गुरु नानक देव जी की कार्तिक प्रभात फेरी महोत्सव -23 अक्टूबर से 5 नवंबर 2025
धन गुरु नानक सारा जग तारिया -आस्था,सेवा और उनकी अनंत ज्योति का विश्वव्यापी उत्सव

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भारत की भूमि ऋषियों,संतों औरगुरुओं की तपस्थली रही है। यहाँ हर पर्व और परंपरा का एक गहन आध्यात्मिक अर्थ निहित है। इन्हीं अमूल्य परंपराओं में से एक है,सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती से पहले मनाया जाने वाला कार्तिक प्रभात फेरी महोत्सव जो केवल धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक जीवंत आध्यात्मिक यात्रा है, जो समाज को सत्य, प्रेम, समानता और सेवा के पथ पर अग्रसर करती है। यह प्रभात फेरी 23 अक्टूबर से आरंभ होकर 5 नवंबर 2025 तक चलेगी, यह अवधि न केवल भक्तिभाव और सेवा का प्रतीक है,बल्कि सामाजिक जागरण और मानवता के समरसता संदेश की पुनः पुष्टि का अवसर भी है।पूरे कार्तिक मास की पवित्रता, अनुशासन और भक्ति की प्रतीक होगी।प्रभात फेरी का आरंभ कार्तिक मास के आरंभ (8 अक्टूबर) के बाद विशेष रूप से गुरु नानक जयंती की तैयारियों के साथ किया जाता है,और यह गुरु पर्व की पूर्णिमा (5 नवंबर) पर सम्पन्न होती है। इस अवधि में देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनियाँ में श्रद्धालु सुबह- सुबह कीर्तन, भजन, और सेवा के माध्यम से गुरु की शिक्षाओं को आत्मसात करते हैं। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र स्वयंम भी प्रभात फेरी में शामिल हुआ हूं और देखा हूंकि प्रातःकाल लगभग 3:30 या 4 बजे गुरुद्वारों से प्रारंभ होती है।श्रद्धालु संगत एकत्र होकर गुरु ग्रंथ साहिब के आगे मत्था टेकते हैं, और फिर “कीर्तन सोहिला ”या“ जपजी साहिब” का पाठ करते धन गुरु नानक, सारा जग तारिया,जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल के जय घोष करते हुए गाँव या नगर की गलियों से होकर गुजरते हैं। मार्ग में लोग अपने घरों के बाहर दीये जलाकर, फूलों से स्वागत कर इस यात्रा को धन्य करते हैं। फेरी के अंत में गुरुद्वारे में प्रसाद सेवा होती है जिसमें सभी धर्मों के लोग साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस दौरान बच्चों और युवाओं को भी सिखाया जाता है कि गुरु की सच्ची भक्ति केवल पूजा में नहीं, बल्कि सेवा और भक्ति भाव में भी है। यह विशेष रूप से गुरु नानक देव जी के जन्मोत्सव से जुड़ी हुई है। आज गुरु नानक देव जी का संदेश केवल पंजाब या भारत तक सीमित नहीं है, दुनियाँ के 150 से अधिक देशों में प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं।लंदन में साउथहॉल गुरुद्वारा से हजारों श्रद्धालु प्रभात फेरी में भाग लेते हैं।कनाडा के वैंकूवर में भारतीय मूल के लोगों के साथ स्थानीय नागरिक भी इस भक्ति उत्सव में शामिल होते हैं।सिंगापुर, मलेशिया, दुबई, अमेरिका, केन्या, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में सिख समुदाय और अन्य धर्मों के लोग भी गुरु नानक के उपदेशों से प्रेरित होकर प्रभात फेरियों का आयोजन करते हैं।इस प्रकार कार्तिक प्रभात फेरी आज एक वैश्विक सांस्कृतिक संवाद का माध्यम बन चुकी है। प्रभात फेरी में भाग लेने वालों के जीवन में यह अनुभव गहरा आध्यात्मिक परिवर्तन लाता है। भोर के समय जब पूरा वातावरण शांत होता है और वाहेगुरु का नाम गूंजता है, तब व्यक्ति के भीतर की अशांति मिटने लगती है। यह अनुभव बताता है कि आस्था केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि का मार्ग
