



उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड के लोग देश भक्त होते हैं तथा वे सहयोग और सद्भाव के साथ रहते हैं। उत्तराखंड की भूमि मंदिरों की भूमि है, जहां सबसे अधिक धार्मिक स्थल स्थित हैं। उन्होंने कहा कि बीते 10 वर्षों में उत्तराखंड का अभूतपूर्व विकास हुआ है, जो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सक्षम नेतृत्व का परिणाम है।
राज्यपाल ने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री के उत्कृष्ट कार्यों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली है और विभिन्न देशों ने उन्हें अपने सर्वाेच्च पुरस्कारों से सम्मानित किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने महिला शिक्षा, सड़क निर्माण, अस्पताल और स्वास्थ्य आदि अनेक सुविधाओं में सुधार के साथ-साथ देश के समग्र विकास में अद्वितीय कार्य किया है। उनकी दूरदृष्टि यह सुनिश्चित करती है कि देश के प्रत्येक नागरिक को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए।
राज्यपाल ने सभी को प्रतिदिन कुछ नया सीखने और अपनी क्षमताओं को निखारने के लिए प्रेरित करते हुए उत्तराखंड के निवासियों की मेहनत और समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोग पहाड़ों को काटकर सीढ़ीदार खेत बनाते हैं और मोटे अनाज (श्रीअन्न) की खेती करते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा मोटे अनाज को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयासों की प्रशंसा की, जिससे उत्तराखंड के किसानों को बड़ा लाभ हुआ है।
राज्यपाल ने बागेश्वर जिले के मुनार गांव के किसानों की प्रेरणादायक कहानी साझा की। इन किसानों ने मिलेट्स (मंडवा, चौलाई, मक्का और जौ) की खेती को एक नई पहचान दी है। उन्होंने सहकारी संस्था बनाकर मिलेट्स से बिस्किट बनाने की फैक्ट्री शुरू की। यह बिस्किट आयरन रिच होने के कारण गर्भवती महिलाओं के लिए उपयोगी हैं। इस परियोजना से 900 से अधिक परिवारों को रोजगार मिला है और इसे राष्ट्रीय आजीविका मिशन से भी जोड़ा गया है।
राज्यपाल जी ने उत्तराखंड के चारधाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की आध्यात्मिक महत्ता का भी उल्लेख किया। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘होम स्टे योजना‘ की सराहना करते हुए राज्यपाल जी ने कहा कि पर्यटन ऐसा क्षेत्र है, जो न्यूनतम निवेश में अधिक रोजगार प्रदान करता है। इससे होटल व्यवसाय, छोटे दुकानदार, वाहन चालक, टूरिस्ट गाइड और अन्य जुड़े सभी लोगों को लाभ होता है।
उन्होंने नैनीताल, मंसूरी, औली, रानीखेत, भीमताल, कौसानी, लैंसडाउन, पिंडारी ग्लेशियर, और हरिद्वार जैसे पर्यटन स्थलों का उल्लेख किया और कहा कि उत्तराखंड का हरिद्वार पूरे वर्ष तीर्थयात्रियों से भरा रहता है और यहां कुम्भ मेले का भी आयोजन होता है, जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
राज्यपाल जी ने कहा कि उत्तराखंड के हर गांव में देश की रक्षा करने वाले वीर सपूत हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों में 4,200 किमी सड़कें, 250 पुल, और 22 सुरंगें बनाई गई हैं, जिससे सीमावर्ती इलाकों की कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में अवस्थापना विकास की 37 योजनाओं को स्वीकृति दी है।
उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना‘ के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में 250 से अधिक आबादी वाले इलाकों को सड़क मार्ग से जोड़ा जा रहा है। उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई और लोक निर्माण कार्यों के लिए भी पर्याप्त बजट का प्रावधान किया गया है। रेल परियोजनाओं के लिए लगभग 5,131 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा शुरू की गई ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ योजना का उद्देश्य विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक विविधता को समझना और उसे बढ़ावा देना है। इस योजना से देश के विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का आदान-प्रदान हो रहा है। राज्यों के स्थापना दिवस समारोहों का आयोजन इसी प्रयास का एक हिस्सा है।
इस अवसर पर राजभवन में उत्तराखंड राज्य की समृद्ध संस्कृति, पारंपरिक खानपान, संगीत, प्रमुख तीर्थ स्थलों और महान व्यक्तित्वों पर आधारित एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। राज्यपाल जी ने इस प्रदर्शनी और रंगोली कृतियों का अवलोकन किया। कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड राज्य पर केंद्रित एक विशेष डाक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई। इस डाक्यूमेंट्री में राज्य की स्थापना से लेकर उसकी लोक संस्कृति, ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण स्थलों के साथ-साथ हाल के वर्षों में हुए विकास कार्यों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ0 सुधीर महादेव बोबडे, संस्कृति विभाग तथा एन0सी0जेड0सी0सी0, प्रयागराज के अधिकारी, विशेष सचिव राज्यपाल श्रीप्रकाश गुप्ता, विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ0 पंकज एल0 जानी, विशेष कार्याधिकारी राज्यपाल अशोक देसाई व राजभवन के अधिकारीगण व कर्मचारीगण समेत विभिन्न गणमान्य एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।