भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट की सुविधा बंद की-बांग्लादेशी एक्सपोर्टर्स मुसीबत में – नेपाल भूटान बैन से से बाहर
बांग्लादेश को बड़बोलापन भारी पड़ा ?-भारत की आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक का असर सैन्य कार्रवाई से ज्यादा मारक
भारत के ट्रांसशिपमेंट के आदेश से बांग्लादेश का एक्सपोर्ट खर्च तीन गुना बढ़ सकता है – प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता पर घातक असर होगा – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर आधुनिक युग में आपसी रिश्तों. नातों, संबंधों की प्रगाड़यता का बहुत बड़ा असर न केवल निजी जिंदगी पर पड़ता है बल्कि सार्वजनिक राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तरपर भी पड़ता है। ठीक उसी तरह अपनी वाणी की शालीनता से भी निजी राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तरपर बहुत फर्क पड़ता है, जो हम अपनी निजी जिंदगी में तो देखते ही हैं,परंतु हम इसका असर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तरपर भी आए दोनों देखते ही रहते हैं। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन दोनों बातों का सटीक उदाहरण हमें 8 अप्रैल 2025 को देखने को मिला, जब भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बांग्लादेश पर 8 अप्रैल 2025 से ट्रांसशिपमेंट की सुविधा पर रोक लगा दी गई है, परंतु दो देशों नेपाल भूटान को इससे छूट दी गई है। बता दें यह ट्रांसशिपमेंट की सुविधा 2020 से दी गई थी परंतु बता दें 26-29 मार्च को चीन की अपनी चार दिवसीय यात्रा के दौरान बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रमुख नें टिप्पणी की थी, उनके बयान को विवादास्पद माना गया।हालांकि,भारतीय अधिकारियों ने ये पुष्टि नहीं की है कि ट्रांसशिपमेंट फैसिलिटी हटाने का कारण उनके बयान ही हैं या नहीं एक प्रिंट मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, प्रवक्ता के बयान कुछ इस प्रकार से हैं,बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट फैसिलिटी की वजह से हमारे हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर बहुत ज्यादा भीड़ हो गई थी, इससे हमारे काम में देरी हो रही थी और लागत भी बढ़ रही थी, जिससे भारत के अपने एक्सपोर्ट पर असर पड़ रहा था, इसलिए 8 अप्रैल,2025 से ये सुविधा बंद कर दी गई है,लेकिन ये साफ कर देना जरूरी है कि ये फैसला नेपाल और भूटान को भेजे जा रहे बांग्लादेशी सामान पर लागू नहीं होता, वो पहले की तरह भारत के रास्ते जा सकेंगे। बता दें, भारतीय निर्यातकों, खासकर कपड़ा उद्योग से जुड़े निर्यातकों ने पहले भी सरकार से पड़ोसी देश को दी जाने वाली इस सुविधा को वापस लेने का आग्रह किया था। जून 2020 में, भारत ने भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों के माध्यम से बांग्लादेश से माल के परिवहन की अनुमति दी थी, अब फर्क यह होगा कि भारत में ट्रांसफर शिपमेंट बैंक के आदेश से बांग्लादेश का एक्सपोर्ट खर्च तीन गुना बढ़ सकता है व प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता पर घास घातक असर पड़ेगा इसलिए आज मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, बांग्लादेश को बड़बोलापन भारी पड़ा, भारत की आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक का असर सैन्य कार्रवाई से भी अधिक मारक होगा।
