नई दिल्ली (BNE)- मणिपुर में फैली अशांति को लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आरोपों को एक सिरे से नकारते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम नरेश ने कहा कि नड्डा इस संवेदनशील मुद्दे को सिर्फ अपनी कमजोरियों से ध्यान हटाने के लिए निराधार आरोप लगा रहे है। उन्होंने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखा गया उनका पत्र ” इनकार, विकृति, ध्यान भटकाने और मानहानि” पर आधारित है।जयराम नरेश ने इस मामले में रास्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग की है। वहीँ दूसरी ओर खड़गे को जवाब देते हुए नड्डा ने दावा किया कि मणिपुर में सत्ता में रहने के दौरान स्थानीय मुद्दों से निपटने में कांग्रेस की “पूर्ण विफलता” के दुष्परिणाम आज भी महसूस किए जा रहे हैं।
जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर के लोग चाहते हैं कि राज्य में जल्द से जल्द सामान्य स्थिति, शांति और सद्भाव लौट आए।
रमेश ने कहा, “इस दिशा में वे चार सरल प्रश्न पूछ रहे हैं: प्रधानमंत्री राज्य का दौरा कब करेंगे? मुख्यमंत्री कब तक राज्य पर अत्याचार करते रहेंगे, जब अधिकांश विधायक उनके समर्थन में नहीं हैं? राज्य के लिए पूर्णकालिक राज्यपाल की नियुक्ति कब होगी? केंद्रीय गृह मंत्री मणिपुर में अपनी घोर विफलताओं की जिम्मेदारी कब लेंगे?”
अपने पत्र में नड्डा ने खड़गे से कहा कि सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कांग्रेस पार्टी मणिपुर की स्थिति को सनसनीखेज बनाने के लिए बार-बार प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि खड़गे यह भूल गए हैं कि न केवल उनकी सरकार ने भारत में विदेशी आतंकवादियों के अवैध प्रवास को वैध बनाया था, बल्कि तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने उनके साथ संधियों पर भी हस्ताक्षर किए थे।
कांग्रेस मणिपुर का दौरा न करने के लिए प्रधानमंत्री पर हमला कर रही है, इसके अलावा जातीय संघर्ष से ग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति से निपटने के लिए केंद्र की भी आलोचना कर रही है।
पिछले वर्ष मई से इम्फाल घाटी स्थित मैतेईस और समीपवर्ती पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 220 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।