
रुधिर आरोग्य हेमेटोलॉजी सर्विसेज” लखनऊ की शुभकामनायें !!
‘सामान्य और घातक’ सभी प्रकार के रक्त विकारों से पीड़ित रोगियों के उपचार की व्यवस्था पूर्वी एवं मध्य उत्तर प्रदेश में अत्यंत अपर्याप्त स्थिति में तथा चुनौतीपूर्ण है। इसके मुख्य कारणों में एक तो लखनऊ व् वाराणसी के अलावा किसी भी शहर में ब्लड के विकारों का कोई विशेषज्ञ चिकित्सक का न होना तथा ईलाज हेतु जरुरी संसाधनों से युक्त सरकारी अस्पतालों में लम्बी प्रतीक्षा का अंतराल एवं उपचार के प्रवाह की धीमी गति और निजी / कॉर्पोरेट अस्पतालों में आने वाली अत्यधिक लागत हैं। इन कारणों से, रक्त विकारों के वे रोगी जो ठीक भी हो सकते हैं और चल रहे उपचार पर अच्छी प्रतिक्रिया दे रहे होते हैं, उन्हें भी सरकारी अस्पतालों में उपचार प्रक्रिया की धीमी गति के कारण या निजी तथाकथित कारपोरेट अस्पतालों में मंहगी वित्तीय दरों की बोझ के वजह से चल रहे उपचार को दुर्भाग्यवश रोक देने के लिए प्रायः बाध्य होना पड़ता है।
अगर आकड़ों को देखें तो करीब 22 करोड़ की आबादी के हमारे राज्य में मध्य एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश की आबादी लगभग 15 करोड़ है जिसमे सालाना करीब 110 बोन मैरो प्रत्यारोपण होते हैं जबकि बची हुई 7 करोड़ की आबादी के क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष करीब 350 बोन मैरो प्रत्यारोपण होते हैं
इसका सीधा सम्बन्ध जरुरी संसाधनों से युक्त अस्पतालों एवं चिकित्सा विशेषज्ञों के अभाव के होने से है I रिपोर्ट के अनुसार सभी प्रकार के ब्लड कैंसर में लिम्फोमा 64% ल्युकेमिआ 25% एवं मल्टीप्ल मायलोमा 11% पाया जाता है जबकि एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार भारतवर्ष में वार्षिक तौर पर सभी प्रकार के रक्त कैंसर के औसतन 5 केस प्रति 10 लाख की आबादी में पाए जाते हैं जबकि एप्लास्टिक एनीमिया के करीब 7 केस प्रति 10 लाख आबादी में उल्लेखित हैं
ब्लड कैंसर के इलाज में आने वाली मुख्या चुनौतियाँ
• ब्लड कैंसर के इलाज का खर्च बार बार होने वाले इन्फेक्शन, ब्लड एवं प्लेटलेट्स के ट्रांस्फ्यूसन्स इत्यादि की वजह से बढ़ जाता है
• इसके अलावा फाइनल डायग्नोसिस बनाने के लिए लेबोरेटरी टेस्ट्स भी बहुत महंगे होते हैं
• ब्लड कैंसर से पीड़ित रोगियों का डायग्नोसिस बनाने में अक्सर देर होने से उनकी शारीरिक स्थिति में तेज़ी से गिरावट आती है इस वजह से रोगी की इम्युनिटी वीक होने से बार बार इन्फेक्शन होने की संभावना काफी बढ़ जाती है
• इलाज के दौरान ब्लड एवं प्लेटलेट्स की बहुत अधिक मात्रा में आवश्यकता पड़ती है जिसका उपयुक्त मात्रा में उपलब्ध न होना एक बड़ी समस्या पैदा करतI है
• रुधिर आरोग्य हेमाटोलोग्य सेंटर इन्ही चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए निर्मित किया गया है जहाँ आयुष्मान भारत एवं मुख्य मंत्री रहत कोष के माध्यम से इलाज काफी किफायती दरों पर करने का हमारा प्रयास रहता है
‘रुधिर आरोग्य इंस्टिट्यूट ऑफ़ ब्लड डिसऑर्डर्स एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट’ डॉ सुनील दबड़घाव – सीनियर क्लिनिकल हेमेटोलॉजिस्ट और बोन मैरो ट्रांसप्लांट फिजिशियन की एक पहल है जिसको निम्न 4 मूलभूत सिद्धांतों पर उत्कृष्टता के मॉडल के रूप में अवधारणाबद्ध किया गया है।
1. दक्षता (शीघ्र जांच, निदान और 48 घंटों के भीतर उपचार की शुरुआत)
2. विशेषज्ञता (अनुभव और क्षमता क्षेत्र में प्रीमियम शिक्षण संस्थान के समान)
