
स्क्रॉलिंग बनाम कौशल: डिजिटल युग की चुनौती- डॉ विजय गर्ग
डिजिटल क्रांति ने हमारे जीवन को बदल दिया है। एक तरफ, इसने हमें असीमित जानकारी और कनेक्टिविटी प्रदान की है, लेकिन दूसरी तरफ, इसने हमें एक नई लत की ओर धकेल दिया है: अनंत स्क्रॉलिंग यह एक ऐसी आदत है जो उत्पादक कौशल विकसित करने में लगने वाले हमारे कीमती समय और ध्यान को चुपचाप खा रही है।
स्क्रॉलिंग का प्रभाव
स्क्रॉलिंग से तात्पर्य सोशल मीडिया फ़ीड, रील्स, शॉर्ट्स या किसी भी ऐसी डिजिटल सामग्री को लगातार ऊपर-नीचे करते रहने से है जो कभी खत्म नहीं होती।
डोपामाइन लूप: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस तरह से डिज़ाइन किए गए हैं कि वे हर नए पोस्ट के साथ हमारे मस्तिष्क में डोपामाइन (खुशी से जुड़ा रसायन) का एक छोटा-सा रिसाव करते हैं। यह निरंतर रिवॉर्ड चक्र हमें लगातार और स्क्रॉल करने के लिए मजबूर करता है, जिससे एक लत बन जाती है।
घटती एकाग्रता: रील्स और शॉर्ट-फॉर्म वीडियो (छोटी अवधि के वीडियो) के कारण हमारा ध्यान अवधि कम हो रहा है। हमारा मस्तिष्क लगातार नई और उत्तेजक जानकारी की अपेक्षा करने लगता है, जिससे लंबी, जटिल या धीमी गति वाली गतिविधियों, जैसे कि पढ़ाई या किसी कौशल को सीखने पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है।
समय की बर्बादी: जो समय किसी नई भाषा सीखने, कोडिंग का अभ्यास करने, कोई रचनात्मक प्रोजेक्ट पूरा करने या शारीरिक व्यायाम करने में लग सकता था, वह अक्सर बिना किसी उत्पादक परिणाम के स्क्रॉलिंग में बीत जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर: लगातार दूसरों की “परफेक्ट” लाइफस्टाइल देखने से तुलना की भावना, कम आत्म-सम्मान, और चिंता (Anxiety) बढ़ सकती है, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
कौशल का महत्व
कौशल वे क्षमताएं हैं जो हमें वास्तविक दुनिया में काम करने, समस्याओं को हल करने और उत्पादक बनने में सक्षम बनाती हैं। कौशल हमें डिजिटल दुनिया की अस्थायी खुशी से हटकर, जीवन में स्थायी मूल्य प्रदान करते हैं।
वास्तविक दुनिया का मूल्य: प्रोग्रामिंग, ग्राफिक डिजाइन, लेखन, सार्वजनिक भाषण, वित्तीय साक्षरता या रचनात्मक कला जैसे कौशल हमारी नौकरी की संभावनाओं को बढ़ाते हैं और हमें अपने करियर में आगे बढ़ने में मदद करते हैं।
समस्या समाधान: कौशल हमें जटिल समस्याओं का सामना करने और उनका समाधान खोजने के लिए गहन सोच
विकसित करने में मदद करते हैं। यह क्षमता स्क्रॉलिंग से ध्यान भंग हुए मन में विकसित नहीं हो सकती।
आत्म-संतुष्टि: किसी कौशल को सीखने या उसमें महारत हासिल करने से जो आत्म-संतुष्टि मिलती है, वह स्क्रॉलिंग से मिलने वाली क्षणिक खुशी से कहीं अधिक गहरी और टिकाऊ होती है।
स्क्रॉलिंग से कौशल की ओर कैसे बढ़ें?
स्क्रॉलिंग की लत को छोड़ना और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना एक सचेत प्रयास है।
स्व-जागरूकता: सबसे पहले यह पहचानें कि आप अपना कितना समय स्क्रॉलिंग में बिता रहे हैं। फोन के स्क्रीन टाइम फीचर का उपयोग करें।
घर्षण पैदा करें: अपने सबसे अधिक लत वाले ऐप्स को डिलीट कर दें या उन्हें ऐसे फ़ोल्डरों में छिपा दें जहाँ उन्हें ढूंढना मुश्किल हो।
निर्धारित समय: सोशल मीडिया के लिए दिन में केवल एक निश्चित समय (उदाहरण के लिए, 15 मिनट) निर्धारित करें, और नोटिफिकेशन को बंद कर दें।
प्रतिस्थापन: स्क्रॉलिंग की आदत को एक सकारात्मक गतिविधि से बदलें। जब भी आप फोन उठाने का मन करें, तो 5 मिनट के लिए कोई किताब पढ़ें, कोई नया कौशल सीखें, या किसी दोस्त को फोन करें।
गहन कार्य ): अपने कौशल विकास के लिए हर दिन एक अखंडित समय (
निर्धारित करें। इस दौरान फोन को एयरप्लेन मोड पर रखें।
निष्कर्ष
स्क्रॉलिंग और कौशल के बीच का द्वंद्व वास्तव में क्षणिक संतुष्टि और दीर्घकालिक मूल्य के बीच का चुनाव है। स्क्रॉलिंग हमें व्यस्त महसूस कराती है, लेकिन कौशल हमें सक्षम बनाते हैं। इस डिजिटल युग में सफल होने के लिए, हमें सचेत रूप से वह समय और ऊर्जा पुनः प्राप्त करनी होगी जो स्क्रॉलिंग में बर्बाद हो रही है, और इसे उन कौशलों के विकास में लगाना होगा जो हमारे जीवन को सार्थक और सफल बनाएंगे।
डॉ विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब
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