साथियों बात अगर हम गुरुनानक देव जी की कार्तिक प्रभात फेरी 2025 को समझने की करें तो“सतगुरु की अरदास, प्रभात की प्रभा से विश्व आलोकित ”वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह।आस्था, भक्ति और मानवता के इस पावन संगम में जब सूरज की पहली किरण धरा को स्पर्श करती है, तो गुरबाणी की मधुर वाणी के साथ “वाहेगुरु” का नाम गुंजायमान हो उठता है। यही वह क्षण होता है जब कार्तिक प्रभात फेरी की शुरुआत होती है,वह अनूठी परंपरा जिसे गुरु नानक देव जी ने आध्यात्मिक जागरण और मानवीय एकता का प्रतीक बनाया। पूरे 15 दिवसीय भक्तिमय कालखंड में सिख श्रद्धालु सहित सिंधी व अन्य समाज गुरु नानक जयंती की तैयारी और साधना में डूबे रहेंगे।“प्रभात फेरी” का शाब्दिक अर्थ है,प्रभात (सुबह) के समय की आस्था यात्रा। यह फेरी केवल चलना नहीं, बल्कि संगत (सामूहिकता) के रूप में भक्ति का प्रसार है। जब सूर्योदय से पहले की शांति में भक्तजन “वाहे गुरु,सतनाम” धन गुरु नानक सारा जग तारिया के नाम का उच्चारण करते हुए गलियों, चौपालों और रास्तों से गुजरते हैं, तब यह वातावरण आध्यात्मिक प्रकाश से भर जाता है। प्रभात फेरी आत्मशुद्धि का माध्यम है, यह सिख व अन्य धर्म की उस भावना का प्रतीक है जिसमें कहा गया है कि “नाम जपो, किरत करो,वंड छको”अर्थात ईश्वर का स्मरण करो, ईमानदारी से कार्य करो और सबमें बाँटो। यह लगभग 14 दिनों की धार्मिक यात्रा गुरु नानक जयंती की तैयारी का सबसे पवित्र चरण मानी जाती है। भारत में अमृतसर, पटियाला, लुधियाना, आनंदपुर साहिब, दिल्ली, नांदेड़, पटना साहिब जैसे गुरुद्वारों में प्रभात फेरियों की विशेष व्यवस्था की जाती है।परंतु अब यह परंपरा सीमित नहीं रही।कनाडा,अमेरिका ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, सिंगापुर और दुबई जैसे देशों में बसे सिख समुदाय भी इसे अत्यंत श्रद्धा से मनाते हैं। लंदन के साउथहॉल, वैंकूवर, मेलबर्न, टोरंटो, और कैलिफ़ोर्निया के गुरुद्वारों से प्रभात फेरियाँ निकलती हैं, जिनमें न केवल भारतीय मूल के लोग बल्कि विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग भी भाग लेते हैं। इस तरह यह पर्व “ग्लोबल यूनिटी ऑफ़ स्पिरिचुअल एनर्जी” का प्रतीक बन गया है।

साथियों बात अगर हम इतिहास में प्रभात फेरी की परंपरा व आधुनिक रूप में पर्यावरण और समाज के प्रति संदेश को समझने की करें तो,गुरु नानक देव जी ने 15 वीं शताब्दी में जब आध्यात्मिक यात्रा आरंभ की थी, तब वे अक्सर अपने शिष्यों के साथ प्रभात बेला में भक्ति गीत गाया करते थे। यही परंपरा आगे चलकर प्रभात फेरी के रूप में स्थापित हुई। उनकी यह शिक्षाएँ उस युग में सामाजिक अंधकार में प्रकाश की किरण बनकर फैलीं गुरु नानक देव जी ने जात- पात, अंधविश्वास और धार्मिकभेदभाव के विरुद्ध आवाज़ उठाई और मनुष्य को उसके कर्म और सत्यनिष्ठा से परिभाषित करने की प्रेरणा दी। प्रभात फेरी इन्हीं सिद्धांतों को पुनर्जीवित करती है,यह केवल धार्मिक रिवाज नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और मानवता के जागरण का पर्व है,इस वर्ष की प्रभात फेरी में कई गुरुद्वारों ने ग्रीन प्रभात फेरी की पहल की है। इसका उद्देश्य है कि भक्ति के साथ-साथ प्रकृति की रक्षा भी की जाए। पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता सिख धर्म की मूल भावना से जुड़ी है,क्योंकि गुरुनानक देवजी ने कहा था “पवण गुरु, पानी पिता, माता धरत महत।”इस संदेश के अनुरूप श्रद्धालु पौधरोपण, प्लास्टिक-मुक्त आयोजन और साइकिल प्रभात फेरी जैसी गतिविधियाँ करेंगे। अमृतसर, दिल्ली, पटना साहिब और नांदेड़ के गुरुद्वारों ने इस वर्ष “एक पौधा एक श्रद्धालु अभियान” भी प्रारंभ किया है।
साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्तिक प्रभात फेरी का विस्तार को समझने की करेंतो,21वीं सदी में प्रभात फेरी का स्वरूप अत्यंत वैश्विक हो गया है। विदेशों में बसे भारतीय समुदाय ने इसे “फेस्टिवल ऑफ़ मॉर्निंग डिवोशन”के रूप में स्थापित किया है।कनाडा और ब्रिटेन में सिख समुदाय स्थानीय सरकारों के सहयोग से विशेष परमिट लेकर सड़कों पर प्रभात फेरी निकालता है। इसमें न केवल धार्मिक गीत बल्कि इंटरफेथ संवाद भी होते हैं, जिसमें हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चियन, ज्यू और बौद्ध धर्मों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इससे गुरु नानक की सार्वभौमिक शिक्षा “एक ओंकार सतनाम”का विश्व संदेश फैलता है कि सत्य एक है, परंतु उसे पाने के मार्ग अनेक हैं।गुरु नानक देव जी का दर्शन अत्यंत व्यापक था। उन्होंने कहा “न को हिन्दू न मुसलमान,”अर्थात इंसान को धर्म से नहीं, उसके कर्म से आँकना चाहिए।प्रभात फेरी इसी विचारधारा की व्यावहारिक अभिव्यक्ति है। जब समाज के लोग एक साथ चलकर नाम जपते हैं, तब जाति, धर्म, भाषा और वर्ग का भेद मिट जाता है।यह एक ऐसा आयोजन है जो आत्मा और समाज दोनों को जोड़ता है। इसमें हर व्यक्ति को यह अनुभव होता है कि “हम सब ईश्वर के एक ही प्रकाश के अंश हैं।”
साथियों बात अगर कर हम पवित्र प्रभात फेरी गुरु नानक जयंती 5 नवंबर 2025 क़े समापन का पवित्र क्षण को समझने की करें तो,5 नवंबर 2025 को जब कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाएगी, तब प्रभात फेरी अपने चरम पर होगी। इस दिन सिख गुरुद्वारों में अखंड पाठ, दीवान सजावट,भव्य नगर कीर्तन, लंगर सेवा, और दीयों की रोशनी से वातावरण भक्ति-मय होगादेशभर के गुरुद्वारों में रात भर “शबद कीर्तन”गूंजता रहेगा। अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, नांदेड़ का हज़ूर साहिब, पटना साहिब, दिल्ली का बंगला साहिब और पाकिस्तान के करतारपुर साहिब में लाखों श्रद्धालु एक साथ “वाहे गुरु” के नाम का स्मरण करेंगे।यह दृश्य केवल धार्मिक नहीं बल्कि मानवता की एकता का उत्सव होगा।
साथियों बात अगर हम पवित्र प्रभात फेरी को समाज और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक होने की करें तोआज के युग में जब दुनिया भौतिकता और प्रतिस्पर्धा के जाल में उलझी है, तब प्रभात फेरी युवाओं को एक नया दृष्टिकोण देती है। यह उन्हें सिखाती है कि सफलता का अर्थ केवल धन नहीं, बल्कि आत्म- संतोष और सेवा भावना है।कई स्कूलों और कॉलेजों में इस दौरान गुरु नानक अध्ययन सप्ताह आयोजित किए जाते हैं, जहाँ छात्र उनके जीवन, यात्राओं (उदासियों) और शिक्षाओं का अध्ययन करते हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि, कार्तिक प्रभात फेरी 2025 केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि मानवता एकता और आध्यात्मिकता की विश्व यात्रा है।23 अक्टूबर से 5 नवंबर तक का यह कालखंड हर हृदय को गुरु नानक देव जी की वाणी से भर देगा“नाम जपो कीरत करो, वंड छको।”यह पंद्रह दिन का सफर केवल सड़कों पर नहीं, बल्कि आत्मा के भीतर तय होता है।जैसे सूरज अंधकार मिटाता है, वैसे ही गुरु नानक देव जी की प्रभात फेरी मानवता के हृदय में प्रकाश जगाती है,एक ऐसा प्रकाश जो सीमाओं से परे है, जो सभी को जोड़ता है, और जो कहता है,“वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह।”
गुरु नानक की वाणी हमें फिर याद दिलाती है, “सभ में जोत, जोत है सोई; तिस दै चानण सब में चानण होई।”(हर प्राणी में एक ही प्रकाश है, ईश्वर की ज्योति सबमें समान है।)
*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतर्राष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि सीए(एटीसी) संगीत माध्यमा एडवोकेट किशन सनमुखदास भावानानी गोंदिया महाराष्ट्र 9226229318*