



13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू होगा महाकुंभ, जानें नागा साधु बनने की प्रक्रिया और शाही स्नान की तिथियां
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ मेले की शुरुआत हो रही है, जो 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। इस भव्य आयोजन में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु, साधु-संत और नागा साधु शामिल होंगे। नागा साधु अपनी अनूठी जीवनशैली और कठोर साधना के लिए प्रसिद्ध हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नागा साधु बनने के लिए कितनी कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है? आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं नागा साधु बनने की प्रक्रिया और उनकी जीवनशैली से जुड़े पहलू।
कैसे बनते हैं नागा साधु?
नागा साधु बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को अखाड़ा समिति के सामने अपनी इच्छा जाहिर करनी होती है। इसके बाद समिति उस व्यक्ति के जीवन से जुड़ी विस्तृत जानकारी जुटाती है, ताकि यह तय किया जा सके कि वह व्यक्ति नागा साधु बनने के योग्य है या नहीं।
1. ब्रह्मचर्य का पालन: नागा साधु बनने की पहली शर्त ब्रह्मचर्य का पालन करना है। व्यक्ति को अपने सांसारिक जीवन का पूरी तरह त्याग करना होता है।
2. पंच देव की दीक्षा: शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश को पंच देव माना जाता है। नागा साधु बनने वाले को इन पंच देवों से दीक्षा लेनी होती है।
3. पिंडदान: सांसारिक जीवन से पूरी तरह अलग होने के लिए व्यक्ति को अपने ही नाम का पिंडदान करना पड़ता है।
नागा साधु का जीवन
नागा साधु बनने के बाद व्यक्ति को अपने पूरे जीवन में कपड़े नहीं पहनने होते। वस्त्रों को सांसारिकता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए वे भस्म लगाकर अपने शरीर को ढकते हैं।
भिक्षा पर निर्भरता: नागा साधु सिर्फ भिक्षा में मिले भोजन का ही सेवन करते हैं। यदि भिक्षा न मिले, तो बिना भोजन के रहते हैं।
सिर झुकाना मना: नागा साधु किसी के सामने सिर नहीं झुकाते, सिवाय बड़े सन्यासियों के।
संसार से दूरी: वे निंदा-चर्चा से बचते हैं और पूरी तरह अध्यात्म में लीन रहते हैं।
महाकुंभ 2025: शाही स्नान की तिथियां
महाकुंभ के दौरान शाही स्नान अत्यधिक महत्व रखते हैं। यहां सभी अखाड़ों के नागा साधु पवित्र गंगा में डुबकी लगाते हैं।
13 जनवरी 2025: पहला शाही स्नान
14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति
29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या
3 फरवरी 2025: बसंत पंचमी
12 फरवरी 2025: माघी पूर्णिमा
26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि
महाकुंभ 2025 का यह आयोजन आध्यात्मिकता, संस्कृति और भारतीय परंपरा का भव्य उत्सव होगा। नागा साधुओं का जीवन और उनकी साधना महाकुंभ को और भी अद्वितीय बनाते हैं।