



माहवारी पर शर्म नहीं खुलकर बात करें, के नारें के साथ निकली रैली!
लखनऊ, (BNE), इनिशिएटिव फाउंडेशन द्वारा माहवारी स्वच्छता दिवस 2025 के अवसर पर संस्था के शिवरी चौराहा, मोहान रोड, लखनऊ स्थित सेंटर पर सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं, किशोरियों, युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
कार्यक्रम का उद्देश्य मासिक धर्म से जुड़ी चुप्पी, सामाजिक वर्जनाओं और लिंग आधारित भेदभाव को तोड़ना तथा मासिक धर्म को स्वास्थ्य और गरिमा से जोड़कर देखने की सोच को बढ़ावा देना था।
1- संध्या मिश्रा ( टीम मेंबर और स्वास्थ्य अधिकार कार्यकर्ता) ने कहा की:
“मासिक धर्म को अब भी अशुद्ध मानना, किशोरियों को स्कूल से दूर करना और मूलभूत सुविधाओं की कमी, हमारे समाज में गहरी जड़ें जमाए लिंग भेदभाव की निशानी है। जब तक स्वच्छता और सम्मान दोनों नहीं मिलते, तब तक स्वास्थ्य अधिकार अधूरा है।”
2. अंशी और कोमल (किशोरी लीडर) ने कहा की:
“मैंने पहली बार मंच पर मासिक धर्म पर बोला और महसूस किया कि इसमें शर्माने जैसी कोई बात नहीं। हम अपनी लड़कियों को चुप रहना नहीं, बोलना सिखाएँ।”
3. हेमा यादव इनिशिएटिव फाउंडेशन टीम मेंबर और (सामाजिक कार्यकर्ता) ने कहा की:
“महिलाओं को अब भी गंदे और फटे पुराने कपड़े का इस्तेमाल करना पड़ता है। ये न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि यह उनके साथ हो रही अदृश्य हिंसा और भेदभाव का हिस्सा है।”
4. शिवानी राजपूत (खेल शिक्षक) ने कहा की:
“स्कूलों में लड़कियाँ माहवारी के कारण छुट्टी लेती हैं। अगर शिक्षक संवेदनशील हों और बुनियादी सुविधाएँ हों तो यह नहीं होगा। उन्होंने कहा की यह जरूरी है कि ऐसे कार्यक्रम और अभियान में लड़कों और पुरुषों को भी इस संवाद में शामिल करें।”
5. आरती मौर्या (सामाजिक कार्यकर्ता) ने कहा की:
“हम घर-घर जाकर समझाते हैं, लेकिन पुरुषों की चुप्पी सबसे बड़ी दीवार है। अब समय है कि वे भी खुलकर साथ आएं।
6. अमित मिश्रा (संस्थापक- निदेशक, इनिशिएटिव फाउंडेशन) ने कहा की:
“मासिक धर्म केवल एक जैविक प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक अन्याय, चुप्पी और असमानता से जुड़ा मुद्दा भी है। जब तक लड़कियाँ और महिलाएँ अपने शरीर, स्वास्थ्य और स्वाभिमान को लेकर खुलकर बोल नहीं पातीं, तब तक समानता अधूरी है। इनिशिएटिव फाउंडेशन का प्रयास है कि माहवारी से जुड़ी शर्म, डर और भेदभाव को खत्म कर, एक समावेशी और संवेदनशील समाज का निर्माण किया जा सके.
इनिशिएटिव फाउंडेशन की टीम ने बताया कि यह अभियान केवल एक दिन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वर्षभर विभिन्न समुदायों में कार्य किया जाएगा ताकि किशोरियों और महिलाओं को स्वास्थ्य, सम्मान और समानता मिलें।
कार्यक्रम में शालिनी शुक्ला, संध्या मिश्रा, हेमा यादव, अंजलि गौतम, आरती मौर्या, शिवानी राजपूत, रंजित, सुरेश भारती, शिवराज सहित सैकड़ों महिला और किशोरी शामिल रहें और कार्यक्रम में पोस्टर प्रदर्शनी, समूह संवाद और अनुभव साझा सत्र भी आयोजित किए गए। प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे माहवारी स्वच्छता जागरूकता अभियान से जुड़ भेदभाव को चुनौती देंगे और समुदाय में जागरूकता फैलाएँगे।