



Pahalgam terror attack -अफगानिस्तान में जंग का अनुभव रखने वाले खूंखार आतंकी थे शामिल
लश्कर-ए-तैयबा के वे आतंकी, जिन्होंने अफगानिस्तान में लड़ाई लड़ी है, उन्हें खास तौर पर कश्मीर में घुसपैठ कराया गया है।
सूत्रों का कहना है कि कश्मीर घाटी में बेहतर हो रहे माहौल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे विकास कार्यों की चर्चा से पाकिस्तान बौखला गया है।
नई दिल्ली (BNE ):जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद से पूरे भारत में पाकिस्तान के खिलाफ भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। अब धीरे धीरे इस आतंकी हमले से जुडी साजिशों की परतें खुलनी शुरू हो गयी है। इस आतंकी हमले को लेकर एक बड़ा चौकाने वाला खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताविक पहलगांव घाटी में जिन आतंकियों ने भारत के 28 पर्यटकों को मौत के घाट उतारा है। वह बेहद खूंखार है और इन्हे अफगानिस्तान की जंग का अच्छा खासा अनुभव है। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में जंग का अनुभव रखने वाले अपने खूंखार आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में भेजा है। खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को ऐसे इनपुट मिले हैं कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के वे आतंकी, जिन्होंने अफगानिस्तान में लड़ाई लड़ी है, उन्हें खास तौर पर कश्मीर में घुसपैठ कराया गया है।
सूत्रों का कहना है कि कश्मीर घाटी में बेहतर हो रहे माहौल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे विकास कार्यों की चर्चा से पाकिस्तान बौखला गया है। इसी हताशा में उसने कश्मीर के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने के मकसद से इन आत्मघाती और बेहद खतरनाक आतंकियों को भेजा है। बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान में लड़ने का अनुभव रखने के कारण ये आतंकवादी सामान्य आतंकियों से कहीं ज़्यादा खूंखार हैं। सुरक्षाबलों द्वारा घेरे जाने की स्थिति में भी ये आसानी से हथियार नहीं डालते, बल्कि डटकर मुकाबला करते हैं और अपने बाकी साथियों को भागने में मदद करते हैं।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहलगाम के पास बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने पर्यटकों को निशाना बनाते हुए भीषण हमला किया था। इस नृशंस हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। हमलावरों ने कथित तौर पर पर्यटकों से उनकी पहचान पूछी और विशेष रूप से हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया। 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले के बाद कश्मीर घाटी में नागरिकों पर यह सबसे घातक आतंकी हमला था। हमलावर अत्याधुनिक एके-47 और एम4 कार्बाइन जैसे हथियारों से लैस थे और हमले के दौरान बॉडीकैम पहने हुए थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली थी।