



महाकुंभ के समापन पर मोदी मांगे माफी, योगी फुलावें छाती!
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।26 फरवरी को प्रयागराज में 45 दिनों तक चले भव्य महाकुंभ मेले का समापन हो गया। इसकी सफलता और असफलता को लेकर भाजपा में अंतरिक लड़ाई तेज हो गयी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जहां इस आयोजन से अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ विषयों की चर्चा कर देश से माफी मांगा है। राजनैतिक हलकों में मोदी के माफी वाले दांव को तरह-तरह से व्याख्या की जा रही है।मोदी ने माफी मांग कर एक तो यह स्वीकार कर लिया कि कुंभ के आयोजन में कमी थी।दूसरे महाकुंभ के आयोजन पर विपक्ष के हमले की धार को कुंद करने की कोशिश किया है।इस आयोजन की सफलता की तपिश से केंद्र की सत्ता को योगी के प्रबंधन का लोहा स्वीकारने को मजबूर कर दिया है। जिसे मोदी ने बहुत विनम्रता से टालने की कोशिश किये हैं।बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हो या भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व से लेकर आम कार्यकार्याओं की एक ही चिंता है कि मोदी के बाद कौन भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पड़ का प्रबल दावेदार होगा।गोधरा दंगे के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के विकास को मॉडल बना कर भाजपा नेतृत्व से संगठन पर दबदबा कायम किया। कांग्रेस से छीन कर देश की सत्ता पर भाजपा के कदमों में डाल दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिना दंगे के उत्तर प्रदेश में माफियाओं पर बुल्डोजर चलवा कर कानून व्यवस्था का योगी मॉडल स्थापित किया है। जिसके चलते विपक्षी दलों द्वारा सेक्युलरिज्म के नाम पर की जा रही मुस्लिम परस्ती पर नकेल कसने वाले नेता के रूप में देशव्यापी लोकप्रियता हाशिल किया है। योगी के इसी गुण ने योगी को चंद वर्षों में अमितशाह पर बीस साबित करवा दिया।जब गुरुवार को मोदी ने कुंभ के समापन पर माफी मांगा तो योगी के समर्थकों को बैकफुट पर आना पड़ा। लेकिन मोदी के लिखने के बाद भी योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में आयोजित कार्यक्रम में कुम्भ की उपलब्धियों पर दहाड़ कर विपक्ष के साथ पार्टी के अंदरखाने बैठे निन्दकों को ठोंका है। इससे देश भर के योगी समर्थकों में नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
मोदी ने लिखा है कि इस आयोजन में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था और भक्ति के साथ त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया। ‘एकता का महायज्ञ’ बताते हुये महाकुंभ की व्यवस्थाओं में कमी को लेकर जनता से माफी भी मांगी है। महाकुंभ में व्यवस्थाओं में कमी को लेकर माफी मांगते हुए उन्होंने लिखा, ‘मैं जानता हूं, इतना विशाल आयोजन आसान नहीं था। मैं प्रार्थना करता हूं मां गंगा से, मां यमुना से, मां सरस्वती से “हे मां हमारी आराधना में कुछ कमी रह गई हो तो क्षमा करिएगा”। जनता जनार्दन, जो मेरे लिए ईश्वर का ही स्वरूप है, श्रद्धालुओं की सेवा में भी अगर हमसे कुछ कमी रह गई हो तो मैं जनता जनार्दन का भी क्षमा प्रार्थी हूं।’ पीएम ने लिखा, ‘ये कुछ ऐसा हुआ है, जो बीते कुछ दशकों में पहले कभी नहीं हुआ। ये कुछ ऐसा हुआ है, जो आने वाली कई-कई शताब्दियों की एक नींव रख गया है। प्रयागराज में जितनी कल्पना की गई थी, उससे कहीं अधिक संख्या में श्रद्धालु वहां पहुंचे। इसकी एक वजह ये भी थी कि प्रशासन ने भी पुराने कुंभ के अनुभवों को देखते हुए ही अंदाजा लगाया था, लेकिन अमेरिका की आबादी के करीब दोगुने लोगों ने एकता के महाकुंभ में हिस्सा लिया, डुबकी लगाई।’
प्रधानमंत्री ने लिखा कि प्रयागराज में हुआ महाकुंभ का ये आयोजन, आधुनिक युग के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए, प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए स्टडी का विषय बना है। आज पूरे विश्व में इस तरह के विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं है, ऐसा कोई दूसरा उदाहरण भी नहीं है। आज अपनी विरासत पर गौरव करने वाला भारत अब एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। ये युग परिवर्तन की वो आहट है, जो देश का नया भविष्य लिखने जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘जब मैं काशी चुनाव के लिए गया था तो मेरे अंतरमन के भाव शब्दों में प्रकट हुए थे और मैंने कहा था- मां गंगा ने मुझे बुलाया है। इसमें एक दायित्व बोध भी था, हमारी मां स्वरूपा नदियों की पवित्रता को लेकर, स्वच्छता को लेकर, प्रयागराज में भी गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम पर मेरा ये संकल्प और दृढ़ हुआ है। गंगा जी, यमुना जी, हमारी नदियों की स्वच्छता हमारी जीवन यात्रा से जुड़ी है। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि नदी चाहे छोटी हो या बड़ी, हर नदी को जीवनदायिनी मां का प्रतिरूप मानते हुए हम अपने यहां सुविधा के अनुसार, नदी उत्सव जरूर मनायें। ये एकता का महाकुंभ हमें इस बात की प्रेरणा देकर गया है कि हम अपनी नदियों को निरंतर स्वच्छ रखें, इस अभियान को निरंतर मजबूत करते रहें।