



बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी: पाकिस्तान की सेना के लिए बड़ा खतरा?
पाकिस्तानी अत्याचारों के खिलाफ बलूच विद्रोह की नई लहर!
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने एक बार फिर पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। हाल ही में गुडलार और पीरू कुनरी के पहाड़ी इलाकों में जाफर एक्सप्रेस पर हुए घातक हमले ने पूरी दुनिया का ध्यान इस संगठन की ओर खींचा है। 440 यात्रियों को बंधक बनाने और पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों को बेरहमी से मारने की घटना ने बलूचिस्तान में जारी स्वतंत्रता संग्राम को और भड़का दिया है।
बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई दशकों पुरानी है, लेकिन 2024 से इस संघर्ष में नए आयाम जुड़ गए हैं। बीएलए लगातार पाकिस्तानी सुरक्षा बलों, चीनी नागरिकों और सरकारी परियोजनाओं को निशाना बना रहा है। बीते एक साल में 18 से अधिक बड़े हमले इस संगठन ने अंजाम दिए हैं।
बलूचिस्तान के नागरिकों पर हो रहे जुल्म और पाकिस्तानी सेना के बर्बर अत्याचारों के कारण यह संगठन तेजी से बढ़ा है। बलूच लोगों के साथ हो रही हिंसा, जबरन गायब किए जाने की घटनाएं, बलात्कार और नौकरियों में भेदभाव ने बीएलए को मजबूत आधार दिया है। पाकिस्तान सरकार बलूचों के खिलाफ दमनकारी नीति अपनाए हुए है, जिससे यहां के लोग अब आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हो चुके हैं।
बीएलए का नेतृत्व वर्तमान में बशीर जेब कर रहा है, जो इसे रणनीतिक और संगठित तरीके से चला रहा है। 2006 में बलाच मर्री द्वारा पुनः स्थापित किए जाने के बाद यह संगठन लगातार विकसित हुआ और अब एक ताकतवर सैन्य शक्ति बन चुका है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) भी इस संघर्ष का एक प्रमुख कारण है, क्योंकि बलूच नागरिकों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट से उन्हें कोई फायदा नहीं बल्कि उनका दमन और बढ़ेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पाकिस्तानी सेना बलूचों के साथ अत्याचार जारी रखती है, तो बलूचिस्तान में एक और बांग्लादेश जैसी आजादी की लड़ाई देखने को मिल सकती है। ऐसे में आने वाले समय में पाकिस्तान के नक्शे में बड़ा बदलाव संभव है।