
भाजपा नेता का होटल ‘जुआ अड्डा’ निकला,
पुलिस की छापेमारी में 17 लाख रुपया मिला, 31 गिरफ्तार, थानेदार हाजिर, नेता फरार!
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। मेरठ में बीजेपी नेता अंकित मोतला के होटल में जुआ चल रहा था।आरोप है कि दौराला थानेदार के संरक्षण में! जी हां, पुलिस वाले ही इस गैरकानूनी काम को बढ़ावा दे रहे थे।पुलिस ने जब डीआईजी और एसएसपी के आदेश पर एसपी क्राइम के साथ छापा मारा, तो 31 जुआरी गिरफ्तार हुए और उनसे 17 लाख रुपये की नकदी बरामद की गई। इस मामले में 21 वाहन और कई मोबाइल फोन भी जब्त किए गए। सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की है कि इस पूरे गोरखधंधे में थानेदार उत्तमसिंह राठौड़ भी शामिल थे।जिन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया है और अब उनकी विभागीय जांच चल रही है।बीजेपी नेता अंकित मोतला इस छापे के बाद से फरार है। अब सवाल यह है कि क्या इस मामले में असली आरोपी को सजा मिलेगी या फिर ये सब कुछ दब जाएगा?
बहुत दिनों से पुलिस के उच्य अधिकारियों को इसकी शिकायत मिल रही थी कि भाजपा नेता के होटल में स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से जुआ हो रहा है। मेरठ के कुछ नेताओं द्वारा यह शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से किया गया। उन्होंने उच्य अधिकारियों को निर्देशित करते हुये मामले में कार्रवाई के निर्देश दिये। फिर तो स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया। डीआईजी और एसएसपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी क्राइम को तुरंत छापा मारने के आदेश दिए। छापेमारी के दौरान जब जुआरियों और उनके उपकरणों को जब्त किया गया, तो यह साफ हो गया कि ये जुआ खेल सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर चल रहा था।
छापे के बाद होटल मालिक ने छापेमारी वाली टीम पर अपने नजदीकी मंत्री के नाम का धौस जमाना चाहा।लेकिन जब उन्हें पता चला कि मुख्यमंत्री से शिकायत पर पंचम तल के आदेश से कार्रवाई हो रही है तो सबकी घिघ्घी बंध गयी। पुलिस के शख्त रुख से भाजपा नेता अंकित मोतला का नाम भी इस पूरी साजिश में सामने आया। उनका होटल दादरी इलाके में स्थित था, और यहां पर जुआ के अलावा अन्य अवैध गतिविधियां भी चल रही थीं। मोतला की मां जिला पंचायत सदस्य हैं, और वह एक ताकतवर मंत्री के करीबी रिश्तेदार माने जाते हैं। इस कारण से उनकी गिरफ्तारी और इस पूरे मामले की जांच में राजनीतिक दबाव का सवाल भी उठने लगा।पर मुख्यमंत्री का नाम आते ही सब बिल में घुस गये।
छापे के बाद अंकित मोतला फरार हो गया। पुलिस उसकी तलाश में जुटी है। थानेदार उत्तमसिंह राठौड़ को लाइन हाजिर कर दिया गया है और उनकी विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अगर इस मामले में कोई भी पुलिसकर्मी शामिल पाया जाता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।इस पूरे घटनाक्रम ने सत्ता और पुलिस के गठजोड़ को उजागर किया है, और अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या यह सिर्फ एक स्थानीय घटना है या फिर इससे जुड़े कुछ और बड़े मामले भी सामने आ सकते हैं। क्या इस छापे के बाद जो खुलासे हुए हैं, वो सत्ता में बैठे लोगों तक भी पहुंचेंगे? या फिर जैसे ही मामला शांत होगा, इसे दबा दिया जाएगा? यह मामला अब न केवल पुलिस और प्रशासन के लिए, बल्कि राजनीतिक महकमे के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
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