ब्रिटेन का भारत के साथ पहला सबसे महत्वपूर्ण कारोबारी समझौता-4 वर्षों की मेहनत रंग लाई
भारत ब्रिटेन व्यापक आर्थिक व कारोबारी समझौता (सीईटीए) पक्का-द्विपक्षीय रिश्तो का विज़न डॉक्यूमेंट 2035 क़ा भी ऐतिहासिक करार-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ जानती है कि भारत सहित अनेको देशों पर अंग्रेजों यानें इंग्लैंड का शासन था यानें वे सभी देश गुलामी के साए में जी रहे थे। समय का चक्र ऐसा घूमा कि आज इस देश का प्रधानमंत्री भी एक भारतीय मूल का ऋषि सुनक बना था,तथा आज भी शासकीय प्रशासकीय व सरकार में मूल भारतीयों के अनेकों लोग हैं, जो ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था संभाल रहे हैं। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र, मानता हूं कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था कुछ अच्छी नहीं है, इसलिए ही वह आर्थिक सूची में भारत से पीछे यांने 6 नंबर पर है, व भारत चार नंबर पर है जो शीघ्र ही तीन नंबर पर होने की पूरी पूरी संभावना है। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि भारत व ब्रिटेन के बीच आज 24जुलाई 2025 को व्यापकआर्थिक व्यापार समझौता (सीईटीए) व पारस्परिक दोहरा योगदान संधि (डीईसी) समझौता हुआ है, जिसका लाभ दोनों देशों की इकोनॉमी को एक बूस्टर डोज है, टेंशन के खिलाफ संजीवनी बूटी है,आर्थिक भगोड़ों का प्रत्यारर्पण संभव? इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, यूरोपीय संघ से बाहर निकालने के बाद ब्रिटेन का भारत के साथ पहला सबसे महत्वपूर्ण कारोबारी समझौता-चार वर्षों की मेहनत रंग लाई।
साथियों बात अगर हम भारत और ब्रिटेन के बीच 24 जुलाई 2025 को हुए ऐतिहासिक समझौते की करें तो भारत और यूनाइटेड किंगडम ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे वर्षों से चली आ रही लंबी बातचीत का अंत हुआ और उनकी आर्थिक साझेदारी में एक नए चरण की शुरुआत हुई। यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देगा और प्रमुख क्षेत्रों में बेहतर बाज़ार पहुँच प्रदान करेगा। भारत और ब्रिटेन ने मुक्त व्यापार समझौता हो गया है, जिससे आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और 2030 तक व्यापार को 120 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हुए इस समझौते पर वाणिज्य मंत्री और उनके ब्रिटिश समकक्ष ने भारतीय और ब्रिटेन के पीएम की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। भारत -ब्रिटेन एफटीए से भारत के लिए प्रमुख आर्थिक लाभ प्राप्त होने का वादा किया गया है, क्योंकि इससे 99 पेर्सेंट भारतीय निर्यात पर टैरिफ समाप्त हो जाएगा, जो व्यापार मूल्य का लगभग 100 पेर्सेंट होगा।भारतीय व्यवसायों को ब्रिटेन में शून्य- शुल्क पहुँच का लाभ मिलेगा, जिसमें कपड़ा, जूते, कालीन, कार और समुद्री उत्पादों का निर्यात भी शामिल है, जिन पर वर्तमान में 4-16 पेर्सेंट का शुल्क लगता है।ब्रिटेन को भारत में स्कॉच व्हिस्की और प्रीमियम कारों जैसी विलासिता की वस्तुओं पर शुल्क में कमी देखने को मिलेगी। भारत और ब्रिटेन दोनों देशों के पीएम ने आज ऐतिहासिक भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते [सीईटीए] पर हस्ताक्षर के बाद भारत और ब्रिटेन के उद्योगपतियों से मुलाकात की। बैठक में स्वास्थ्य, फार्मास्यूटिकल्स, रत्न एवं आभूषण, ऑटोमोबाइल, ऊर्जा, विनिर्माण, दूरसंचार, प्रौद्योगिकी, आईटी, लॉजिस्टिक्स, वस्त्र और वित्तीय सेवा क्षेत्रों के दोनों पक्षों के प्रमुख उद्योगपति उपस्थित थे। ये क्षेत्र दोनों देशों में रोजगार सृजनऔर समावेशी आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।