकिंग बचपन से ही मेधावी थे। गणित में गहरी रुचि रखने वाले हॉकिंग ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में गणित उपलब्ध न होने के कारण भौतिकी विषय का चयन किया और प्रथम श्रेणी से स्नातक किया।
साल 1963 में, मात्र 21 वर्ष की उम्र में, उन्हें एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) नामक लाइलाज बीमारी का पता चला। डॉक्टरों ने उनकी उम्र मात्र दो साल बताई, लेकिन हॉकिंग ने इस भविष्यवाणी को गलत साबित करते हुए अपनी बीमारी को कभी अपनी राह में रुकावट नहीं बनने दिया। उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से “प्रॉपर्टीज ऑफ एक्सपांडिंग यूनिवर्स” पर पीएचडी पूरी की।
ब्लैक होल और सिंगुलैरिटी पर किए क्रांतिकारी शोध
हॉकिंग ने ब्लैक होल और सिंगुलैरिटी पर ऐसे शोध किए जो असंभव माने जाते थे। उनका “हॉकिंग रेडिएशन” सिद्धांत और टॉप-डाउन कॉस्मोलॉजी थ्योरी ब्रह्मांड विज्ञान में मील के पत्थर साबित हुए। उनकी पुस्तक “ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम” ने उन्हें वैश्विक प्रसिद्धि दिलाई।
सम्मान और उपलब्धियां
हॉकिंग को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें एडिंगटन मेडल, अल्बर्ट आइंस्टीन मेडल, और प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम शामिल हैं।
14 मार्च 2018 को हुआ निधन
हॉकिंग ने 76 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा। उनकी अदम्य जिजीविषा और विज्ञान में योगदान उन्हें सदैव अमर बनाए रखेगा।