
प्रजातियों की खोज की गति पहले से कहीं अधिक तेज
डॉ विजय गर्ग
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि प्रजातियों की खोज की गति पहले से कहीं अधिक तेज हो गई है। यह उपक्रम प्रजातियों के विलुप्त होने से बचाने की रणनीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका अद कर सकता है। इससे जैव विविधता को संजोने व समृद्ध करने में सहायता मिलेगी। बताया गया है कि विज्ञानी हर वर्ष 16,000 से अधिक नई प्रजातियों की पहचान कर रहे हैं।
एरिजोना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने लगभग 20 लाख प्रजातियों के वर्गीकरण इतिहास का अध्ययन किया है, जिसमें सभी जीवित जीवों के समूह शामिल हैं। जर्नल साइंस एडवांसेस में प्रकाशित निष्कर्षो के अनुसार, 2015 से 2020 के बीच जो हाल के समय का सबसे व्यापक डाटा है हर वर्ष औसतन 16,000 से अधिक नई प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया, जिसमें 10,000 से अधिक जानवर, 2,500 पौधे और 2,000 फंगस शामिल हैं।
एरिजोना यूनिवर्सिटी के पारिस्थितिकी और विकासात्मक जीव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक जान वीयन्स के मुताबिक, नई प्रजातियों की खोज इसलिए महत्वपूर्ण है कि प्रजातियों को वैज्ञानिक रूप से वर्णित किए बिना उनकी रक्षा नहीं की जा सकती। इस दिशा में दस्तावेजीकरण पहला कदम है। यदि हमें नहीं पता कि कोई प्रजाति मौजूद है तो हम उसे विलुप्त होने से नहीं बच सकते।
लेखक का कहना है कि विज्ञानी ऐसा मानते हैं कि नई प्रजातियों के दस्तावेजीकरण की गति धीमी हो गई है। और ऐसा इसलिए कि हम नई प्रजातियों की खोज करने में कोताही कर रहे हैं, लेकिन हमारे परिणाम इसके विपरीत दिखाते हैं। वीयन्स के मुताबिक, “वास्तव
में, हम पहले से कहीं अधिक तेजी से नई प्रजातियों की खोज कर रहे हैं।” शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि यह प्रवृत्ति धीमी होने के कोई संकेत नहीं दिखाती है और भविष्यवाणी की कि कुछ समूहों, जैसे पौधे, फंगस, मकड़ियों, मछलियों और उभयचर जीवों के बीच जैव विविधता पहले से कहीं अधिक समृद्ध है।
उदाहरण के लिए, टीम ने अनुमान लगाया कि मछलियों की प्रजातियों की संख्या 1,15,000 और उभयचरों की 41,000 हो सकती है, जबकि वर्तमान में केवल लगभग 42,000 मछलियों और 9,000 उभयचरों की प्रजातियां वर्णित हैं। उन्होंने यह भी अनुमान लगाया कि पौधों की अंतिम संख्या पांच लाख से अधिक हो सकती है। शोधकर्ता बताते हैं कि “जीवन के सभी क्षेत्रों में, हमने पाया कि
जीवित, वर्णित प्रजातियों को कुल संख्या तेजी से बढ़ रही है, हाल के दशकों में धीमी होने के कोई संकेत नहीं हैं। इसके अलावा, प्रजातियों के वर्णन की सबसे तेज दरें (16,000 से अधिक प्रजातियां प्रति वर्ष 2015 के बाद से हैं। अधिकतम दूर (17,044 प्रजातियां प्रति वर्ष) 2020 में थी।”
शोधकर्ताओं ने यह भी भविष्यवाणी की कि नई जीवों की खोज की दर बढ़ती रहेगी। इस समय अधिकांश नई प्रजातिय दृश्य लक्षणों द्वरा पहचानी जाती हैं। लेकिन जैसे-जैसे आणविक उपकरणों में सुधार होगा, हम और भी अधिक गुप्त प्रजातियों का पता लगाएंगे ऐसे जीव जो केवल आनुवंशिक स्तर पर भिन्न होते हैं। यह विशेष रूप से अद्वितीय बैक्टीरिया और फंगस को उजागर करने के लिए आशाजनक है।
डॉ विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब
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