



JAIPUR : नेताओं के लिए जीत की गारंटी है जयपुर में स्थित गणेश मंदिर
जानिए क्यों PM से लेकर CM तक यहां टेकने आते है माथा ?
जयपुर (BNE ) जयपुर में स्थित गणेश मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है.. खासकर नेताओं के लिए। ग्राम प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री पद के चुनाव में भागेदारी निभाने वाले नेता यहाँ आकर मत्था जरूर टेकते है। और उनकी इच्छा भी पूरी होती है। देश की राजनीति से लेकर उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार और फिर राजस्थान होते हुए दिल्ली तक, हर छोटा-बड़ा नेता गुलाबी नगर जयपुर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर में दर्शन किए बिना नहीं पहुंचा है।आज हम आपको राजस्थान के एक ऐसे गणेश मंदिर की राजनीतिक कहानियों की हकीकत से रूबरू कराएंगे, जिसे पढ़ने के बाद आप जरूर सोचेंगे कि चलो इस बार यहां जरूर दर्शन किए जाएं।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अब तक राज्य में बनी सभी राजनीतिक पार्टियों के मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, मेयर और पार्षद अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने से पहले इसके दरवाजे पर ढोल जरूर बजाते हैं।मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधायक का टिकट मिलने से पहले भी यहां आकर पूजा-अर्चना की थी। इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या वसुंधरा राजे, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट तक यहां आकर पूजा-अर्चना कर चुके हैं।
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कहते हैं कि मोती डूंगरी के दर्शन करने के बाद मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। और इसी का नतीजा है कि हर सफेदपोश अपनी राजनीति चमकाने के लिए साल में कई बार यहां आता है।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास
यह मंदिर करीब 400 साल पुराना बताया जाता है। राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मोती डूंगरी मंदिर जयपुर में एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है।करीब 2 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस मंदिर का इतिहास करीब 400 साल पुराना बताया जाता है। पुष्य नक्षत्र में मोती डूंगरी मंदिर में भगवान गणेश का 151 किलो दूध से अभिषेक किया जाता है। इसके साथ ही दही, गुड़, शहद, जल से भी अभिषेक किया जाता है।अभिषेक के बाद भगवान गणेश को फूल बंगले में विराजमान किया जाता है और खीर का विशेष भोग लगाया जाता है। छोटी सी पहाड़ी पर स्थित मोती डूंगरी मंदिर जिले में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है।
कहा जाता है कि इस मंदिर का इतिहास करीब 400 साल पुराना है और इसका निर्माण 1761 में सेठ जयराम पालीवाल की देखरेख में हुआ था। तीन गुंबदों से सुसज्जित मोती डूंगरी मंदिर भारत के तीन प्रमुख धर्मों का प्रतिनिधित्व करता है।मोती डूंगरी गणेश मंदिर अपनी शानदार संरचना के लिए जाना जाता है, जिसमें जटिल पत्थर की नक्काशी के साथ-साथ संगमरमर पर बनी पौराणिक छवियां भी हैं।
इससे मंदिर की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है और यह यहां आने वाले धार्मिक बंधुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। कला प्रेमी भक्तों के लिए यह मंदिर गुलाबी नगरी जयपुर के सबसे आकर्षक मंदिरों में से एक है।मंदिर से जुड़ी एक और बात, जो आज भी पुराने लोग कहते हैं, वह यह है कि एक बार मेवाड़ के राजा भगवान गणेश की मूर्ति लेकर यात्रा से लौट रहे थे। तब उन्होंने तय किया कि जहां भी उनकी बैलगाड़ी रुकेगी, उस स्थान पर गणेश मंदिर की स्थापना की जाएगी।
गाड़ी डूंगरी पहाड़ी की तलहटी में रुकी और उसके बाद मेवाड़ के राजा और सेठ जयराम पालीवाल की देखरेख में इसका निर्माण हुआ।जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर जिले के सबसे बड़े गणेश मंदिरों में से एक है और यहां रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान गणेश के दर्शन के लिए आते हैं।हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान गणेश बुध के देवता हैं, इसलिए यहां हर बुधवार को भक्तों की भीड़ रहती है और हर साल करीब 1.25 लाख लोग मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।
इस दौरान मंदिर में भक्तों की भीड़ रहती है और दूर-दूर से श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन के लिए आशीर्वाद लेने आते हैं। भक्तों के लिए मंदिर के द्वार रोजाना सुबह 5 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक और शाम 4:30 बजे से रात 9:30 बजे तक खुले रहते हैं। प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।