
कन्नौज: आखिर ब्राह्मण विरोध की ताकत दे कौन रहा??
बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज। कन्नौज जिले में निर्दलीय चुनाव लड़कर भाजपा प्रत्याशी को हराकर भी भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हथियाने वाली प्रिया शाक्य व उनके पति की ब्राह्मण विरोधी व अन्य जातियों के खिलाफ ओछी भाषा को लेकर ब्राह्मण समाज आग बबूला है। प्रिया शाक्य को जबरन चुनाव में जितवाया गया और ऐसा उस भाजपा प्रत्याशी के साथ हुआ जिसके भाई का नाम का प्रयोग कर भाजपा ने ब्राह्मणों पर जिले में समाजवादी पार्टी से लीड ली हुई है। ब्राह्मण समाज के अपमान से विप्र जनों में काफी उबाल है।
लेकिन सवाल है शाक्य दंपति को ये ताकत दे कौन रहा है? इस सवाल की पड़ताल के लिए हाल ही में यूपीटी स्थित नवनिर्मित स्मारक पर आयोजित हुए होली मिलन समारोह में ब्राह्मण समाज को अराजक तत्व बताने वाले कथित भिक्षु भंते की समर्थक व जिला पंचायत अध्यक्ष प्रिया शाक्य दिग्गज ब्राह्मण नेताओं के साथ कार्यक्रम में ठहाके लगाते दिखाई दीं। कार्यक्रम में शामिल ब्राह्मण नेताओं ने नाम न बताने की शर्त पर जानकारी दी कि प्रिया शाक्य के चुनाव में पूर्व सांसद सुब्रत पाठक ने पूरी बागडोर संभाल रखी थी और उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए वोटों की खरीददारी की। लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी राजनीतिक साख बचाने की जद्दोजहद में कुर्सी के लिए इधर उधर मंडरा रहे सुब्रत पाठक अब अपनी पत्नी को छिबरामऊ विधानसभा से चुनाव लड़वाने के लिए हाथ पैर मार रहे हैं। हालांकि उनकी यह राह आसान नहीं है क्योंकि अर्चना पांडे भी कहीं से कम नहीं है छिबरामऊ में उनका अच्छा बोलबाला है।
भाजपा के दिग्गज नेताओं के अनुसार जिला पंचायत के चुनाव में वीर सिंह भदौरिया को भी जान बूझकर चुनाव हरवाया गया ताकि उन्हें उन्हें आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जा सके। क्योंकि यह तय था कि अगर वीर सिंह भदौरिया चुनाव जीत जाते तो वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष होंते हालांकि चक्रव्यूह में फंसकर वह भी अभिमन्यु बनकर रह गए। मगर संगठन ने आखिरकार उन्हें उनके जुझारूपन और संघर्ष को ध्यान में रख जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी।
हालिया बयानबाजी में जिला पंचायत अध्यक्ष प्रिया शाक्य सबसे तेज रहीं उन्होंने पूर्व के अपने पति के दिए बयानों से ही किनारा कर लिया। हालांकि सूत्रों की माने तो ब्राह्मण समाज के आक्रोश को ध्यान में रखकर ओमकार शाक्य कन्नौज मुख्यालय आने से कतरा रहे हैं। उन्हें भी ब्राह्मण समाज के गुस्से का अंदाजा हैं। 2027 के लिए ब्राह्मणों को भाजपा के खिलाफ भड़काने की साजिश
संगठन भले ही न माने लेकिन भाजपा की अंदरूनी कलह भी समय समय पर उजागर होती रहती है। क्या सदर विधायक व राज्यमंत्री असीम अरुण व पूर्व सांसद सुब्रत पाठक के बीच सब कुछ ठीक है? ऐसे में लोगों में चर्चा है कि जान बूझकर शाक्य दंपति से ऐसे बयान दिलवाए गए जिनसे ब्राह्मण समाज को भड़काकर अपनी रोटी सेकी जा सके। छिबरामऊ के ब्राह्मण नेता भी इससे अनजान नहीं है वह भी जानते हैं कि अर्चना पाण्डेय को सॉफ्ट कॉर्नर बनाकर कुर्सी को हथियाने की प्लानिंग हो रही है वो भी उनकी नाक के ऐन नीचे। इसका जवाब अर्चना यह कहकर देती है। मैं तो मज़ा ले रही हूं आप भी लीजिये। अर्चना की ये बेफिक्री भले ही ऊपर से दिखती हो लेकिन यह अंदाजा बखूबी देती है कि सब कुछ ठीक नही है।
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