
जलवायु परिवर्तन के कारण 2000 से एशियाई पर्वतीय क्षेत्रों में बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि -विजय गर्ग
जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2000 से एशिया के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों (एचएमए) में बाढ़ की आवृत्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। एक नए अध्ययन के अनुसार यह जानकारी सामने आई है। पर्यावरण विशेषज्ञ सोनम वांगचुक समेत विज्ञानियों की एक टीम द्वारा किए गए अध्ययन में वर्ष 1950 से अब तक आई 1,015 बाढ़ों का विश्लेषण किया गया। वर्ष 1950 से अब तक इस क्षेत्र के औसत तापमान में लगातार वृद्धि देखी गई है, जो प्रति दशक 0.3 डिग्री सेल्सियस की दर से बढ़ रही है। विज्ञानियों ने कहा कि इस बीच वर्षा के पैटर्न में स्थान और समय दोनों के संदर्भ में जटिल तरीके से बदलाव आया है।
उन्होंने कहा कि यह तेजी से बढ़ता तापमान, वर्षा के पैटर्न में बदलाव के साथ मिलकर क्षेत्र के जल चक्र को प्रभावित कर रहा है और बाढ़ के जोखिम को बढ़ा रहा है। शोध लेखकों ने कहा, “समय के रुझानों के संदर्भ में वर्ष 2000 के बाद से दर्ज बाढ़ की घटनाओं की आवृत्ति आम तौर पर पहले की अवधि की तुलना में बढ़ी है, जिसमें वर्षा बाढ़ और बर्फ पिघलने से होने वाली बाढ़ में काफी वृद्धि देखी गई है। अंतरराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (आइसीआइएमओडी) ने एक बयान में कहा कि बाढ़ की आवृत्ति बढ़ी है, लेकिन एक महत्वपूर्ण अतिरिक्त निष्कर्ष बाढ़ के समय में अप्रत्याशितता में वृद्धि हुई है, जबकि अधिकांश घटनाएं मानसून के दौरान होती रहती हैं। इन समयों के बाहर होने वाली बाढ़ की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। एचएमए को ‘एशियन वाटर टावर’ के रूप में भी जाना जाता है। यह ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर जमे हुए पानी का सबसे बड़ा स्रोत है। यह 10 प्रमुख नदियों को पानी देता है जो दो सौ करोड़ से अधिक लोगों को सहारा देती हैं। अपनी उच्च ऊंचाई और विशाल बर्फ कवर के कारण एचएमए जलवायु परिवर्तन के प्रति बेहद संवेदनशील है। पहले के अध्ययनों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में तापमान वैश्विक औसत से दोगुना बढ़ रहा है, जिससे वर्षा पैटर्न बदल रहा है। इससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है, खास तौर पर ग्लेशियल झील के फटने से होने वाली बाढ़ (जीएलओएफ), जो आम होती जा रही है। उदाहरण के लिए, 2023 की गर्मियों में भारत, नेपाल और पाकिस्तान के दक्षिणी हिमालय में मानसून के कारण आई बाढ़ में 1,500 से ज्यादा लोग मारे गए। आइसीआइएमओडी ने कहा कि तेल, कोयला और गैस जलाने से इस क्षेत्र में बाढ़ की आवृत्ति बढ़ रही है। बाढ़ के सबसे आम प्रकार भारी बारिश और बर्फ पिघलने के कारण बाढ़ होते हैं। कम बार होने वाली लेकिन कहीं ज्यादा अचानक और विनाशकारी जीएलओएफ और भूस्खलन बांध वाली झील के फटने से होने वाली बाढ़ (एलएलओएफ) है। आईसीआईएमओडी ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि और बढ़ते बुनियादी ढांचे के कारण बाढ़ के जोखिम बढ़ रहे हैं। इन बातों पर देना होगा ध्यान : सोनम वांगचुक ने चेतावनी दी कि एक भी मानसून बादल फटने या हिमनदों के ढहने से विनाशकारी आपदाएं आ सकती हैं, जो बिना तैयारी वाले क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती हैं। हमें संवेदनशील घाटियों में बाढ़ की निगरानी को प्राथमिकता देनी चाहिए। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा की परियोजनाओं को प्रतिबंधित करना चाहिए व उच्च पर्वतीय एशिया देशों के बीच डाटा साझाकरण समझौतों को मजबूत करना चाहिए।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार मलोट पंजाब
Post Views: 101