अरे बाप रे! – पूरे विश्व का शेयर मार्केट लहूलुहान!
पूरे विश्व के शेयर बाजारों में हाहाकार ! भारत में चंद मिनट में 19 लाख करोड़ स्वाहा:
भारतीय शेयर बाजार में जितनी बड़ी गिरावट 7 अप्रैल को 1 दिन में देखी गई, यह पहली बार नहीं, इसके पहले भी कई बार हो चुका है-गहन चिंतन ज़रूरी-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर दशकों से यह प्रचलन रहा है कि जब भी कोई प्राकृतिक, मानवीय मेड घटना, महायुद्ध सत्ता का पलटना, महामारी इत्यादि कुछ घटनाएं होती है तो इसका प्रभाव संबंधित अनेक क्षेत्रों में होता हुआ दिखता है। अभी हाल ही में विश्व के अनेक देशों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टेरिफ़ से पूरे विश्व के शेयर मार्केटों मैं हाहाकार मचा हुआ है और वे लहुलुहान हो गए हैं। इसी प्रकार जैसे 57 देशों के इस्लामी सहयोग संगठन, खाड़ी देश हो या फिर विकसित देशों के बीच टकराव हो इससे तेल का रेट बढ़ना,किसी राजनीतिक उलटफेर का डर या कानून से विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा शेयरों की बिकवाली से शेयर मार्केट गिरना या कोई महामारी आने से स्वास्थ्य व खाद्य क्षेत्र का चरमरा जाना इत्यादि होता है। मैंनें बचपन में हर्षद मेहता का बहुत बड़ा शेयर घोटाला तथा एक स्टांप पेपर घोटाला सुना था जिसनें उच्चस्तर तक को हिला दिया था। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ट्रंप के विज़न अमेरिकी फर्स्ट के कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा लगातार शेयरों की बिकवाली कर भारत से पैसा समेट रहे हैं,शायद अमेरिका में लगाने का उनका विचार हो सकता है! ऐसे अनेक संभावित कारणों की चर्चा हम नीचे पैराग्राफ में करेंगे।चूँकि शेयर मार्केट मैं आज 7 अप्रैल 2025 को भारी मात्रा में गिरावट चिंतनीय है, एनएसई निफ्टी को साप्ताहिक मासिक एक्सपायरी दिन को मंगलवार से सोमवार किया गया है जो 4 अप्रैल 2025 से लागू हो गया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,अरे बाप रे! – पूरे विश्व का शेयर मार्केट लहूलुहान!पूरे विश्व के शेयर बाजारों में हाहाकार ! भारत में चंद मिनट में 19 लाख करोड़ स्वाहा:भारतीय शेयर बाजार में जितनी बड़ी गिरावट 7 अप्रैल को 1 दिन में देखी गई, यह पहली बार नहीं, इसके पहले भी कई बार हो चुका है-गहन चिंतन ज़रूरी है।
साथियों बात अगर हम 7 अप्रैल 2025 को शेयर बाजारलहुलुहान होने की करें तो, अमेरिका के दुनियाँ भर के 180 देशों पर टैरिफ लगाए जाने का असर अब साफ दिखना शुरु हो गया है। दुनिया भर के बाजारों में आई गिरावट के बाद अब भारतीय शेयर बाजार भी बुरी तरह ध्वस्त हो गए हैं।आज यानी 7 अप्रैल 2025 को दोनों प्रमुख सूचकांक लाल रंग के निशान पर खुले और खुलते ही शेयर बाजार में हाहाकार मच गया। सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 3,939.68 अंक की भारी गिरावट के साथ 71,425.01 अंक पर, निफ्टी 1,160.8 अंक फिसलकर 21,743.65 अंक पर खुला। सोमवार को दुनियाँ भर के बाजार ऐसे गिरे, जैसे सीधे पाताल लोक में समा जाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से लगाए गए ज़बरदस्त टैरिफ और चीन की तीखी जवाबी कार्रवाई ने पूरी दुनियाँ के स्टॉक मार्केट को हिला कर रख दिया है। चीन ने अमेरिका से आने वाले सभी सामानों पर 34 फीसदी का टैक्स लगाने का ऐलान कर दिया है, जो 10 अप्रैल से लागू होगा। इसका असर इतना जबरदस्त रहा कि महज दो दिनों में दुनिया भर में 9 ट्रिलियन डॉलर की मार्केट वैल्यू उड़नछू हो गई।
