



प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और नेतृत्व में विगत 10 वर्षों में देश में बेहतरीन वातावरण का निर्माण हुआ : मुख्यमंत्री
महाकुम्भ 2025 दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन बन चुका, अब तक 53 करोड़ श्रद्धालुजन पावन त्रिवेणी के संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके
प्रधानमंत्री जी ने हमें सर्वप्रथम अनुभव कराया कि भारतीय होने के नाते भारत से जुड़े मूल्यों, आस्था व देशी उत्पाद को महत्व देकर स्वयं की महत्ता को बढ़ा सकते
LUCKNOW BNE)मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में विगत 10 वर्षों में देश में बेहतरीन वातावरण का निर्माण हुआ है। देश में पहली बार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आस्था को सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्होंने भारत के पोटेंशियल को पहचान कर उन स्थलों को मान्यता प्रदान कराने का कार्य किया जिनके कारण यह देश भारत के रूप में जाना जाता है। महाकुम्भ 2025 दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन बन चुका है। महाकुम्भ में अब तक 53 करोड़ श्रद्धालुजन मां गंगा, मां यमुना तथा मां सरस्वती की पावन त्रिवेणी के संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। महाकुम्भ के आयोजन के माध्यम से हम भारत की आस्था की ताकत को दुनिया के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। अगले 09 दिनों तक यह उत्सव इसी रूप में चलेगा।
मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर युवा उद्यमियों से संवाद कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने मुम्बई से आये युवा उद्यमियों से कहा कि इस महा आयोजन के समय आप सभी को उत्तर प्रदेश आने का अवसर प्राप्त हुआ। आपको प्रदेश के अनेक स्थलों को देखने का मौका प्राप्त होगा। अयोध्या, प्रयागराज तथा काशी में वर्तमान में देश-दुनिया से आए हुए श्रद्धालुजन बड़ी संख्या में पधारे हैं। वह सभी बड़े श्रद्धा भाव से अपनी आस्था को व्यक्त कर रहे हैं। अयोध्या में 500 वर्षों की प्रतीक्षा के पश्चात प्रभु श्रीराम अपने भव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं। विगत 01 वर्ष में अयोध्या पधारे श्रद्धालुओं की गिनती करना अत्यन्त कठिन कार्य है। वर्ष 2017 से पूर्व अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या लगभग 2,35,000 हुआ करती थी। वर्ष 2024 में यहां 14 से 15 करोड़ श्रद्धालु प्रभु श्रीराम के दर्शन हेतु आए हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा किये जा रहे कार्य जनता के कॉन्ट्रिब्यूशन का ही परिणाम है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि काशी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर बनने से पूर्व श्रद्धालुओं की संख्या अत्यन्त कम होती थी। आज यह संख्या बढ़कर काफी ज्यादा हो चुकी है। मैं परसों काशी में था। वहां काशी वासियों ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी संख्या कभी नहीं देखी, जितनी विगत डेढ़ महीने से देख रहे हैं। प्रयागराज में वर्ष 2013 के कुम्भ में 55 दिनों के आयोजन में कुल 12 करोड़ श्रद्धालु आए थे। वर्ष 2019 के कुम्भ को प्रयागराज कुम्भ के रूप में आयोजित किया गया। उस समय प्रयागराज में लगभग 24 करोड़ श्रद्धालुजन व पर्यटक आए थे। महाकुम्भ 2025 में कुल 45 दिनों के आयोजन में 36 दिन व्यतीत हो चुके हैं। अब मात्र 09 दिन शेष बचे हैं। विगत 35-36 दिनों में ही 53 करोड़ से अधिक श्रद्धालु प्रयागराज आ चुके हैं। विगत 28, 29 तथा 30 जनवरी, मात्र इन तीन दिनों में 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। 