दोनों नेताओं ने हाल के वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों में हुए विस्तार का उल्लेख किया। उद्योगपतियों के साथ बातचीत करते हुए, उन्होंने उन्हें व्यापार,निवेश और नवाचार साझेदारी को गहरा करने के लिए सीईटीए से मिलने वाले अवसरों की पूरी क्षमता का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाकर आर्थिक विकास को गति देने की अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, उन्होंने कहा कि यह नया समझौता दोनों अर्थव्यवस्थाओं और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में व्यापारिक भावना को बढ़ावा देगा। सीईटीए के ठोस लाभों पर प्रकाश डालते हुए, दोनों नेताओं ने दोनों देशों के प्रमुख उत्पादों और नवाचारों की एक प्रभावशाली श्रृंखला प्रदर्शित की। प्रदर्शनियों में रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग सामान, गुणवत्तापूर्ण उपभोक्ता उत्पाद और उन्नत तकनीकी समाधान शामिल थे।भारत-ब्रिटेन के उद्योग प्रमुखों ने ऐतिहासिक व्यापार समझौते की सराहना की और आशा व्यक्त की कि यह व्यापक रणनीतिक साझेदारी में एक नए युग की शुरुआत करेगा और न केवल व्यापार और अर्थव्यवस्था में, बल्कि उभरती प्रौद्योगिकियों, शिक्षा, नवाचार, अनुसंधान और स्वास्थ्य क्षेत्रों में भी सहयोग को गहरा करेगा।दोनों नेताओं ने नए समझौते की क्षमता का दोहन करने और आने वाले वर्षों में आर्थिक सहयोग के बंधनों को गहरा करने के लिए छोटे और बड़े व्यवसायों को समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
साथियों बात अगर हम ब्रिटेन के साथ हुए करार के बाद पीएम द्वारा ऐतिहासिक समझौते की घोषणा की करें तो उन्होंने कहा,भारतीय वस्त्र, जूते, रत्न एवं आभूषण,समुद्री खाद्य और इंजीनियरिंग वस्तुओं को ब्रिटेन के बाज़ार में बेहतर पहुँच मिलेगी। ब्रिटिश बाज़ार में भारत के कृषि उत्पादों और प्रसंस्कृत खाद्य उद्योग के लिए भी नए अवसर खुलेंगे।यह समझौता भारत के युवाओं, किसानों, मछुआरों और एमएसएमई क्षेत्र के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा। साथ ही, ब्रिटेन में बने उत्पाद—जैसे चिकित्सा उपकरण और एयरोस्पेस पुर्जे-भारतीय उपभोक्ताओं और उद्योग के लिए अधिक सुलभ और किफायती हो जाएँगे।भारत-ब्रिटेन एफटीए में इस स्तर पर कार्बन सीमा समायोजन तंत्र ( सीबीएएम ) – तथाकथित कार्बन कर – शामिल नहीं है, लेकिन दोनों पक्षों ने कहा कि इस पर बाद में चर्चा की जाएगी।भारत और ब्रिटेन अगले दशक में दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी के हिस्से के रूप में ‘विजन 2035’ कार्यक्रम पर भी चर्चा करेंगे। सरकार द्वारा एफटीए एजेंडे को गति देने के बाद से किसी विकसित पश्चिमी अर्थव्यवस्था के साथ भारत का पहला बड़ा द्विपक्षीय व्यापार समझौता है,जो निर्यात बाजारों में विविधता लाने और निवेश आकर्षित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
