जीएसटी सुधार 2025-जीएसटी कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचना सबसे बड़ी चुनौती?
22 सितंबर के बाद बहुत बड़ा सतर्कता अभियान चलनें की तैयारी?-केंद्रीयमंत्री का सख़्त रुख और निगरानी का ऐलान- सांसदों और सीबीआईसी की जिम्मेदारी-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – भारत की आर्थिक संरचना में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) सुधारों को ऐतिहासिक मील का पत्थर माना जाता है। 2017 में जब इसे लागू किया गया था तो इसका मुख्य उद्देश्य था-“एक राष्ट्र,एक टैक्स” की अवधारणा के तहत पूरे देश को एकीकृत करना और कर ढांचे की जटिलताओं को कम करना। अब 2025 में, सरकार ने जीएसटी सुधारों की नई श्रृंखला लागू करते हुए कई वस्तुओं पर कर दरों में कटौती की है।यह कदम सीधे तौर पर महंगाई से जूझ रहे मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग को राहत देने वाला माना जा रहा है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या ये कर कटौती का लाभ वास्तव में आम जनता तक पहुंचेगा? क्या व्यवसायी वर्ग इस राहत को उपभोक्ताओं तक पारदर्शिता के साथ पहुंचाएंगे? और क्या अंतरराष्ट्रीय दबावों जैसे ट्रंप प्रशासन के 50 पर्सेंट टैरिफ फैसलों का कोई प्रभाव इन सुधारों पर पड़ा है?मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं कि जीएसटी कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचना सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती हैँ जीएसटी दरों में कटौती से तुरंत उपभोक्ताओं को लाभ मिलना चाहिए, क्योंकि कर घटने पर वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें घटनी चाहिए। लेकिन व्यवहारिक धरातल पर स्थिति इतनी सरल नहीं होती।बाजार में अक्सर देखा गया है कि व्यापारी या निर्माता अपने मार्जिन को बनाए रखने के लिए कीमतों में उतनी कटौती नहीं करते, जितनी कर दरों में कमी हुई है। उदाहरण के लिए, यदि किसी वस्तु पर पहले 18 पर्सेंट जीएसटी था और अब उसे 12 पर्सेंट या जीरो कर स्लैब में लाया गया है, तो कीमत में 6 पर्सेंट या 18 पर्सेंट की कटौती होनी चाहिए। लेकिन कई बार यह अंतर उपभोक्ताओं तक मात्र 2-3 पर्सेंट ही पहुंचता है। यही कारण है कि आम जनता के मन में भ्रम बना हुआ है कि क्या यह सुधार वास्तव में उनके लिए हैं या केवल उद्योग जगत के लिए।इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे जीएसटी सुधार 2025-जीएसटी कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचना सबसे बड़ी चुनौती
साथियों बात अगर हम केंद्रीय वित्तमंत्री के 6 सितंबर 2024 को सख्त रुख और निगरानी के ऐलान की करें तो उन्होंने इन आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट कहा है कि वह व्यक्तिगत रूप से व्यवसायों द्वारा उपभोक्ताओं को लाभ पहुँचाने की प्रक्रिया की निगरानी करेंगी। यह बयान जनता में विश्वास जगाने वाला है, क्योंकि पहली बार किसी केंद्रीयमंत्री ने इतनी सख्ती से कहा है कि वह लाभ आम जनता तक पहुंचाने के लिए प्रत्यक्ष रूप से नजर रखेंगी। उन्होंने साफ कहा है कि 22 सितंबर के बाद बहुत बड़ा सतर्कता अभियान चलाया जाएगा,ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर कटौती का असर कीमतों पर दिखे।सरकार ने इस निगरानी अभियान को केवल वित्त मंत्रालय तक सीमित नहीं रखा है। सांसदों को भी अपने-अपने क्षेत्रों में बाजार दरों की निगरानी करने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) इनको सख़्ती से अगले एक से डेढ़ महीने तक सतत निरीक्षण का काम सौंपा गया है। सीबीआईसी यह देखेगा कि कर कटौती का असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ रहा है या नहीं। इस तरह एक बहु-स्तरीय निगरानी तंत्र बनाया गया है ताकि कहीं भी लापरवाही या हेराफेरी की गुंजाइश न रहे।
साथियों बात अगर हम सरकार के कड़क संदेश की करें तो“लाभ न पहुँचाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा” स्पष्ट वक्तव्य कि लाभ पहुंचाने में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, बाजार जगत को सीधा संदेश देता है। इससे यह उम्मीद की जा रही है कि व्यवसायिक वर्ग सावधानी बरतेगा और उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने में सहयोग करेगा।यह बयान केवल एक चेतावनी नहीं,बल्कि सरकार की उस गंभीरता का प्रतीक है जो वह जनता को राहत देने के लिए दिखा रही है।
