



होलाष्टक 2025: 7 मार्च से शुरू, जानें इस अवधि के नियम और मान्यताएँ
7 दिन तक रहेंगे विशेष नियम, जानें क्या करना शुभ और क्या अशुभ
होली का पर्व नजदीक है, और उससे पहले आने वाली होलाष्टक की अवधि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस साल होलाष्टक 7 मार्च 2025 से शुरू होकर 13 मार्च 2025 तक रहेंगे, और 14 मार्च को पूरे देश में रंगों का त्योहार होली मनाया जाएगा।
क्या है होलाष्टक और क्यों माने जाते हैं अशुभ?
होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक चलता है। इस दौरान शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है, क्योंकि यह काल ज्योतिषीय रूप से अशुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दौरान किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत करने से बाधाएँ आ सकती हैं।
होलाष्टक के नियम, जिन्हें मानना जरूरी
बाल और नाखून काटने से बचें।
विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि शुभ कार्य न करें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें और संयम बरतें।
भगवान विष्णु की पूजा करें और भगवद गीता का पाठ करें।
हवन और दान करना बेहद शुभ माना जाता है।
घर और मंदिर की साफ-सफाई करें।
लहसुन, प्याज, मांस, अंडा जैसे तामसिक भोजन से बचें।
किसी से झगड़ा या विवाद न करें।
होलाष्टक का धार्मिक महत्व
होलाष्टक के दौरान धार्मिक कार्यों में लीन रहना शुभ माना जाता है। इस समय भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं, जरूरतमंदों को दान करने से कई कष्टों से मुक्ति मिलती है।
होलाष्टक के नियमों का पालन करके नकारात्मक ऊर्जा से बचा जा सकता है और जीवन में सकारात्मकता बढ़ाई जा सकती है।