28 जनवरी को साढ़े 05 करोड़ से अधिक श्रद्धालु, 29 जनवरी को लगभग 08 करोड़ श्रद्धालु तथा 30 जनवरी को लगभग ढाई करोड़ श्रद्धालुजन प्रयागराज पधारे थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब वे आज प्रातः काल 8ः00 बजे रिपोर्ट ले रहे थे, तब तक आज के दिन ही लगभग 40 लाख श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके थे। यह क्रम दिनभर चलता रहेगा। रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट्स, पार्किंग प्लेस बस स्टेशन पूर्ण रूप से व्यस्त हैं। केंद्र तथा राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अपने स्तर पर अनेक कार्य किए। इनमें बुनियादी सुविधाएं, अवसंरचना, अच्छी कनेक्टिविटी, मेले का विस्तारीकरण, संगम में जल की प्रचुर मात्रा की व्यवस्था आदि व्यवस्थाओं पर लगातार प्रयास किये जा रहे थे। अंततः सारे कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में सफलता प्राप्त हुई। प्रयागराज में 40 रुटीन फ्लाइट्स के साथ-साथ 700 से अधिक अन्य चार्टर्ड प्लेन उतारे गए हैं। रेलवे प्रतिदिन सैकड़ों मेला स्पेशल ट्रेनें संचालित कर रहा है। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की 14,000 बसें भी चलाई जा रही हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आस्था को सम्मान प्राप्त होना चाहिए। आस्था का आर्थिक पक्ष इससे भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक सज्जन से प्रयागराज में द्वादश ज्योतिर्लिंगों से सम्बन्धित रेप्लिका बनाने का निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुआ। उन्होंने इस सम्बन्ध में एक मॉडल प्रस्तुत किया। उनसे पुराना लोहा, स्टील, फाइबर, टायर आदि पदार्थों का उपयोग करते हुए रेप्लिका तैयार करने को कहा गया। सज्जन ने कहा कि आप मुझे भूमि उपलब्ध कराइये, पैसा वह स्वयं लगाएंगे तथा मिले हुए लाभ का 50-50 प्रतिशत हिस्सा सरकार के साथ बांटा जाएगा।
नगर निगम के माध्यम से उन्हें 11 एकड़ लैंड उपलब्ध कराई गई। पार्टी ने पैसा लगाया। जनवरी फर्स्ट वीक में मेरे द्वारा रेप्लिका का उद्घाटन किया गया। उस संस्था ने कुल 14 करोड़ रुपये की लागत लगाई थी। 10 से 31 जनवरी तक संस्था 14 करोड़ रुपये का लाभ कमाकर नगर निगम को दे चुकी है। आप सभी उद्यमी हैं, क्या आज के दिन पर कोई ऐसा प्रोजेक्ट है, जो मात्र 21 दिनों में मूल पूंजी के साथ-साथ अतिरिक्त लाभ भी कमा सके। यह स्प्रिचुअल टूरिज्म के माध्यम से सम्भव है। यह कार्य प्रयागराज में एक जगह हुआ है। ऐसे ही लाखों लोगों को काम मिला है तथा उनकी आमदनी में वृद्धि हुई है। यह आमदनी अल्टीमेटली प्रदेश की आमदनी का भाग बनने जा रही है। यदि प्रयागराज में श्रद्धालुओं की संख्या 60 करोड़ से अधिक पहुंचती है तो प्रदेश की जी0डी0पी0 में सवा 03 से साढ़े 03 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त वृद्धि होगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने हमें सर्वप्रथम अनुभव कराया कि भारतीय होने के नाते भारत से जुड़े मूल्यों, आस्था व देशी उत्पाद को महत्व देकर स्वयं की महत्ता को बढ़ा सकते हैं। दूसरों की उपलब्धियों पर गर्व करने के स्थान पर यदि हम अपने पूर्वजों की विरासत पर गौरव की अनुभूति करेंगे, तो हम दुनिया को बहुत कुछ दे पाएंगे। प्रयागराज आज यही कार्य कर रहा है। हमारे पास क्या पोटेंशियल तथा स्केल है, यह प्रयागराज महाकुम्भ, काशी तथा अयोध्या बता रहे हैं। इससे अनेक लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है। प्रयागराज महाकुम्भ का वृहद आयोजन देश व दुनिया को आकर्षित कर रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से वर्ष 2018 में प्रदेश में ‘एक जनपद एक उत्पाद’ योजना लागू की गई। