ताइवान पर ड्रैगन की फुल फोर्स! चीन के युद्ध अभ्यास पर अमेरिका की नजरें टिकीं
चीन की सैन्य धमक के बीच अमेरिका की प्रतिक्रिया अहम, वैश्विक व्यापार पर मंडराए संकट के बादल
चीन ने ताइवान पर अपना दबदबा बढ़ाने के लिए 1 अप्रैल से उसके आसपास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के ईस्टर्न थिएटर कमांड ने स्थल, जल, वायु और अग्नि बलों को पूरी ताकत से तैनात कर दिया है। चीन के इस ऑपरेशन का सीधा मकसद ताइवान की स्वतंत्रता की मांग करने वाली ताकतों को कड़ी चेतावनी देना है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने चीन के इस कदम को “अनुचित उकसावा” करार दिया है और कहा है कि उनकी सेना अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।
ट्रंप की टैरिफ नीति से बढ़ेगा तनाव?
इस सैन्य तनाव के बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से आयातित वस्तुओं पर नए टैरिफ लागू करने की घोषणा की है। ट्रंप का कहना है कि यह कदम अमेरिका को विदेशी उत्पादों पर निर्भरता से मुक्त करेगा और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा। लेकिन इससे वैश्विक व्यापार, खासकर भारत और चीन पर गहरा असर पड़ सकता है।
क्या अमेरिका देगा कड़ा जवाब?
ताइवान को लेकर अमेरिका पहले ही साफ कर चुका है कि वह चीन की किसी भी आक्रामक हरकत को बर्दाश्त नहीं करेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका इस सैन्य अभ्यास पर कैसी प्रतिक्रिया देगा? क्या यह टैरिफ नीतियों के जरिए चीन पर दबाव बनाएगा, या फिर सीधा सैन्य जवाब देगा?
क्या ताइवान बना वैश्विक टकराव का नया केंद्र?
ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। चीन इसे अपना क्षेत्र मानता है, जबकि अमेरिका ताइवान को सैन्य और राजनीतिक समर्थन देता रहा है। इस स्थिति में चीन का यह सैन्य अभ्यास और ट्रंप की नई नीतियां एशिया में भू-राजनीतिक समीकरण को पूरी तरह बदल सकती हैं। अब दुनिया की नजरें अमेरिका के अगले कदम पर टिकी हैं, जो इस पूरे मसले की दिशा तय कर सकता है।