साथियों बात अगर हम ट्रंप के टैरिफ घोषणा के बाद दुनियाँ भर के शेयर बाजारों में त्राहिमाम की करें तो, अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ घोषणाओं के बाद दुनियाँ भर के शेयर बाजार में त्राहिमाम मच गया। 7 अप्रैल 2025 का दिन कई देशों के लिए काला दिन साबित हुआ। ट्रंप के टैरिफ ने वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंकाओं को बढ़ा दिया। जिसके कारण निवेशकों में घबराहट और अनिश्चित का माहौल बढ़ा, जिसके परिणाम स्वरूप दुनियाँ के शेयर बाजारों में बड़े पैमाने पर बिकवाली शुरू हुई। हॉन्ग कोंग ऐसे देश में टॉपर है, जिन्होंने सोमवार को सबसे ज्यादा नुकसान दर्ज किया, हैंग सेंग इंडेक्स में 7 अप्रैल 2025 को आई 13.12 पेर्सेंट से 13.60 पेर्सेंट तक की गिरावट को हाल ही के वर्षों में इंट्रा डे में आई सबसे बड़ी गिरावट कहा जा रहा है.ल। 1997 के एशियाई वित्तीय संकट के बाद आज सबसे बड़ी एकल- दिवसीय गिरावट दर्ज हुई।हांगकांग में आई बड़ी गिरावट के पीछे चीन पर लगे 34 पेर्सेंट का टैरिफ है। हांगकांग की अर्थव्यवस्था चीन पर निर्भर करती है, यहां बैंकिंग और तकनीकी क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ है। हैंग सेंग 23,000 के आसपास तक लुढ़क गया। इतना ही नहीं कई कंपनियों के शेयर्स 20 पेर्सेंट से ज्यादा कमजोर हो गए। ताइएक्स इंडेक्स में सोमवार को 9.7 पेर्सेंट से 10 पेर्सेंट तक की गिरावट हुई। यहां निवेशकों के लिए भी आज ब्लैक मंडे साबित हुआ. यह इतिहास में सबसे बड़ी एकल-दिवसीय गिरावटों में से एक थी। बाजार की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए ट्रेडिंग को अस्थाई रूप से रोकना पड़ा, यानी सर्किट ब्रेकर लागू किया।दक्षिण कोरिया के कोस्पी इंडेक्स में 3पेर्सेंट से 5पेर्सेंट की गिरावट के कारण कुछ समय के लिए लोअर सर्किट लगा। हुंडई और सैमसंग जैसी कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली हुई।सेंसेक्स 2,227 अंकों की गिरावट के साथ 73,138 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 3पेर्सेंट से अधिक गिरकर 22,200 से नीचे बंद हुआ, भारत पर 26पेर्सेंट टैरिफ का असर हुआ, लेकिन फार्मा, स्टील, और ऑटो सेक्टर को कुछ छूट मिलने से नुकसान अन्य देशों जितना गहरा नहीं था. अमेरिका, चीन यूरोप के यूके, जर्मनी, और फ्रांस के बाजारों में भी भारी मात्रा में गिरावट दर्ज की गई।
साथियों बात अगर हम शेयर गिरावट का भारत सहित पूरे विश्व में असर की करें तो, भारतीय शेयर मार्केट भी इससे अछूता नहीं है। हफ्ते के पहले दिन बाजार खुलते ही सेंसेक्स करीब 4,000 अंक गिर गया जबकि निफ्टी में भी 900 अंक से अधिक गिरावट आई है। इस गिरावट से निवेशकों को 19.4 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है। भारत के साथ-साथ एशिया के दूसरे बाजारों में भी गिरावट आई है। टाटा ग्रुप के शेयरों के अमूमन सुरक्षित दांव माना जाता है। लेकिन आज टाटा ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली और ग्रुप के कई शेयर 52 हफ्ते के लो पर चले गए। इससे कुछ ही घंटों में निवेशकों को 1.49 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी। जापान का निक्केई 225 इंडेक्स 7.8 पेर्सेंट गिरावट के साथ 1.5 साल के लो पर पहुंच गया। इस बीच ट्रंप ने अपनी नीति का बचाव करते हुए कहा है कि व्यापार असंतुलन को दुरुस्त करना जरूरी है लेकिन मंदी और महंगाई के कारण दुनिया भर के बाजारों में खलबली मची हुई है।