साथियों बात अगर हम भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट की सुविधा बंद करने की करें तो, इस सुविधा से वह भारतीय जमीन का इस्तेमाल करके कई देशों में सामान एक्सपोर्ट करता था, विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारतीय हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर ट्रांसशिपमेंट की वजह से काफी भीड़भाड़ रहती थी, जिसके चलते हमारे अपने एक्सपोर्ट में देरी हो रही थी और बैकलॉग हो रहा था।विदेश मंत्रालय ने कहा कि काफी समय से एपेरेल एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल बांग्लादेश की ट्रांसशिपमेंट सुविधा बंद करने की मांग कर रहा था, जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है। हालांकि, पिछली व्यवस्था के तहत जो बांग्लादेशी एक्सपोर्ट कार्गो भारत में प्रवेश कर चुके हैं, उन्हें शिपमेंट की अनुमति है। साल 2020 में भारत सरकार ने बांग्लादेश को ट्रांसशिपमेंट की सुविधा दी थी, जिसके तहत उसके एक्सपोर्ट गुड्स को भारतीय जमीन के जरिए नेपाल, भूटान, म्यांमार और दूसरे देशों को भेजा जाता था। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (सीबीआईस) ने 8 अप्रैल को नोटिफकेशन जारी करके इस सुविधा को तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया था, जिसके बाद चर्चा थी कि अब बांग्लादेश इन मुल्कों को सामान एक्सपोर्ट नहीं कर पाएगा। हालांकि, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने साफ किया है कि ढाका भारत के जरिए नेपाल और भूटान में एक्सपोर्ट कर सकता है। भारत सरकार के इस फैसले को मोहम्मद यूनुस के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों का हवाला देते हुए चीन से आर्थिक विस्तार की अपील की थी। पिछले महीने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस चीन के दौरे पर थे, यहां 28 मार्च को उन्होंने चीन से समंदर के जरिए व्यापार बढ़ाने और बांग्लादेश में आकर उत्पादन करने की अपील की थी, ताकि उनके देश को आर्थिक लाभ मिले, उन्होंने कहा था कि भारत के सात पूर्वोत्तर राज्य लैंडलोक्ड हैं यानें जमीन से घिरे हैं, इसलिए समंदर तक उनकी पहुंच नहीं है। उन्होंने कहा कि इस पूरे क्षेत्र में बांग्लादेश अकेला समंदर का संरक्षक है इसलिए यह चीनी अर्थव्यवस्था के लिए एक विस्तार हो सकता है। उन्होंने चीन से ये भी कहा कि वह बांग्लादेश में उत्पादन करे और चीजें बाजार तक ले जाए, फैक्ट्रियां स्थापित करे।उन्होंने लालमोनिरहाट में एयरबेस को पुनर्जीवित करने के लिए भी चीन को न्योता दियाथालालमोनिरहाट जिला बंगाल के सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक से ज्यादा दूर नहीं है. चिकन नेक नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और चीन की सीमाओं से लगता है।
साथियों बात अगर हम ट्रांसशिपमेंट बंद करने से बांग्लादेश को निर्यात आयात पर भारी असर पड़ने की करें तो, माल हस्तांतरण सुविधा के बंद होने से बांग्लादेश के निर्यात और आयात पर असर पड़ेगा। खासकर भूटान, नेपाल और म्यांमार के साथ व्यापार में दिक्कत आएगी। ये देश तीसरे देशों के साथ व्यापार के लिए भारतीय रास्तों पर निर्भर हैं। पहले भारत से होकर जाने वाला रास्ता आसान था। इससे समय और पैसा दोनों बचता था। अब बांग्लादेश के व्यापारियों को ज्यादा समय लगेगा, ज्यादा खर्चा आएगा और अनिश्चितता भी बढ़ेगी। नेपाल और भूटान दोनों ही जमीन से घिरे हुए देश हैं। वे बांग्लादेश के साथ व्यापार के लिए भारत के रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, इस निर्णय से परिधान, जूते, रत्न एवं आभूषण जैसे कई भारतीय निर्यात क्षेत्रों को लाभ होगा। परिधान क्षेत्र में बांग्लादेश भारत का बड़ा प्रतिस्पर्धी है। भारतीय कपड़ों के निर्यात को बढ़ावा देने वाली संस्था ने कहा कि राजधानी में हर दिन 20-30 बांग्लादेशी ट्रक आते हैं, जिससे कार्गो टर्मिनलों पर जाम लग जाता है और माल ढुलाई की लागत बढ़ जाती है। एक अन्य संघ का बयान आया कि अब हमारे पास अपने माल के लिए अधिक हवाई क्षमता होगी।
