
तकनीक और इनोवेशन के साथ बढ़ती जिम्मेदारियां
डॉ विजय गर्ग
हालांकि, वर्ष 2025 तकनीकी उपलब्धियों का साल रहा, लेकिन कई सवाल भी छोड़ गया। डेटा प्राइवेसी, साइबर सुरक्षा, रोजगार पर ऑटोमेशन का प्रभाव और डिजिटल असमानता जैसे मुद्दे और गहरे हुए। तकनीक ने अवसर बढ़ाए, लेकिन साथ ही सामाजिक-नैतिक ज़िम्मेदारियां भी बढ़ीं।
वर्ष 2025 तकनीक और इनोवेशन के इतिहास में निर्णायक पड़ाव के रूप में दर्ज हो रहा है। यह वर्ष तकनीक के आम जीवन, शासन, अर्थव्यवस्था और वैश्विक शक्ति-संतुलन पर गहरा प्रभाव डालने वाला रहा है। भारत से लेकर दुनिया तक, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, 5जी-6जी, ग्रीन टेक्नोलॉजी, स्पेस टेक और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर नीति और विकास का केंद्रबिंदु बन चुके हैं।
वर्ष 2025 में एआई ने ‘भविष्य की तकनीक’ से निकलकर ‘वर्तमान की वास्तविकता’ का रूप ले लिया। जनरेटिव एआई अब कंटेंट लिखने या चैटबॉट तक सीमित नहीं रहा है। हेल्थकेयर में रोगों की प्रारंभिक पहचान, कृषि में फसल अनुमान, न्याय व्यवस्था में दस्तावेज़ विश्लेषण और उद्योगों में निर्णय-निर्माण तक एआई की पैठ गहरी हुई।
भारत में एआई का उपयोग सरकारी योजनाओं की निगरानी, डिजिटल शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट में तेज़ी से बढ़ा। वहीं दुनिया के स्तर पर एआई रेगुलेशन एक बड़ा मुद्दा बना। यूरोपियन यूनियन ने एआई एक्ट के ज़रिये नियंत्रण की कोशिश की, जबकि अमेरिका और चीन एआई नेतृत्व की होड़ में और आक्रामक होते दिखे। वर्ष 2025 यह भी सिखा गया कि एआई जितना शक्तिशाली है, उतना ही जिम्मेदारी और नैतिकता की मांग भी करता है। यह वर्ष तकनीकी आत्मनिर्भरता को एक वैश्विक रणनीतिक विषय के रूप में उभारने वाला रहा है। सेमीकंडक्टर अब केवल इलेक्ट्रॉनिक चिप नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक शक्ति का प्रतीक बन गए। भारत ने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में ठोस कदम उठाए।
दुनिया में अमेरिका-चीन तकनीकी प्रतिस्पर्धा तेज़ हुई। टेक सप्लाई चेन को ‘फ्रेंड-शोरिंग’ की दिशा में मोड़ा गया। आने वाले वर्षों में तकनीक केवल बाज़ार का नहीं, बल्कि भू-राजनीति का भी हथियार बनेगी।
भारत सहित कई देशों में बड़े पैमाने पर 5जी आकार ले चुका है। लेकिन असली बदलाव इसके उपयोग में दिखा—स्मार्ट सिटी, रिमोट हेल्थकेयर, इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन और स्मार्ट विलेज जैसी अवधारणाएं ज़मीन पर उतरती दिखीं। भारत में 5जी आधारित शिक्षा, कृषि सलाह और टेलीमेडिसिन ने डिजिटल डिवाइड को कम करने की नई उम्मीद जगाई है। इसी बीच दुनिया 6जी की तैयारी में जुट गई। 6जी रिसर्च, स्पीड और अल्ट्रा-लो लेटेंसी को लेकर प्रयोगों ने यह संकेत दे दिया कि आने वाला दशक ‘हाइपर-कनेक्टेड’ समाज का होगा।
वहीं, क्लाइमेट चेंज के बढ़ते खतरे ने ग्रीन टेक्नोलॉजी को नवाचार का केंद्र बना दिया। रिन्यूएबल एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन, बैटरी स्टोरेज और कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी पर निवेश बढ़ा। भारत ने सोलर और ग्रीन हाइड्रोजन में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में कदम बढ़ाए। दुनिया ने यह भी महसूस किया कि एआई और डेटा सेंटर्स की बढ़ती ऊर्जा खपत एक नई चुनौती है।
तकनीक के मोर्चे पर 2025 में देश की सबसे बड़ी पहचान डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर रही। आधार, यूपीआई, डिजिलॉकर और ओपन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने देश के भीतर और वैश्विक मंच पर भी भारत को एक मॉडल के रूप में स्थापित किया। यूपीआई का अंतरराष्ट्रीय विस्तार, डिजिटल भुगतान की बढ़ती स्वीकार्यता और सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण यह दिखाता है कि तकनीक कैसे लोकतांत्रिक विकास का औज़ार बन सकती है।
इस वर्ष अंतरिक्ष तकनीक केवल सरकारों तक सीमित नहीं रही। भारत में निजी स्पेस स्टार्टअप्स, सैटेलाइट, लॉन्च व्हीकल और स्पेस डेटा एनालिटिक्स के क्षेत्र में आगे बढ़े। इसरो की उपलब्धियों के साथ-साथ निजी कंपनियों की भागीदारी ने स्पेस इकोनॉमी को नई गति दी। दुनिया में भी स्पेस टेक, क्वांटम कंप्यूटिंग और बायोटेक जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप्स ने यह दिखाया कि नवाचार अब केवल सिलिकॉन वैली तक ही सीमित नहीं है। हालांकि, वर्ष 2025 तकनीकी उपलब्धियों का साल रहा, लेकिन कई सवाल भी छोड़ गया। डेटा प्राइवेसी, साइबर सुरक्षा, रोजगार पर ऑटोमेशन का प्रभाव और डिजिटल असमानता जैसे मुद्दे और गहरे हुए। तकनीक ने अवसर बढ़ाए, लेकिन साथ ही सामाजिक-नैतिक ज़िम्मेदारियां भी बढ़ीं।
सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग, कृषि सलाह, भाषा अनुवाद और डिजिटल शिक्षा में एआई का उपयोग बढ़ा। वहीं दुनिया भर में एआई को लेकर यह बहस तेज़ हुई कि क्या मशीनें इंसानी नौकरियों को निगल जाएंगी। वर्ष 2025 ने साफ़ किया कि एआई रोजगार छीनने के साथ-साथ नए कौशल और नए अवसर भी पैदा कर रही है।
तकनीक के लिहाज़ से 2025 को ‘संक्रमण का वर्ष’ कहा जा सकता है—जहां दुनिया ने तय किया कि तकनीक केवल सुविधा नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने वाली शक्ति है। आने वाले वर्षों में यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम तकनीक को केवल तेज़ी से अपनाते हैं या उसे समझदारी, समावेशन और सतत विकास के साथ आगे बढ़ाते हैं।
डॉ विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब
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