



“हमला करके तो देखो!” मास्को में रूस-चीन-ईरान की बड़ी बैठक, ट्रंप-इजरायल को मिला कड़ा संदेश
अमेरिका-ईरान वार्ता से पहले मास्को में बना रणनीतिक मोर्चा, न्यूक्लियर डील और युद्ध की सूरत में जवाब तय करने की तैयारी
डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल की बमबारी की धमकियों के बीच अब ईरान, रूस और चीन ने मोर्चा संभाल लिया है। मास्को में तीनों देशों की एक अहम और रणनीतिक बैठक हो रही है, जिसका मकसद सिर्फ ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर चर्चा नहीं, बल्कि अमेरिका को कड़ा जवाब देने की पूरी रणनीति बनाना है।
इस बैठक की टाइमिंग बेहद खास मानी जा रही है, क्योंकि इसी शनिवार को ओमान में अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु डील पर अहम वार्ता होनी है। रूस और चीन के एक्टिव होते ही साफ हो गया है कि अब ईरान अकेला नहीं है। पुतिन और जिनपिंग खुलकर खामनेई के साथ खड़े हो गए हैं।
बैठक में तीन बड़े मुद्दों पर चर्चा हो रही है—पहला, न्यूक्लियर डील को लेकर ईरान का रुख तय करना, जिसमें रूस और चीन की सहमति अहम होगी। दूसरा, अगर वार्ता विफल होती है और अमेरिका या इजरायल हमला करते हैं, तो ईरान की सैन्य प्रतिक्रिया कैसी होगी। तीसरा, युद्ध की सूरत में अमेरिका को किस तरह सामूहिक जवाब दिया जाए, इसकी ठोस योजना बनाना।
ईरान ने पहले ही फारस की खाड़ी में 3000 से ज्यादा जहाज तैनात कर दिए हैं, डिफेंस सिस्टम एक्टिव कर दिया गया है, और मिसाइलें अलर्ट पर हैं। रूस ने चेताया है कि ईरान पर हमला हुआ तो उसके गंभीर परिणाम होंगे। चीन भी पूरी ताकत से ईरान के साथ खड़ा है।
मास्को की यह बैठक स्पष्ट संकेत है कि अब मिडिल ईस्ट के तनाव में वैश्विक शक्तियों की सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है।