
रचनात्मकता की मिसाल है लाइब्रेरी- डॉ विजय गर्ग
लाइब्रेरी केवल किताबों का संग्रह नहीं होती, यह रचनात्मकता, चिंतन और कल्पना की प्रयोगशाला होती है। एक पुस्तकालय में रखी हर किताब किसी लेखक की सोच, अनुभव और दृष्टि का प्रतीक होती है, जो पाठक के मस्तिष्क को नए विचारों से भर देती है। इसीलिए कहा जा सकता है कि लाइब्रेरी किसी समाज की बौद्धिक संपदा और उसकी रचनात्मकता का जीवंत प्रतीक है।
लाइब्रेरी का वातावरण मौन होते हुए भी बहुत कुछ कहता है। यहाँ न शोर होता है, न भीड़भाड़, परंतु हर पृष्ठ पलटने के साथ नए विचार जन्म लेते हैं। यह वही स्थान है जहाँ एक विद्यार्थी ज्ञान की खोज में निकलता है, एक लेखक अपने शब्दों की प्रेरणा पाता है और एक विचारक अपनी सोच को आकार देता है।
आज जब डिजिटल युग में सब कुछ मोबाइल और स्क्रीन तक सिमट गया है, तब भी एक लाइब्रेरी की महक, वहाँ की शांति और किताबों से मिलने वाली आत्मीयता का कोई विकल्प नहीं है। यह वह स्थान है जहाँ मनुष्य कुछ देर के लिए दुनिया की भागदौड़ से अलग होकर खुद से जुड़ता है।
रचनात्मकता का असली अर्थ है—पुराने विचारों में से कुछ नया जन्म देना। लाइब्रेरी यही सिखाती है। अलग-अलग विचारों, लेखकों और युगों की किताबें पढ़ते हुए व्यक्ति अपने भीतर नई सोच और दृष्टि का विकास करता है। यही प्रक्रिया उसे सृजनशील बनाती है।
ज्ञान का केंद्र और विचारों का संगम
पुस्तकालय सिर्फ किताबें रखने की जगह नहीं है, बल्कि यह विभिन्न विचारों और संस्कृतियों का संगम स्थल है। हर किताब अपने भीतर एक नया संसार समेटे हुए है। जब कोई पाठक इन किताबों से जुड़ता है, तो वह न केवल लेखक के दृष्टिकोण को समझता है, बल्कि अपने नए विचार भी विकसित करता है।
* प्रेरणा का स्रोत: किताबें पढ़कर व्यक्ति को नई प्रेरणा मिलती है, जो उसे लीक से हटकर सोचने और कुछ नया रचने के लिए प्रोत्साहित करती है।
* विविधता का प्रदर्शन: पुस्तकालयों में साहित्य, कला, विज्ञान, इतिहास जैसे अनेक विषयों पर पुस्तकें उपलब्ध होती हैं, जो पाठक को अलग-अलग क्षेत्रों की जानकारी देकर उनकी समझ को व्यापक बनाती हैं।
* आज़ादी: यह अपनी मर्ज़ी का पढ़ने और अपनी रफ़्तार से सीखने की आज़ादी देता है, जो रचनात्मक सोच के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
बच्चों में रचनात्मकता का विकास
बच्चों के लिए पुस्तकालय एक प्रयोगशाला के समान है, जहाँ वे किताबों के साथ खेलते हुए सीखते हैं और अपनी रचनात्मकता का विकास करते हैं।
* कहानी रचना: बच्चे किताबों के शीर्षकों या चित्रों से प्रेरित होकर नई कहानियाँ बनाते हैं।
* पढ़ने में रुचि: लाइब्रेरी की गतिविधियों से बच्चों में पढ़ने के प्रति रुचि जागृत होती है और वे न सिर्फ पढ़ना सीखते हैं, बल्कि सोचना और सवाल पूछना भी सीखते हैं।
* खुली अलमारी की अवधारणा: कई पुस्तकालयों में किताबें खुली अलमारी में रखी जाती हैं, जिससे बच्चे बिना किसी रोक-टोक के अपनी पसंद की किताब चुन सकते हैं, जो उन्हें स्व-निर्देशित सीखने के लिए प्रेरित करता है।
सामुदायिक सहभागिता और नवाचार
आधुनिक पुस्तकालय अब केवल किताबें इश्यू करने का केंद्र नहीं रहे, बल्कि वे सामुदायिक गतिविधियों और नवाचार को बढ़ावा देने वाले केंद्र बन गए हैं।
* कार्यशालाएँ और कार्यक्रम: पुस्तकालयों में रचनात्मक लेखन, कला, हस्तकला और अन्य कौशल विकास पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं, जो लोगों को अपनी रचनात्मक प्रतिभा को निखारने का मंच देती हैं।
* सचल पुस्तकालय: कुछ जगहों पर सचल पुस्तकालय भी चलाए जाते हैं, जो उन लोगों तक ज्ञान और रचनात्मकता को पहुँचाते हैं जो पुस्तकालय तक नहीं आ सकते। यह दिखाता है कि रचनात्मकता के प्रसार के लिए नए तरीके अपनाए जा रहे हैं।
हर समाज की प्रगति के पीछे उसकी पठन संस्कृति होती है। जब बच्चे बचपन से लाइब्रेरी से जुड़ते हैं, तो उनमें कल्पनाशक्ति, तर्कशीलता और संवेदनशीलता विकसित होती है। यही गुण उन्हें एक बेहतर नागरिक और सृजनशील इंसान बनाते हैं।
इसलिए कहा जा सकता है कि लाइब्रेरी केवल किताबों का घर नहीं, बल्कि रचनात्मकता की मिसाल है—जहाँ विचार जन्म लेते हैं, कल्पनाएँ उड़ान भरती हैं और मनुष्य अपनी सोच की सीमाओं को तोड़कर आगे बढ़ता है।
– डॉ विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब
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