साथियों बात अगर हम उपभोक्ताओं को भी जागृत होने की करें तो,सिर्फ सरकार की निगरानी ही पर्याप्त नहीं है। उपभोक्ताओं को भी जागरूक होना होगा कि वे बाजार में घटे हुए कर दरों का लाभ पा रहे हैं या नहीं। यदि व्यापारी कीमत कम नहीं करता तो उपभोक्ता को शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है। भारत में उपभोक्ता अदालतें और हेल्पलाइन मौजूद हैं, लेकिन अक्सर लोग उनका उपयोग नहीं करते। जीएसटी सुधारों का असली फायदा तभी मिलेगा जब जनता भी सक्रिय होकर अपने अधिकारों के लिए खड़ी होगी।डिजिटल बिलिंग और ई-इनवॉयसिंग व्यवस्था जीएसटी सुधारों को और प्रभावी बनाती है।अब हर लेनदेन की डिजिटल रिकॉर्डिंग होने लगी है, जिससे कर चोरी की संभावना कम होती है। इससे यह भी आसान हो जाएगा कि कर दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ता कीमतों में परिलक्षित हो रहा है या नहीं। सरकार को चाहिए कि वह डिजिटल ट्रैकिंग का इस्तेमाल कर कीमतों की वास्तविक स्थिति पर नजर रखे।
साथियों बात अगर हम जीएसटी 1.0 से जीएसटी 3.0 तक का सफर की करें तो,वित्त मंत्री ने खुद स्वीकार किया कि जीएसटी 1.0 (2017) का उद्देश्य राष्ट्र को एकीकृत करना था। इसके बाद जीएसटी 2.0 (2025) का फोकस “सरलता” पर है, ताकि कर ढांचे को आम व्यवसायियों और जनता के लिए आसान बनाया जा सके। उन्होंने संकेत दिया कि जीएसटी 3.0 भविष्य में और भी व्यापक सुधार लेकर आएगा। संभव है कि इसमें पेट्रोलियम उत्पादों और कुछ अन्य जटिल कर ढांचों को भी शामिल किया जाए। इस तरह भारत की कर व्यवस्था धीरे-धीरे अधिक पारदर्शी और उपभोक्ता- हितैषी बन सकती है।भारत जैसे विशाल देश में महंगाई केवल कर ढांचे की वजह से नहीं, बल्कि आपूर्ति श्रृंखला, वैश्विक तेल कीमतों और मौसमी उतार-चढ़ाव पर भी निर्भर करती है। फिर भी कर कटौती से कुछ हद तक राहत मिलना तय है। यदि व्यवसायी वर्ग ईमानदारी से लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाए तो दाल, चीनी, पैक्ड फूड, कपड़े और घरेलू उपभोग की वस्तुओं की कीमतों में कमी देखी जा सकती है। यह सीधे तौर पर गरीब और मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति को मजबूत करेगा।भविष्य की राह,जीएसटी 3.0 से उम्मीदें- विशेषज्ञ मानते हैं कि जीएसटी 3.0 भारत की कर व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। इसमें न केवल पेट्रोल-डीजल को शामिल किया जा सकता है, बल्कि वर्तमान कर स्लैब को और सरल किया जा सकता है। साथ ही, छोटे व्यवसायियों के लिए अनुपालन की जटिलताओं को कम किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो भारत का जीएसटी मॉडल विश्व स्तर पर एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत होगा।
साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय परिपेक्ष की करें तो अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य-ट्रंप के टैरिफ से तुलना,कईविशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया है कि क्या ये सुधार ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए 50 पर्सेंट टैरिफ के मद्देनजर पेश किए गए हैं। विपक्ष का कहना है कि सरकार अंतरराष्ट्रीय दबाव को संतुलित करने के लिए घरेलू कर सुधार दिखा रही है। लेकिन वित्त मंत्री ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि सरकार पिछले डेढ़ साल से इन सुधारों पर काम कर रही है और यह प्रक्रिया घरेलू जरूरतों से प्रेरित है, न कि अंतरराष्ट्रीय दबाव से। इससे स्पष्ट होता है कि भारत की कर नीति को घरेलू आर्थिक आवश्यकताओं और महंगाई नियंत्रण के नजरिए से आगे बढ़ाया जा रहा है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जीएसटी सुधार 2025 भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा कदम है। यह केवल कर दरों में कटौती का मामला नहीं,बल्कि सरकार और जनता के बीच विश्वास बनाने का प्रयास भी है। यदि व्यापारी वर्ग ईमानदारी से कर कटौती का लाभउपभोक्ताओं तक पहुंचाए और सरकार निगरानी में सख्ती दिखाए तो यह सुधार भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगा। वहीं, अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में भी यहदिखाएगा कि भारत अपनी घरेलू जरूरतों और जनताकी भलाई को प्राथमिकता देता है, चाहे वैश्विक दबाव कुछ भी क्यों न हों।आने वाले वर्षों में जीएसटी 3.0 से और भी बड़ी उम्मीदें हैं,और यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत की आर्थिक प्रगति का भविष्य काफी हद तक इस कर ढांचे की सफलता पर निर्भर करेगा।
-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9226229318