



अजमेर(BNE ) इस समय बांग्ला देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर लगातार हमले किये जा रहे है। जिसकी वजह से दोनों देशों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इत्तेहाद-ए-मिल्लत परिषद (आईएमसी) के संस्थापक मौलाना तौकीर रजा खान कहते है कि सरकार मुझे बांग्लादेश जाने की इजाजत दे ताकि हमारी टीम अल्पसंख्यक हिन्दुओं की मदद कर सके। तौकीर ने कहा कि बांग्लादेश में खासतौर पर चुन चुनकर हिन्दू मन्दिरों पर भी हमले किये जा रहे है।
मौलाना तौकीर रजा खान बुधवार को अजमेर में थे , उन्होंने यहाँ एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि मुझे जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक वहां तख्तापलट हुआ है। भारतीय मीडिया इसे इस तरह पेश कर रहा है कि वहां हिंदुओं के खिलाफ जातीय भेदभाव हो रहा है और अगर ऐसा धर्म की वजह से हो रहा है, तो यह बहुत गलत है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। चिश्ती साहब और अन्य लोग भी इसकी निंदा करेंगे। अगर वहां मंदिरों पर हमले हो रहे हैं, तो हम इसका विरोध करते हैं। हम चाहते हैं कि बांग्लादेश में धर्म की वजह से किसी के साथ भेदभाव न हो।”
अजमेर दरगाह विवाद पर उन्होंने कहा, “सीधी बात यह है कि अगर आप खुदाई करेंगे तो कुछ न कुछ तो निकलेगा ही, और अगर आप और गहरे खुदेंगे तो और भी चीजें सामने आ सकती हैं। अगर आप खुदाई करते रहेंगे, तो हो सकता है कि डायनासोर के अंडे या डायनासोर के अवशेष भी मिल जाएं। अब सवाल यह है कि इस खुदाई से देश को क्या लाभ या हानि हो रही है। असल मकसद तो यह नहीं होना चाहिए कि किसी पुराने मंदिर को ढूंढना है, बल्कि उनका असली उद्देश्य अपनी पहचान बनाना है।”
इसके बाद उन्होंने सरकार पर मुसलमानों के खिलाफ ऐलान-ए-जंग का आरोप लगाए हुए कहा, “हिंदुस्तान में सरकार ने मुसलमानों के खिलाफ एक तरह से जंग का ऐलान कर दिया है। सरकार के दबाव में जो अदालतें ऐसे फैसले दे रही हैं, जैसे खोजने का फैसला या सर्वे का फैसला हो रहा है, ये सभी सरकार के दबाव में किए जा रहे हैं। अगर अदालतें इस तरह के फैसले देती हैं तो यह एक बहुत गंभीर बात है, क्योंकि यदि भारत में न्याय व्यवस्था से जनता का विश्वास उठ जाता है, तो इसे जंगलराज की स्थिति कहा जा सकता है। इसलिए, मैं सुप्रीम कोर्ट से अपील करता हूं कि वह इस पर संज्ञान लें और जो भी ऐसे फैसले निचली अदालतों से हो रहे हैं, उन पर तुरंत रोक लगाई जाए।”