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के परम्परागत एम0एस0एम0ई0 सेक्टर के उत्पादों की मैपिंग के उपरांत प्रत्येक जनपद के लिए एक उत्पाद को चिन्हित किया गया। ओ0डी0ओ0पी0 उत्पादों को डिजाइनिंग, मार्केटिंग, पैकेजिंग तथा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहायता प्रदान की गई। इससे हमारे निर्यात में वृद्धि हुई। प्रदेश ने देश को नया ब्रांड उपलब्ध कराया। इस योजना के माध्यम से लाखों लोगों को रोजगार प्रदान किया गया। पहले विभिन्न पर्व व त्योहारों पर चीन से आए उत्पादों से यहां के बाजार भरे होते थे। आज लोग एक जनपद एक उत्पाद से निर्मित गिफ्ट अपने सगे संबंधियों को प्रदान करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति इस उत्पाद को अपने घर में रखने पर गौरव की अनुभूति करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मुरादाबाद में पीतल के उत्पाद निर्मित होते हैं। वर्ष 2017 से पूर्व वहां के लोगों में बहुत निराशा थी। वहां पीतल से जुड़े कार्य लगभग बंदी की कगार पर थे। प्रदेश सरकार द्वारा इस उद्योग को सपोर्ट किया गया। परिणाम स्वरुप आज मुरादाबाद से 16 हजार से 17 हजार करोड़ रुपये के उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। प्रदेश में भदोही, मिर्जापुर तथा वाराणसी कारपेट क्षेत्र के महत्वपूर्ण केंद्र हैं। यह उद्योग पहले लगभग बंदी की कगार पर था। इसको डिजाइन, टेक्नोलॉजी तथा मार्केट के साथ जोड़ा गया। एक्सपो मार्ट का निर्माण किया गया। आज इस क्षेत्र से घरेलू बाजार को छोड़कर, 08 हजार से 10 हजार करोड़ रुपये मूल्य के कारपेट निर्यात किए जाते हैं। फिरोजाबाद का ग्लास उद्योग पुनर्जीवित हो चुका है। प्रदेश के प्रत्येक जनपद का उत्पाद नए रूप में लोगों को आकर्षित कर रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज भारत स्वयं की तकनीक पर विश्वास कर रहा है। हर भारतीय इस अभियान से जुड़ने को तैयार है। इस जुड़ाव का लाभ भारत को प्राप्त हो रहा है। प्रदेश ने विगत 08 वर्षों में अत्यन्त प्रगति की है। उत्तर प्रदेश के बदलते परसेप्शन, बड़ी मात्रा में प्राप्त हुए निवेश प्रस्तावों, सुरक्षा तथा सुदृढ़ कानून-व्यवस्था को आप इससे जोड़कर देख सकते हैं। प्रदेश में इस दौरान अनेक रिफॉर्म किए गए। प्रधानमंत्री जी की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए राज्य में अनेक कदम उठाए गए। प्रदेश को निवेश का बेहतरीन गंतव्य बनाने के लिए सिंगल विंडो प्लेटफॉर्म, लैंड बैंक, सुरक्षा का वातावरण उपलब्ध कराया गया। प्रत्येक स्तर पर मॉनिटरिंग के मेकैनिज्म को मजबूत किया गया। परिणामस्वरूप आज प्रत्येक व्यक्ति प्रदेश में निवेश करने को तैयार है। निवेश के माध्यम से प्रदेश के लाखों युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं आगे बढ़ीं हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के अलग-अलग सेक्टर में अनेक कार्य किए गए। निवेश के साथ-साथ पुलिस के आधुनिकीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि पर कार्य किया गया। प्रदेश में 57 हजार ग्राम पंचायतें हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत में 05 से 06 नए रोजगार सृजित किए गए हैं। इसके माध्यम से गांव के ही योग्यतम व्यक्ति को रोजगार प्रदान किया गया है। साफ-सफाई से लेकर कम्प्यूटर ऑपरेटर तथा ट्यूबवेल ऑपरेटर तक के कार्य में गांव के ही युवाओं को रोजगार में लगाया गया है। गांव आत्मनिर्भर बन रहे हैं। उत्तर प्रदेश देश के उन चुनिंदा राज्यों में से है, जहां गांव में प्रदेश की बड़ी आबादी रहती है। यहां 65 से 70 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। हमारे यहां शहरीकरण काफी देर से प्रारंभ हुआ। यद्यपि पहले उत्तर प्रदेश में देश के बड़े महानगर हुआ करते थे। कानपुर देश के चार महानगरों में गिना जाता था। लखनऊ, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज आदि अन्य महानगर थे। समय के अनुकूल माहौल न होने के कारण स्थिति बिगड़ती गई। एक समय ऐसा भी आया, जब सारी व्यवस्थाएं ठप हो गईं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश के महानगर नई दूरी तय करने के लिए