बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज(BNE) इत्र नगरी में कई कारखाने हैं जहां प्राकृतिक इत्र का निर्माण किया जाता है। यहां बनने वाले उत्पाद को देश से लेकर विदेश तक बेचा भी जाता है लेकिन इसके बाद भी अब तक इसकी पैकेजिंग पर ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसे में पहली बार एफएफडीसी (सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र) कन्नौज की तरफ से छह माह का प्रोग्राम लांच किए जाने की तैयारी है। यह प्रोग्राम देश भर में ऑनलाइन संचालित होगा।
यह जानकारी देते हुए केंद्र के प्रधान निदेशक शक्ति विनय शुक्ल ने बताया कि कन्नौज विश्व भर में इत्र निर्माण और बिक्री के लिए जाना जाता है। शहर में ही छोटे-बड़े 300 से अधिक कारखाने हैं। इसके साथ ही छोटे स्तर पर धंधा करने वाले माल खरीद कर छोटी-छोटी शीशियों में भरकर भी बेंचते हैं। यह काम शहर के साथ ही बाहर और ऑनलाइन भी किया जा रहा है।
इस सबके बीच में खास बात यह है कि सबकुछ परंपरागत तरीके से चल रहा है जबकि बाजार का नियम है कि ‘जो दिखता है वो बिकता है।’ किसी भी उत्पाद की बिक्री में उसकी पैकिंग की भी अहम भूमिका होती है। उदाहरण देते हुए बताया कि अभी स्थिति यह है कि ऑनलाइन का समय आ गया है।
ऐसे में कुछ व्यापारी बड़ा पैक इत्र का खरीदते हैं और फिर छोटी-छोटी शीशियों में भरकर बिक्री कर देते हैं। उन्हें यह पता ही नहीं है कि पैकिंग के भी कुछ मानक और नियम हैं। जैसे बड़े पैक पर लिखा जाता है व्यापारिक उपयोग के लिए तो छोटे पैक पर फॉर कंज्यूमर यूज लिखना जरूरी होता है।
इसके साथ ही उत्पाद बनने की तिथि, बैच नं., एक्सपायरी डेट, चेतावनी, उपयोग, खाद्य पदार्थ या फिर अन्य उपयोग आदि का भी उल्लेख किया जाता है। इन सब बातों से ज्यादातर व्यापारी अनभिज्ञ हैं। इस क्रम में 16 नवंबर को पैकेजिंग फॉर अतर लोकल टु ग्लोबल के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
इस अवसर पर ही एफएफडीसी की तरफ से परफ्यूम कॉस्मेटिक्स एंड पैकेजिंग विषयक छह माह का प्रोग्राम लांच किया जाएगा। यह पहली बार है जब देशभर में पैकेजिंग को लेकर ट्रेनिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रोग्राम ऑनलाइन है जिससे देश के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति पैकेजिंग की बारीकियां व इसके महत्व की जानकारी ले सकेगा।
कार्यक्रम को लेकर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग के सहायक निदेशक डॉ. तनवीर आलम ने बताया कि अतर की बात करें तो इसकी प्रकृति उड़ने की है इसलिए कागज में पैक नहीं कर सकते। पैकेजिंग में प्रिजर्व, प्रोटेक्ट, प्रोमोट का सिद्धांत लागू होता है। कहा कि 16 को होने वाले कार्यक्रम में इन सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।