3. अर्थव्यवस्था (उपचार की अनुमानित कुल लागत सरकारी अस्पतालों के समान है)
4. सहानुभूति (प्रतिबद्ध और सहानुभूतिपूर्ण रोगी देखभाल)
‘रुधिर आरोग्य इंस्टिट्यूट ऑफ़ ब्लड डिसऑर्डर्स एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट’ क्षेत्र में रोगी के लिए एकमात्र मैत्रीपूर्ण मॉड्यूल है, जो रक्त विकारों वाले रोगियों के लिए सस्ती लागत पर गुणवत्ता पूर्ण उपचार प्रदान करने को कटिबद्ध है एवं उत्तर प्रदेश और आस-पास के क्षेत्रों में ‘रक्त विकारों और कैंसर देखभाल’ के भविष्य को समय और उपचार की लागत को अनुकूलित करके पुनर्परिभाषित करने के लिए तत्पर है।
‘रुधीर आरोग्य इंस्टीट्यूट ऑफ ब्लड डिसऑर्डर्स एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट’ 4वीं मंजिल, ओ पी चौधरी अस्पताल, उत्रेठिया, रायबरेली रोड, लखनऊ में स्थित है, और यह वयस्कों और बच्चों में पाए जाने वाले ITP, अप्लास्टिक एनीमिया, ल्यूकेमिया, लिंफोमा, मल्टीपल मायलोमा और कई अन्य सौम्य और घातक रक्त विकारों का गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करता है, साथ ही आवश्यकतानुसार बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी करता है, जो सस्ती दरों पर उपलब्ध है। यह केंद्र पिछले 2 वर्षों से कार्यरत है और पिछले 4 महीनों में डॉ. सुनील दबड़घाव की विशेषज्ञ निगरानी में 5 बोन मैरो ट्रांसप्लांट किए गए हैं।
‘रुधिर आरोग्य इंस्टीट्यूट ऑफ ब्लड डिसऑर्डर्स एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट’ सभी प्रकार के बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने में विशेषज्ञता रखता है, अर्थात्; ऑटोलॉगस, एलोजेनिक और हैप्लो आइडेंटिकल (आधा मिलान के साथ)। सामान्य परिस्थितियों में, ऑटोलॉगस ट्रांसप्लांट की अनुमानित लागत (लगभग रु.) 4.5 से 5.5 लाख है और एलोजेनिक ट्रांसप्लांट की लागत लगभग रु. 8 से 10 लाख है, जो सरकारी अस्पतालों में होने वाले खर्चों के बराबर है। केंद्र सामान्य नागरिक की पहुंच में उपचार लाने के लिए पी एम जे वाई और मुख्यमंत्री राहत कोष जैसी सरकारी योजनाओं के माध्यम से समर्थन प्रदान करता है।
हमारे केंद्र में एक डेकेयर वार्ड, सामान्य वार्ड, आइसोलेशन रूम, बीएमटी कमरे और निजी कमरे हैं और इसमें डॉ. सुनील दबड़घाव – सीनियर क्लिनिकल हेमेटोलॉजिस्ट और बोन मैरो ट्रांसप्लांट फिजिशियन, और डॉ. शिल्पी अग्रवाल, सलाहकार-क्लिनिकल और बाल चिकित्सा हेमेटोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के रूप में अनुभवी हेमेटोलॉजी विशेषज्ञ हैं, साथ ही प्रशिक्षित नर्सिंग, पैरामेडिकल और ऑपरेशनल स्टाफ के साथ-साथ चौबीसों घंटे रक्त संबंधी विकारों वाले रोगियों के लिए अत्याधुनिक चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने के लिए उपस्थित हैं।
गुणवत्ता वाले ब्लड बैंक, रेडियोलॉजी और पैथोलॉजी सुविधाओं और हेमेटोलॉजी प्रबंधन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे से लैस, हम ‘रुधिर आरोग्य इंस्टीट्यूट ऑफ ब्लड डिसऑर्डर एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट’ में रोगियों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल के माध्यम से लम्बा और बेहतर जीवन प्रदान करने को कटिबद्ध हैं कृपया उपरोक्त प्रेस विज्ञप्ति को रक्त कैंसर से पीड़ित रोगी जनसंख्या के व्यापक हित में आपके प्रतिष्ठित मीडिया में प्रकाशित करें।
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