
लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण में गड़बड़ी का आरोपी गैंग फिर प्रदेश अध्यक्षी की कुर्सी कब्जाने की फिराक में!

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी में संगठन की आंतरिक सत्ता पर काबिज होने की जंग खुल कर सामने आ गयी। जिसके कारण दिल्ली और लखनऊ के बीच मची रार रुकने का नाम नहीं ले रही है। लोकसभा चुनाव में केंद्र का चुनाव बता कर यूपी की लोकसभा सीटों के टिकट वितरण में बड़ों-बड़ों के सुझाव को नकार कर सिस्टम वालों को चुनावी मैदान में उतार कर न सिर्फ अपना लोहा मनवाया बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंधकार में रख कर यूपी के चुनाव परिणाम से भाजपा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नीचा दिखाने के चक्कर मे भाजपा को पूर्ण बहुमत से रोक दिया। उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी पर अपने पॉकेट के आदमी को बैठा कर अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिये दो-दो हाथ शुरू हो गया है।टिकटों की कीमत के आरोपी चाहते हैं कि अध्यक्ष उनका बने तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार संगठन पर ऐसा अध्यक्ष चाहते हैं जो टिकट के धंधे का आरोपी न हो।लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल्ली तलब किया तो उन्होंने बताया कि वरिष्ठ कार्यकर्त्ताओं और राज्य की गुप्तचर इकाइयों की रिपोर्ट के आधार पर हमने दो दर्जन टिकटों को बदलने का सुझाव दिया था। लेकिन मेरे सुझाव को दरकिनार कर दिया गया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी रिपोर्ट पेश कर दिया जिसमें तीन दर्जन टिकटों को बदलने का सुझाव दिया गया था। योगी के तर्कों से प्रधानमंत्री को खेल समझते देर नहीं लगी। टिकट वितरण के पिछले खलनायक 2027 के विधानसभा चुनाव में अपनी पसंद का प्रत्याशी उतारना चाहते हैं। 2017 में जब से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभाला है तब से यह गैंग हर दिन योगी को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने की फितरत करता है। अब उस गैंग की सोच है कि यदि विधानसभा चुनाव के 80% टिकट वह बांट ले और भाजपा पुनः सत्ता में लौटे तो वे राज्य में मुख्यमंत्री का नया चेहरा ले आवें। इस लड़ाई का आरंभ होता दिख रहा है।
बतौर मुख्यमंत्री अयोध्या के कलंकित ढांचे को ध्वस्त होने की जिम्मेदारी लेने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नाम पर ब्रज क्षेत्र के बदायूं में हुआ कार्यक्रम सुर्खियों में है।जानकारी के अनुसार इस कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि खुद को कल्याण सिंह का चेला होने का दावा करने वाले केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने कल्याण सिंह के नाम पर कार्यक्रम करवाया और कल्याण सिंह के परिवार से किसी को नहीं बुलाया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व एक राष्ट्र-एक चुनाव कार्यक्रम के संयोजक सुनील बंसल थे।आरोप है कि यूपी महामंत्री संगठन रहते सुनील बंसल ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चौधरी ओम प्रकाश सिंह, फायरब्रांड हिन्दू नेता रहे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विनय कटियार, पूर्व मंत्री बालेश्वर त्यागी जैसे दिग्गज क्षत्रपों को नेपथ्य में पहुंचा दिया। लेकिन कल्याण सिंह के जीते जी वह परिवार की साख पर हाथ नहीं डाल पाये थे।लेकिन जब उन्हें उन्हीं के चेले का साथ मिला तो वह एकमेव लोध क्षत्रप रहे इस परिवार को ठिकाने लगवा दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में राजवीर सिंह ने बीएल वर्मा पर भितरघात करने का घूम-घूम आरोप लगाते रहे लेकिन उनकी सुनने की जगह बंसल व उनसे जुड़े लोग बीएल वर्मा की ताकत बढ़ाते गये।अब स्थिति यहां तक पहुंच गयी है कि जिस परिवार में घुस कर बीएल वर्मा राजनीति में पहचान बनायी उसी को दुश्मन बना लिया। इस संदर्भ में जब कल्याण सिंह के पुत्र पूर्व सांसद राजवीर सिंह से पूछा गया कि बदायूं में कल्याण सिंह के नाम से छात्रावास और पुस्तकालय का लोकार्पण हुआ आप क्यों नहीं गये।