
विज्ञान की दुनिया के दिग्गज देख रहे सात बड़े सपने-विजय गर्ग
एक सदी पहले जेब के आकार के सुपर कंप्यूटर, चालक विहीन कार और वीडियो कॉल विज्ञान की विशुद्ध बनावटी बातें लगती थीं। चंद घंटों में जीनोम की पड़ताल या अलग-अलग महाद्वीपों में रहने वाले लोगों की जब चाहे आपसी बातचीत पर तो हंसी आती थी। मगर इस वर्ष (2025 में) हमने मिथेन घटाने वाले सप्लीमेंट्स से एक अप्रत्याशित जलवायु खतरे (गाय की डकार) से निपटने में सफलता पाई है। ऐसे में, सवाल उठता है कि कौन सी असंभव लगने वाली तकनीकें भविष्य को आकार दे सकती हैं? आइए, कुछ पर चर्चा करते हैं।
प्रकाश से भी तेज यात्रा : इससे हम ऐसी प्रजाति बन सकते हैं, जो तारों के बीच रहती है। हालांकि, आइंस्टीन का सापेक्षता का सिद्धांत कहता है कि द्रव्यमान वाली चीज बेहिसाब ऊर्जा के बिना प्रकाश की गति को पार नहीं कर सकती, इसलिए इस गति को पाना हमारे लिए व्यावहारिक रूप से असंभव है। मगर, नासा के ईगलवर्क्स लैब ने अल्क्यूबियर के वार्प ड्राइव का पता लगाया है, जो काल्पनिक तौर पर प्रकाश से भी तेज गति से अंतरिक्ष की यात्रा को संभव बनाता है।
टाइम-ट्रैवल, यानी समय से पार यात्रा कराने वाली मशीन आखिर कौन अपनी पिछली गलतियों को ठीक नहीं करना चाहेगा? मगर इसके गंभीर परिणाम भी होते हैं। यदि आप समय में पीछे जाते हैं और अपने अस्तित्व को रोकते हैं, तो ‘ग्रैंडफादर पैराडॉक्स’ (विरोधाभास की वह स्थिति, जब समय मशीन से गए व्यक्ति की हरकत से ऐसी परिस्थिति पैदा हो, जिससे घटना से पहले उसका प्रभाव घटित हो जाए) आपका दिमाग घुमा सकता है। उपग्रहों पर लगी परमाणु घड़ियां सापेक्षता के कारण समय का अंतर महसूस करती हैं, जो साबित करता है कि समय का विस्तार होता है। वैज्ञानिकों ने भी क्वांटम प्रयोगों से बताया है कि समय से पार यात्रा असंभव नहीं, बेशक अभी बहुत छोटी हो ।
डायसन स्फीयर : असीम ऊर्जा देने वाले सूर्य के चारों ओर आप क्या किसी विशाल संरचना की कल्पना कर सकते हैं? डायसन स्फीयर यही है। इसके बाद न जीवाश्म ईंधन, न ऊर्जा संकट | बस निर्बाध सौर ऊर्जा। वैज्ञानिकों ने ऐसे सैटेलाइट डिजाइन किए हैं, जो वायरलेस की तरह पृथ्वी पर ऊर्जा भेज सकते हैं। चीन ने जो अंतरिक्ष में सौर फार्म की योजना बनाई है, वह अंतरिक्ष से सीधे ऊर्जा दोहन की दिशा में पहला कदम हो सकता है।
जैविक अमरता : हमने जीन एडिटिंग का उपयोग करके चूहों का जीवन बढ़ाया है और मानव कोशिकाओं में उम्र बढ़ाने वाले कुछ प्रभावों को उलट दिया है। सीआरआईएसपीआर उम्र से संबंधित बीमारियों पर काम कर रहा है और अल्टोस लैब जैसी कंपनियां कोशिका के फिर से प्रोग्रामिंग को लेकर खोज कर रही हैं। हालांकि, अमरता अभी दूर दिख रही है, फिर भी काफी लंबा और स्वस्थ जीवन अब संभव जान पड़ता है। नियंत्रित वर्महोल : वर्महोल आपको किसी एक सूराख में अंदर जाने और फिर ब्रह्मांड में कहीं और बाहर निकलने का मौका देगा। यह सही है कि नासा की ईगलवर्क्स लैब ने उन्नत अंतरिक्ष यात्राओं से जुड़ी अवधारणाओं की जांच-पड़ताल की है, पर अभी यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि उसने एक स्थिर वर्महोल मॉडल तैयार कर लिया है।
मस्तिष्क से मस्तिष्क तक संचार: ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस पहले से ही लकवाग्रस्त रोगियों को अपने दिमाग को नियंत्रित करने मे मदद कर रहे हैं। ऐसे में, न्यूरल सप्लीमेंट इंटरफेस संचार में क्रांति ला सकते हैं। न्यूरालिंक ने इंसानों पर इसका परीक्षण शुरू भी कर दिया है, हालांकि अभी यह शुरुआती अवस्था में है, लेकिन भविष्य में ज्ञान का तत्काल हस्तांतरण और दिमागी संचार संभव हो सकता है, जिससे नैतिकता और निजता संबंधी चिंताएं पैदा हो सकती हैं।
डार्क मैटर – ऊर्जा का उपयोग ब्रह्मांड का एक बड़ा हिस्सा डार्क मैटर है। डार्क ऊर्जा भी अब तक रहस्यमय है। सीआरईएसएसटी और लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर जैसे प्रयोग डार्क मैटर का पता लगाने के लिए काम कर रहे हैं। यदि हम ऐसी कोई सफलता पा लेते हैं, तो ऊर्जा उत्पादन में बड़ी कामयाबी मिल सकेगी।
बहरहाल, इनमें से कोई भी तकनीक मानव सभ्यता की दशा-दिशा बदल सकती है। अब इनमें से कितने में हम सफल होंगे, यह तो आने वाले दशक बताएंगे।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब
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