
अघोषित महामारी का रूप लेती इंटरनेट की लत-विजय गर्ग
Internet addiction -इंटरनेट ने हमारे जीवन को बदलकर रख दिया है। यह सूचना, मनोरंजन और ज्ञान का असीमित स्रोत बनकर हमारे जीवन को आसान व सुविधाजनक बना रहा है। लेकिन, इसके अत्यधिक उपयोग ने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है- इंटरनेट की लत। यह समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि इसे एक अघोषित महामारी कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। मलेशियाई शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि इंटरनेट की लत और इंटरनेट पर बिताए गए समय के बीच एक गहरा संबंध है, जो उपयोगकर्ताओं के सामाजिक और मानसिक अलगाव को बढ़ावा देता है। इंटरनेट का अत्यधिक उपयोग हमारे दिमाग की संरचना पर गहरा दुष्प्रभाव डाल रहा है। इससे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, स्मरणशक्ति और सामाजिक दृष्टिकोण प्रभावित हो रहे हैं।
‘साइबर एडिक्शन’ या इंटरनेट की लत का अर्थ है आनलाइन गतिविधियों में इतना लीन हो जाना कि यह व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक जीवन को बाधित करने लगे। इंटरनेट – मीडिया, गेम्स, वीडियो स्ट्रीमिंग और अनावश्यक ब्राउजिंग इसके मुख्य कारण हैं। एक आम आदमी रोजाना घंटों इंटरनेट पर बिताता है और यह समय बढ़ रहा है। इंटरनेट का असीमित उपयोग मस्तिष्क के कार्यों को बाधित करता है। लगातार आने वाले नोटिफिकेशन और सूचनाओं की बाढ़ हमारी एकाग्रता को भंग कर देती है । यह हमारी किसी एक कार्य पर ध्यान केंद्रित करने, गहराई से समझने और उसे आत्मसात करने की क्षमता को दुष्प्रभावित करता है। इंटरनेट की लत मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है।Internet addiction –
अत्यधिक स्क्रीन समय चिंता, अवसाद और एकाकीपन जैसी समस्याओं को जन्म देता है। युवा और किशोर वर्ग, जो अपना अधिकतर समय आनलाइन प्लेटफार्म्स पर बिताते हैं, इस लत से सर्वाधिक दुष्प्रभावित हैं। इंटरनेट की लत शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो रही है। लगातार स्क्रीन के सामने बैठने से आंखों में थकान, सिरदर्द, मोटापा और रीढ़ की समस्याएं बढ़ रही हैं। इसके अलावा, अनियमित दिनचर्या और नींद की कमी से दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।Internet addiction –
इंटरनेट की लत मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में गामा अमिनियोब्यूटरिक एसिड (जीएबीए) का स्तर बढ़ा देती है। यह एसिड मस्तिष्क की गतिविधियों जैसे जिज्ञासा, तनाव व नींद को नियंत्रित करता है। जब जीएबीए का स्तर असंतुलित हो जाता है, तो यह बेचैनी, अधीरता, तनाव और अवसाद को बढ़ावा देता है। इंटरनेट की लत मस्तिष्क के तंत्रिका सर्किट को तेजी से और पूरी तरह नए तरीके से प्रभावित कर रही है, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। इंटरनेट की लत शराब और सिगरेट की लत के समान खतरनाक होती जा रही है। डिजिटल डिटाक्स, समय प्रबंधन और जागरूकता अभियान इस लत को कम करने में सहायक हो सकते हैं।Internet addiction –
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब
Post Views: 98