



ये स्तंभ आत्मा को भरोसा देते हैं कि शिवकृपा से मुक्त होकर अपने परम गति को प्राप्त होंगे।84 pillars of faith
84 pillars of faith :लखनऊ (BNE)उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस समय महाकुम्भ 2025 की तैयारियां लगभग अंतिम चरण में है। 13 जनवरी को कुम्भ का पहला स्नान है। देश विदेश के तमाम अखाड़ों के साधू महात्मा यहाँ अपना आसन ग्रहण कर चुके है। आम आदमी हो ,या साधु महात्मा ,कोई भी यहाँ आकर पुण्य का भागीदार बनना चाहता है। सरकार के मुताविक यहाँ कुम्भ में लगभग 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आने की संभावना है।
श्रद्धालुओं ,भक्तों के मान्यताओं के अनुसार यहाँ तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती में कुम्भ के दौरान स्नान करने मात्र से सभी पाप धुल जाते है। आत्मा की शुद्धि होती है। पापों का प्रायश्चित होता है और मोक्ष या मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी के चलते मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए हवाई अड्डे की ओर जाने वाली सड़क पर 84 स्तंभ लगाए जा रहा है।84 pillars of faith
स्तंभ पर लिखे गए भगवान शिव के नाम 84 pillars of faith
लाल बलुआ पत्थरों से बने इन स्तंभों को ‘आस्था के स्तंभ’ नाम दिया गया है, जिनपर भगवान शिव के 108 नाम लिखे गए हैं। इसके अलावा हर स्तंभ के ऊपर सनातन का प्रतीक कलश भी लगाए गए है। ऐसा कहा जा रहा है कि इन स्तंभों का निर्माण राजस्थान के बंसी पहाड़पुर में किया गया है, जिनमें करीब 20 लाख की लागत आई है।
4 हिस्सों में लग रहे हैं स्तंभ 84 pillars of faith
ये 84 स्तंभ चार हिस्सों में लगाए गए है। ऐसे में प्रत्येक हिस्से में 21 स्तंभ होंगे। ये स्तंभ सनातन धर्म के चार वेद, चार आश्रम, चार वर्ण और चार दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। स्तंभ लगाने वाली एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक, इन स्तंभों की परिक्रमा करने से 84 लाख योनियों का सफर पूरा करने की अनुभूति होगी। साथ ही इससे सनातन धर्म की गूढ़ शिक्षाओं का भी ज्ञान होगा।
महाकुंभ में मिलेगा मोक्ष 84 pillars of faith
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, यह चक्र 21 लाख की चार श्रेणियों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में विभाजित है। इसी प्रकार आत्मा मानव शरीर में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त करने आती है, जिसके लिए उन्हें ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास से गुजरना पड़ता है। ऐसे में ये स्तंभ आत्मा को भरोसा देते हैं कि शिवकृपा से मुक्त होकर अपने परम गति को प्राप्त होंगे।
गौरतलब है कि महाकुंभ मेला समुद्र मंथन की हिंदू पौराणिक कथा पर आधारित है, जिसे दूध के सागर का मंथन कहा जाता है। अमरता के अमृत की बूंदें चार स्थानों पर गिरी, जिनमें प्रयागराज भी शामिल है। यहहां 2025 का कुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा।84 pillars of faith