यूरोप में भी शुरुआती कारोबार में भारी गिरावट दिख रही है। सोमवार को बाजार खुलते ही शेयर बाजार 16 महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए। जर्मनी में डॉक्स इंडेक्स में करीब 10 फीसदी गिरावट आई है जबकि लंदन का फ्टसे 100 करीब 6 पेर्सेंट गिरावट के साथ ट्रेड कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ के बाद मंदी की आशंका ने पूरी दुनियाँ को हिलाकर रख दिया है। चीन की जवाबी कार्रवाई के बावजूद ट्रंप ने अपनी योजना से पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया है।
साथियों बात अगर हम भारत में शेयर मार्केट के काले दिनों के इतिहास की करें तो, चंद मिनटों में 19 लाख करोड़ स्वाहा, भारतीय शेयर बाजार में हाहाकार, जानिए सेंसेक्स में कब-कब आई बड़ी गिरावट। भारतीय शेयर बाजार ने कई सुनहरे पल देखे हैं, लेकिन इसके इतिहास में कुछ ऐसे काले दिन भी दर्ज हैं, जब सेंसेक्स भारी गिरावट का शिकार हुआ है, वैश्विक संकट से लेकर घरेलू अनिश्चितता तक, इन घटनाओं ने निवेशकों को सकते में डाला है। कई बार हालात ऐसे आए हैं कि बाजार में ट्रेंडिंग को कुछ समय के लिए रोकने की नौबत आ गई। (1) 4 जून 2024 को हुई थी बड़ी गिरावट: इलेक्शन रिजल्ट डे पर शेयर मार्किट में कारोबार शुरू होते ही गिरावट का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वो बढ़ता ही चला गया था, बीएसई के 30 शेयरों वाले सेंसेक्स ने उस दिन 1700 अंक टूटकर ट्रेडिंग शुरू की थी और दोपहर 12.20 बजे तक तो ये 6094 अंक तक फिसलकर 70,374 के लेवल पर आ गया था। (2) 23 मार्च 2020 – कोविड-19 महामारी के चलते सेंसेक्स 3,935 अंक टूटा था, लॉक डाउन की आशंका से बाजार ठप हुआ, और निवेशकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा। (3).12 मार्च 2020 – सेंसेक्स में 2,919 अंकों की गिरावट: कोरोना के वैश्विक प्रसार और यस बैंक संकट ने सेंसेक्स को 2,919 अंक नीचे खींचा. 10 पेर्सेंट लोअर सर्किट लगा, ट्रेडिंग रुकी(4) 9 मार्च 2020 -सेंसेक्स में 1,941 अंकों की गिरावट: तेल की कीमतों में गिरावट और कोविड-19 की चिंता से सेंसेक्स 1,941 अंक लुढ़का। (5) 27 फरवरी 2020 – सेंसेक्स में कोविड-19 के बढ़ते मामलों ने बाजार को डराया।सेंसेक्स 1,448 अंक गिरा, जिससे निवेशकों का विश्वास डगमगा गया। (6) 24फरवरी 2020 – सेंसेक्स 806 अंकों की गिरावट: कोरोना के वैश्विक प्रभाव की शुरुआत में सेंसेक्स 806 अंक नीचे आया,यह महामारी से जुड़ी पहली बड़ी गिरावट थी। (7) 6 फरवरी 2020 – सेंसेक्स में 1,000 अंकों की गिरावट: बजट के बाद अनिश्चितता और वैश्विक संकेतों से सेंसेक्स में करीब 1,000 अंक की गिरावट दर्ज हुई। बाजार में अस्थिरता बढ़ी(8) फरवरी 2020 – सेंसेक्स में 2,100 अंकों की गिरावट: बजट निराशा और आर्थिक मंदी की आशंका से सेंसेक्स लगभग 2,100 अंक गिरा। निवेशकों में बेचैनी छाई रही।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अरे बाप रे! – पूरे विश्व का शेयर मार्केट लहूलुहान! lपूरे विश्व के शेयर बाजारों में हाहाकार ! भारत में चंद मिनट में 19 लाख करोड़ स्वाहा:भारतीय शेयर बाजार में जितनी बड़ी गिरावट 7 अप्रैल को 1 दिन में देखी गई, यह पहली बार नहीं, इसके पहले भी कई बार हो चुका है-गहन चिंतन ज़रूरी है।
*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*