
LUCKNOW-भाजपा का कुकर्म, धर्म में भी अधर्म-अखिलेश
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। बरसात और बाढ़ के दौरान यूपी में सड़कों की दुर्दशा देखकर व्यथित सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एकाउंट पर फट पड़े। उन्होंने लिखा, भाजपा का कुकर्म, धर्म में भी अधर्म! प्रयागराज की एक सड़क की फोटो पोस्ट करते हुए सरकार पर तंज कसते हुये उन्होंने लिखा, महाकुंभ में प्रयागराज में हजारा करोड़ों की लागत से बनी सड़कों का हाल देखिए, भाजपाई भ्रष्टाचार का कमाल देखिए। इस भाजपाई महाभ्रष्टाचार की बंदरबांट को समझने के लिए विशेष भाजपाई करप्शन क्रोनोलॉजी समझनी होगी। महाकमीशन लेकर पहले प्रधान ठेका दिया जाता है। फिर बड़ा कमीशन लेकर मुख्य ठेका दिया जाता है। फिर मोटा कमीशन लेकर उप ठेका दिया जाता है और उसके बाद भाजपाई सांसद जी का कमीशन का खेल चलता है। उसके बाद विधायक जी का। इसलिए भाजपा राज में सड़कें धंस रही हैं, पुल गिर रहे हैं, छते टपक रही हैं। पानी की टंकियां धराशायी हो रही हैं। भाजपा सरकार नहीं; भ्रष्टाचार का सहकार है।
अखिलेश ने बाढ़ की बिगड़ती स्थिति को लेकर भाजपा सरकार पर हमला बोला और कहा कि ‘भ्रष्ट और विफल’ सरकार जनकल्याण के बजाय ‘इवेंट मैनेजमेंट’ पर अधिक ध्यान दे रही है। सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट कर यादव ने कहा, ”उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार जब बड़े-बड़े लोगों की ‘सुपर वीवीआईपी’ रैली या सभा का आयोजन कर सकती है तो बाढ़ में राहत-बचाव का काम क्यों नही कर रही है? भाजपा सरकार एक भ्रष्ट और नाकाम सरकार साबित हुई है।’ आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रविवार तक उत्तर प्रदेश में 37 तहसीलों के 402 गांव बाढ़ की चपेट में हैं, जिससे 84,392 लोग प्रभावित हुए हैं। कानपुर नगर, लखीमपुर खीरी, आगरा, औरैया, चित्रकूट, बलिया, बांदा, गाजीपुर, मिर्जापुर, प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, जालौन, कानपुर देहात, हमीरपुर, इटावा और फतेहपुर सहित 17 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।उन्होंने कहा, ”प्रयागराज ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में बाढ़ की वजह से भयावह स्थिति है। भोजन और पीने के पानी की किल्लत चरम पर है। शौचालय की समस्या की वजह से लोग अशोभनीय-अमानवीय हालातों में रहने पर मजबूर हैं।”
सपा प्रमुख ने दावा किया कि चिकित्सा सेवाएं चरमरा जाने के कारण बीमार बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को दवा-इलाज नहीं मिल पा रहा है। स्वास्थ्य-चिकित्सा सेवाएं ठप्प हैं।”चूहों और विषैले जीव-जंतुओं का डर लोगों को सोने नहीं दे रहा है। बिजली की समस्या और करंट का डर अलग से है। ऊपरी मंजिलों पर रहने के लिए मजबूर लोगों के बीच घर के धंसने का भी भय है। लोगों के घरों के सामान डूब गये हैं। लोगों के पास पहनने को कपड़े नहीं है। जो पहने हैं वो भी भीग गये हैं। लोगों के मोबाइल चार्ज नहीं हो पा रहे हैं, जिससे लोगों के बीच संवाद नहीं हो पा रहा है।” जल जनित बीमारियों को लेकर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, ”बाढ़जन्य बीमारियों की आशंका से लोग ग्रसित हैं। कहा जाता है बाढ़ सिर्फ कीचड़, कचरा, मलबा और दुर्गंध ही नहीं बीमारी-महामारी को भी छोड़कर जाती है। जो लोग दैनिक कमाई पर जीवनयापन करते हैं वो काम पर नहीं जा पा रहे हैं।’
गरीब-मजदूर भुखमरी की कगार पर आ गये हैं। उन्होंने कहा, ”किसानों की खेती-जमीन पर पानी फिर गया है। दुकानों को अरबों रुपयों का नुकसान हो गया है। लोगों के पहचानपत्र, राशनकार्ड, जमीन-जायदाद के कागज, बैंक की पास बुक, शैक्षिक प्रमाणपत्र, बीमारी के पर्चे व अन्य जरूरी कागजात या तो भीगकर बर्बाद हो गये हैं या फिर बह गये हैं। लोगों के गाड़ी-वाहन डूब गये हैं।” बच्चों की शिक्षा में व्यवधान और अंतिम संस्कार न कर पाने पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ”बच्चों की शिक्षा का हनन हो रहा है। जिन लोगों का निधन हो रहा है उनके अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहे हैं।” सोमवार सुबह वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया, जिससे घाट जलमग्न हो गए और अधिकारियों को दाह संस्कार एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठानों को छतों और ऊंचे चबूतरों पर कराना पड़ा।केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, सोमवार सुबह तक गंगा नदी 72.1 मीटर पर बह रही थी, जो खतरे के निशान 71.262 मीटर से ऊपर है। उन्होंने कहा कि ‘नदी के किनारे, नाव के सहारे’ जीवन जीनेवाले समाज के बीच जीविकोपार्जन का गहरा संकट आ गया है लेकिन उनकी दिक्कत सुनने-समझनेवाला भाजपा सरकार या उनके सहयोगी दलों में कोई भी नहीं है। इन हालातों में जनता बेहद आक्रोशित है क्योंकि प्रशासन नदारद है तथा ”भ्रष्ट और विफल” शासन ”आत्म प्रचार की आपसी होड़ में घूम-घूम के फोटो खिंचवाने में व्यस्त” है। विकास और ‘स्मार्टसिटी’ के दावों के बीच विनाश की तस्वीरें दिल दहला देनेवाली हैं। भाजपा जाए तो चैन आए! बाढ़ग्रस्त्र कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!
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