



चैत्र अमावस्या पर जानें शनि के गोचर का ज्योतिषीय महत्व और उपाय
29 मार्च 2025: ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष दिन
साल 2025 में शनि देव 29 मार्च को कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश करेंगे। यह दिन ज्योतिषीय रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन तीन बड़े खगोलीय घटनाक्रम एक साथ हो रहे हैं—शनि का राशि परिवर्तन, साल का पहला सूर्य ग्रहण, और चैत्र अमावस्या। हालांकि, यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक भारत में मान्य नहीं होगा।
किन राशियों पर रहेगा शनि का प्रभाव?
29 मार्च को शनि का गोचर होने के साथ ही कुछ राशियों पर साढ़ेसाती और ढैय्या का असर रहेगा।
साढ़ेसाती वाली राशियां: मीन, मेष, कुंभ
ढैय्या वाली राशियां: सिंह और धनु
जिन जातकों पर साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव रहेगा, उनके लिए यह समय सतर्कता और ध्यानपूर्वक कर्म करने का है।
शनिदेव की कृपा पाने के उपाय
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत पाने के लिए इन उपायों को अपनाएं:
1. पीपल के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
2. जरूरतमंदों को काले तिल, उड़द और काले कपड़े का दान करें।
3. अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करें
29 मार्च का सूर्य ग्रहण: क्या होगा असर?
29 मार्च 2025 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। नासा के अनुसार, यह ग्रहण यूरोप, एशिया, अफ्रीका और अटलांटिक महासागर के क्षेत्रों में दिखेगा, लेकिन भारत में इसका कोई असर नहीं होगा। चूंकि यह भारत में मान्य नहीं है, इसलिए ग्रहण का सूतक काल प्रभावी नहीं होगा।
चैत्र अमावस्या और नवरात्रि की शुरुआत
29 मार्च को चैत्र अमावस्या भी है, जो पितरों की पूजा और तर्पण के लिए शुभ मानी जाती है। अगले दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी, जो देवी दुर्गा की उपासना का पवित्र पर्व है।
ज्योतिषीय सलाह
जिन लोगों पर शनि का प्रभाव है, उन्हें इस समय धैर्य और सकारात्मकता के साथ अपने कर्म करने चाहिए। शनि का गोचर कर्मों के आधार पर फल प्रदान करता है, इसलिए पुण्य कार्यों और दान से शनिदेव की कृपा प्राप्त की जा सकती है।