उन्होंने कहा कि न ही हमको कोई जानकारी है और न हमको बुलाया गया। यही नहीं राजवीर सिंह के बेटे और कल्याण सिंह के पोते उत्तर प्रदेश सरकार में माध्यमिक व बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार संदीप सिंह को भी नहीं बुलाया गया था। बता दें कि इस कार्यक्रम के संयोजक केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा को कभी कल्याण सिंह ने राजनीति में स्थापित किया था। जब कल्याण सिंह पार्टी से अलग होकर जब राष्ट्रीय क्रांतिदल नाम से पार्टी बनायी तब बीएल वर्मा को उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष बनाया। जब वह भाजपा में वापस हुये तो बीएल वर्मा को ब्रज क्षेत्र का क्षेत्रीय अध्यक्ष बनवाया। इस दौरान बीएल वर्मा ने उत्तर प्रदेश में तत्कालीन महामंत्री संगठन सुनील बंसल से निकटता बना लिया।चूंकि कल्याण सिंह के परिवार को सुनील बंसल की परिक्रमा करना मंजूर नहीं था इस लिये बंसल ने लोध वोटों के नये क्षत्रप बनाने की मंशा से बीएल वर्मा को राज्यसभा भेज दिया।केंद्र में मंत्री बनवाया लेकिन कल्याण सिंह का परिवार साफ-साफ बता चुका है कि स्वाभिमान पर हमले का उत्तर देने हमको आता है।वीएल बर्मा को लेकर राजवीर सिंह अपनी आपत्ति से केंद्रीय नेतृत्व को अवगत करा दिये हैं, लेकिन जिन्होंने कल्याण सिंह के परिवार को ठिकाने लगाने का ठान लिया है उन पर कोई असर नहीं है।
2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर टीम गुजरात (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमितशाह) ने उत्तर प्रदेश को सुनील बंसल की आंख से देखा। पहली बार भाजपा के लोकसभा टिकट के वितरण में मुख्यमंत्री के सलाह को खुल्लम खुल्ला दरकिनार किया गया।आज भी यह आम चर्चा है कि अमितशाह के महामंत्री होते यूपी का प्रभारी, राष्ट्रीय अध्यक्ष व गृहमंत्री रहते बंसल ने प्रदेश को मनमाने ढंग से चलाया। वाया अमितशाह ये बंसल की ही ताकत है कि पार्टी में बिना मंडल पदाधिकारी रहे योगी के शहर गोरखपुर के नेता डॉ राधामोहन दास अग्रवाल सीधे राष्ट्रीय महामंत्री बनवा दिया। अग्रवाल के बारे में कहा जाता है कि गोरखपुर में तब के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को चढ़ा कर उन्हीं के आशीर्वाद से भाजपा से बगावत कर निर्दल लड़ कर भाजपा प्रत्याशी शिवप्रताप शुक्ल को पराजित कर विधायक बने। बाद में वही राधामोहन दास अग्रवाल पिछले कुछ दिनों से योगी आदित्यनाथ को उनके गढ़ गोरखपुर में ही उन्हें चुनौती दे रहे हैं।गोरखपुर में यह आमचर्चा रहती है कि जो कभी योगी को चढ़ा कर विधायक बने आज योगी को चिढ़ा कर राज्यसभा सदस्य और पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री बन गये हैं। अपने पेशे के साथ राजनैतिक दक्षता के धनी डॉ राधामोहन अग्रवाल यूपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सुनील बंसल की पहली पसंद हैं। किसी कारण से यदि पिछड़ा अध्यक्ष बनाना पड़े तो बीएल वर्मा के साथ वह मजबूती से खड़े हैं।
पर्दे के पीछे की जो कहानी है उसे वरिष्ठ लोग अलग-अलग बताते हैं।अस्वस्थ चल रहे भाजपा के एक अति वरिष्ठ नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अध्यक्ष तय कराने के लिये केंद्र और राज्य में बड़ी जंग छिड़ चुकी है। केंद्र चाहता है कि उसकी पसंद का ऐसा व्यक्ति प्रदेश अध्यक्ष बने जो उन चंद लोगों के कॉकस में शामिल होकर विधानसभा का टिकट बांटे। जिससे लोकसभा चुनाव की तरह पार्टी को विजय का अनुमानित लक्ष्य मिले या न मिले लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नीचा दिखाया जा सके। कई तरीके से उनका लक्ष्य उन्हें मिल गया। लोकसभा चुनाव में जीत को लेकर ओवर कॉन्फिडेंस में यह टीम डबल मुनाफे के फेर में गलत टिकट बांट कर पराजय का ठीकरा योगी आदित्यनाथ पर फोड़ कर उनको हटाने के लिये दिन रात जुटी थी। लेकिन दांव उल्टा पड़ गया। लेकिन आज भी यह टीम योगी आदित्यनाथ को हटाने के फेर में सक्रिय रहती है। यही टीम अब उत्तर प्रदेश की अध्यक्षी की सीट पर कब्जा करके विधानसभा के टिकट वितरण की मंडी में फिर से अपनी सत्ता स्थापित करने का जंग लड़ रही है। फिलहाल राहुल गांधी ने जातीय जनगणना और अखिलेश यादव ने पीडीए के सामने दबाव में खड़ी भाजपा के सामने पिछड़ी में गैर यादव और दलित में गैर जाटव समाज के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाने का दबाव दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है।
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