उतावले दिखाई दे रहे हैं। शहरीकरण में तेजी से हो रही वृद्धि के अनुरूप सुविधाओं में विस्तार के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। यदि आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं दिया होता तो क्या तीन दिनों में 15 करोड़ श्रद्धालुओं का लोड प्रयागराज बर्दाश्त कर पाता। पहले कुम्भ का क्षेत्रफल 1,000 एकड़ होता था। वर्ष 2013 के कुम्भ में यह क्षेत्रफल 2,000 एकड़ हुआ। प्रयागराज महाकुम्भ का आयोजन 10,000 एकड़ क्षेत्रफल में किया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा महाकुम्भ 2025 के आयोजन में साढ़े 07 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यह धनराशि अधिकतर इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च की गई है। इसमें प्रयागराज में 14 नए फ्लाईओवर, 06 अंडरपास का निर्माण, 200 से अधिक सड़कों के चौड़ीकरण का कार्य, नए कॉरिडोर्स का निर्माण, रेलवे स्टेशन का विस्तारीकरण, एयरपोर्ट के टर्मिनल्स का विस्तारीकरण, नए घाटों का निर्माण आदि कार्य सम्मिलित हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कुम्भ मेले की व्यवस्था की दृष्टि से कुल 1500 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। यह सभी कार्यक्रम इसी गति से आगे बढ़ रहे हैं। प्रयागराज, काशी, अयोध्या गोरखपुर, नैमिष, चित्रकूट आदि स्थलों पर बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था की गई है। अयोध्या की सड़कों का चौड़ीकरण किया गया है। सिंगल लेन सड़कों को डबल लेन तथा फोरलेन में बदला गया है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण किया गया है। काशी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का निर्माण किया गया है। कुछ लोग इन कार्यों का विरोध कर रहे थे। इस विरोध के बीच से रास्ता निकालकर दूरगामी सोच के साथ जब सरकार कार्य करती है, तो उसके अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। इसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। जब इस प्रकार के निर्णय लिए गए तो इसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए।
अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में एक वर्ष में 700 करोड़ रुपये का चढ़ावा आया है। जब हम लोग शुद्ध अंतःकरण से कार्य करते हैं, तो उसके शुद्धता पूर्ण परिणाम भी प्राप्त होते हैं। प्रयागराज में भारतीय रेल ने 09 रेलवे स्टेशनों का विस्तारीकरण किया है। प्रतिदिन 05 से 07 लाख श्रद्धालु ट्रेनों के माध्यम से प्रयागराज आ रहे हैं तथा अपने गंतव्य की ओर सुरक्षित प्रस्थान कर रहे हैं। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं की आस्था को सम्मान देने से भारत तथा भारतीयता को सम्मान की प्राप्ति हो रही है।
मुख्यमंत्री जी ने युवा उद्यमियों से कहा कि आप सभी प्रदेश के विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व के स्थलों अयोध्या, काशी तथा प्रयागराज आदि का भ्रमण करें। भीड़ है, लेकिन इस भीड़ में विचरण करने का अलग आनंद है। देश-विदेश से आए हुए श्रद्धालुओं के उत्साह को देखना चाहिए। अयोध्या में सरयू जी में डुबकी लगाकर प्रभु श्रीराम का दर्शन करना अविस्मरणीय होता है। प्रयागराज के संगम में डुबकी लगाने से व्यक्ति के जन्म और जीवन धन्य हो जाते हैं। स्नान के समय मुंह से ‘हर हर गंगे’ शब्द स्वतः ही उच्चारित हो उठते हैं। प्रयागराज के अक्षयवट को कॉरिडोर से जोड़ा जा चुका है। श्री बड़े हनुमान जी मंदिर में लेटे हनुमान जी के विषय में मान्यता है कि प्रतिवर्ष मां गंगा इनका अभिषेक करती हैं। यह वर्षा काल की समाप्ति का सूचक माना जाता है। प्रयागराज में आपको मां गंगा व मां यमुना के प्रत्यक्ष दर्शन होंगे, लेकिन मां सरस्वती के दर्शन के लिए सरस्वती कूप जाना पड़ेगा। प्रयागराज में लगभग 12 से 14 नए कॉरिडोर्स का निर्माण किया गया है। आपको शिवालय पार्क भी अवश्य देखना चाहिए। 21 दिनों में मूल पूंजी वापस होने के साथ-साथ लाभ की प्राप्ति कैसे होती है, यह अनुभव शिवालय पार्क देखकर किया जा सकता है।