साथियों बात अगर हम इस सीईटीए करार से किसानों मजदूरों एमएसएमई मध्यवर्गीय व व्यापार जगत को फायदा होने की करें तो, प्रमुख क्षेत्रों में बड़ी बढ़त भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि भारत- यूके एफटीए से भारतीय किसानों को यूके के 37.5 बिलियन डॉलर के कृषि बाजार तक तरजीही पहुंच मिलेगी, जबकि डेयरी, सब्जियां, सेब, खाना पकाने के तेल और जई जैसे संवेदनशील भारतीय क्षेत्रों की रक्षा होगी। मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारतीय मछुआरों के लिए एक बड़ी सफलता हासिल हुई है, क्योंकि समुद्री उत्पादों पर ब्रिटेन का आयात शुल्क – जो वर्तमान में 20 पेर्सेंट तक है – शून्य हो जाएगा, जिससे 5.4 बिलियन डॉलर का बाजार खुल जाएगा।मंत्रालय ने बयान में कहा कि श्रम-प्रधान क्षेत्रों में रोज़गार सृजन में तेज़ी आने की उम्मीद है, क्योंकि भारतीय निर्यात ब्रिटेन में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर रहा है। बयान में कहा गया है कि कपड़ा और परिधान, रसायन और मूल धातुओं पर अब कोई शुल्क नहीं लगेगा,जो पहले क्रमशः12 पेर्सेंट 8 पेर्सेंट और 10 पेर्सेंट तक के टैरिफ से कम होगा।स्कॉच व्हिस्की पर सीमा शुल्क में प्रस्तावित कटौती – 150 पेर्सेंट से 75 पेर्सेंट तक, तथा उसके बाद 5 पेर्सेंट वार्षिक कटौती होंगी इस क्षेत्र से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा इससे उत्पादकों के मार्जिन में वृद्धि हो सकती है, लेकिन इससे भारतीय व्हिस्की बाजार में कोई महत्वपूर्ण बदलाव आने की संभावना नहीं है।उन्होंने कहा,आयातित स्कॉच की उपभोक्ता कीमतों में कोई खास गिरावट आने की उम्मीद नहीं है क्योंकि शराब पर लगने वाले कर का बड़ा हिस्सा राज्यों के पास है। अगर पूरी शुल्क कटौती लागू भी कर दी जाए, तो भी इससे कीमतों में प्रति बोतल केवल ₹ 100-300 की कमी आएगी—जो नए खरीदारों को आकर्षित करने के लिए बहुत कम है। भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता ब्रिटेन के साथ परिधान व्यापार के एक नए युग की शुरुआत करेगा। यह समझौता बाज़ार पहुँच बढ़ाएगा, परिधान क्षेत्र में निवेश और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देगा, साथ ही दोनों पक्षों के व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए नए अवसर पैदा करेगा।यह किसी विकसित पश्चिमी अर्थव्यवस्था के साथ भारत का पहला बड़ा द्विपक्षीय व्यापार समझौता है, जो निर्यात बाजारों में विविधता लाने और निवेश आकर्षित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।इसके अलावा, भारत और ब्रिटेन ने दोहरे अंशदान समझौते (डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन) नामक एक सामाजिक सुरक्षा समझौते पर बातचीत पूरी कर ली है। इसके तहत, ब्रिटेन में भारतीय कामगारों और नियोक्ताओं को तीन साल तक सामाजिक सुरक्षा अंशदान से छूट मिलेगी, जिससे लगभग 75,000 भारतीय कामगारों को लाभ मिलने की उम्मीद है।इस समझौते से भारतीय पेशेवरों की गतिशीलता में भी सुधार होगा, जिससे 1,800 शेफ, योग प्रशिक्षक और शास्त्रीय संगीतकार अस्थायी रूप से ब्रिटेन में सेवाएं प्रदान कर सकेंगे। भारत-यूके एफटीए से भारतीय किसानों को यूके के 37.5 बिलियन डॉलर के कृषि बाजार तक तरजीही पहुंच मिलेगी, जबकि डेयरी, सब्जियां, सेब, खाना पकाने के तेल और जई जैसे संवेदनशील भारतीय क्षेत्रों की रक्षा होगी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत यूके सीईटीए मुनाफेवाली डील पक्की- इकोनॉमी को बूस्टर डोज- टैरिफ टेंशन के खिलाफ संजीवनी बूटी- आर्थिक भगोड़ों का प्रत्यारर्पण संभव?यूरोपीय संघ से बाहर निकालने के बाद ब्रिटेन का भारत के साथ पहला सबसे महत्वपूर्ण कारोबारी समझौता- 4 वर्षों की मेहनत रंग लाई भारत ब्रिटेन व्यापक आर्थिक व कारोबारी समझौता (सीईटीए) पक्का-द्विपक्षीय रिश्तो का विज़न डॉक्यूमेंट 2035 क़ा भी ऐतिहासिक करार
*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9226229318*