साथियों बात अगर हम बांग्लादेश के बड़बोलेपन वाले बयान की करें तो, दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार ने पिछले महीने चीन का दौरा किया था। वहां उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य लैंड लॉक्ड (जमीन से घिरे हुए) हैं, और समुद्र तक उनकी पहुंच का एकमात्र रास्ता बांग्लादेश है।उन्होंने चीन को बांग्लादेश की स्थिति का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया था।उनकी यह टिप्पणी भारत को नागवार गुजरी थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव भी देखने को मिला था।ये फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार के एक बयान की चर्चा हो रही है।कुछ दिनों पहले ही वो चीन की राजधानी बीजिंग में उन्होंने कहा कि चीन और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के बीच व्यापार बढ़ाया जाना चाहिए, और इसमें बांग्लादेश के बंदरगाहों का इस्तेमाल किया जा सकता है।उन्होंने कहा था,पूर्वी भारत के सात राज्य, जिन्हें सात बहनों के नाम से जाना जाता है, ये ऐसे क्षेत्र हैं जिनकी समुद्र तक कोई सीधी पहुंच नहीं है, हम इस पूरे क्षेत्र के लिए समुद्र के एकमात्र संरक्षक हैं. इससे एक बड़ा अवसर खुलताहै,ये चीनी अर्थव्यवस्था का विस्तार बन सकता है, चीजें बनाएं, चीजें उत्पादित करें, मार्केटिंग करें, चीन में सामान लाएं और उन्हें बाकी दुनिया में निर्यात करें। चीन के साथ मिलकर भारत के खिलाफ चालबाजियां करने वाले और बांग्लादेश को समंदर का एकमात्र गार्जियन बताने वाले को भारत ने तोल-मोल कर मगर ठोस जवाब दिया है। भारत के संसाधनों के सहारे विदेश व्यापार करने वाले बांग्लादेश से भारत ने ट्रांस शिपमेंट की अहम सुविधा छीन ली है।
साथियों बात अगर हम ट्रांसशिपमेंट सुविधा को जानने की करें तो, भारत ने बांग्लादेश को दी गई एक खास सुविधा, जिसे ट्रांसशिपमेंट फैसिलिटी कहा जाता है, खत्म कर दी है। इस सुविधा के तहत बांग्लादेश अपने निर्यात का माल भारत की ज़मीन से होकर किसी तीसरे देश तक भेज सकता था, इसके लिए वह भारत के हवाई अड्डों या बंदरगाहों का उपयोग कर सकता था। अब बांग्लादेश के पास यह विकल्प नहीं रहेगा, यह सुविधा बांग्लादेश को वर्ल्ड मार्केट में आसान एंट्री देता था। बांग्लादेश अपने माल को भारत के लैंड कस्टम स्टेशनों से ट्रकों या कंटेनरों में भारतीय बंदरगाहों तक पहुंचाता था, जहां से इसे आगे शिपिंग या हवाई मार्ग से भेजा जाता था. यह प्रक्रिया समय और लागत बचाने में मदद करती थी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि बांग्लादेश को बड़बोलापन भारी पड़ा?-भारत की आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक का असर सैन्य कार्रवाई से ज्यादा मारक।भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट की सुविधा बंद की- बांग्लादेशी एक्सपोर्टर्स मुसीबत में – नेपाल भूटान बैन से से बाहर।भारत के ट्रांसशिपमेंट के आदेश से बांग्लादेश का एक्सपोर्ट खर्च तीन गुना बढ़ सकता है – प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता पर घातक असर होगा।
*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*