एक उद्यमी द्वारा प्रयागराज महाकुम्भ, काशी तथा अयोध्या के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के बारे में उत्सुकता जताने पर मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारत की आध्यात्मिक भूमि के रूप में प्रयागराज की महत्ता रही है। वहां प्राचीन काल से ही मां गंगा, मां यमुना तथा मां सरस्वती की त्रिवेणी में स्नान कर लोग पुण्य की प्राप्ति करते रहे हैं। प्रभु श्रीराम जब वनवास कालखण्ड में प्रयागराज जाते हैं, तो उनको पहला दर्शन महर्षि भारद्वाज का होता है। महर्षि भारद्वाज के परामर्श से वह महर्षि वाल्मीकि से मिलते हैं। महर्षि वाल्मीकि उनको चित्रकूट रहने की सलाह देते हैं। 14 वर्ष के वनवास के पश्चात जब प्रभु श्रीराम वापस आते हैं तो सर्वप्रथम महर्षि भारद्वाज का दर्शन करने हेतु प्रयागराज आते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज के इष्ट देव भगवान विष्णु के बाल रूप भगवान बेनी माधव हैं। अक्षय वट भगवान बेनी माधव का स्वरूप है। अक्षयवट के बारे में यह मान्यता है कि यह प्रलय काल में भी उपस्थित रहता है। मुगल शासकों ने अक्षयवट को नष्ट करने के अनेक प्रयास किये। लेकिन वह इस कार्य में सफल नहीं हुए। वह आज भी अक्षय रूप में खड़ा है। अर्थात् जो कभी क्षय नहीं हो सकता वह अक्षय होता है। मां सरस्वती के दर्शन संगम में प्रत्यक्ष नहीं होते, उनकी अनुभूति होती है। गंगा तट पर स्थित किले में मौजूद सरस्वती कूप में मां सरस्वती के दर्शन किए जा सकते हैं। महाकुम्भ के बारे में मान्यता है कि देवासुर संग्राम में समुद्र मंथन द्वारा निकले रत्नों में विष व अमृत भी निकला। अमृत की बूंदें जिन-चार क्षेत्रों में गिरी उनमें से एक प्रयागराज भी है। हरिद्वार, नासिक तथा उज्जैन में भी कुम्भ का आयोजन होता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि काशी भगवान विश्वनाथ की पावन धरा है। बाबा विश्वनाथ ने लम्बे समय तक तपस्या के माध्यम से काशी की धरती को पवित्र किया। यह दुनिया की प्राचीनतम नगरी है। यह ज्ञान की नगरी के रूप में भी जानी जाती है। काशी भारत की आध्यात्मिक परम्परा की नगरी के रूप में भी विख्यात रही है। आज भी यह प्राचीनता पर परिलक्षित होती है। प्रधानमंत्री जी काशी से ही देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने प्राचीनता को संरक्षित करते हुए काशी को नए कलेवर के रूप में विकसित किया है।
अयोध्या मानवता की पहली भूमि है। भगवान मनु से लेकर भगवान ऋषभदेव तक यह परम्परा आगे बढ़ती है। जैन परम्परा के महत्वपूर्ण तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने अयोध्या में जन्म लिया था। उनके बारे में कहा जाता है कि वह पहले राजा हैं, लेकिन ऋषि होने के कारण उन्होंने इस पद को मान्यता नहीं दी। पहले राजा के रूप में मनु को मान्यता प्राप्त हुई। प्रलय के बाद मनु ने सृष्टि की रचना की तथा व्यवस्था को संचालित करने के नियम बनाए। बाद में इसी परम्परा में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ। अंततः प्रभु श्रीराम जन्मभूमि के रूप में अयोध्या देश दुनिया में जानी गई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या मां सरयू के तट पर स्थित है। प्रयागराज मां गंगा, मां यमुना तथा अदृश्य मां सरस्वती के संगम पर स्थित है। काशी भी मां गंगा के तट पर स्थित है। काशी, अयोध्या तथा प्रयागराज पूर्वी उत्तर प्रदेश के अन्तर्गत आते हैं। पश्चिम में स्थित मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि तथा वृंदावन लीला भूमि है। वहां अन्य तीर्थ स्थलों को भी प्रदेश सरकार विकसित कर रही है।
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