




पटना में आज से शुरू हुए दो-दिवसीय 85 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में ‘संविधान की 75वीं वर्षगांठः संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में संसद और राज्य विधायी निकायों का योगदान’ विषय पर उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने अपने विचार व्यक्त करते हुए यह बातें कही।
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने विधानसभाओं के संचालन के विस्तृत नियम नहीं बनाए थे, लेकिन संविधान ने पीठासीन अधिकारियों और विधानसभाओं को परिस्थितियों के अनुसार नियम बनाने और संशोधित करने के अधिकार दिए हैं। हम लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की बात तो करते हैं लेकिन अपने अधिकारों की बात नहीं कर पाते हैं।
श्री महाना ने कहा कि जब हम संविधान के अनुरूप ‘हम सब भारतीय’ की बात करते हैं, तो इसकी शुरुआत चुने हुए जनप्रतिनिधियों से होती है। इसलिए आजादी के 75 वर्ष बाद भी जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे संविधान के अनुरूप जनता के अधिकारों और प्रगति को सुनिश्चित करें।
श्री महाना ने कहा कि जनता ने हमें सदन में जनकल्याण, प्रगति, और संरक्षण के लिए भेजा है। जब हम अधिकारों की बात करते हैं तो उत्साहपूर्वक आगे आते हैं, लेकिन जिम्मेदारियों के मामले में पीछे रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि संविधान की रचना के समय तकनीक का अभाव था, लेकिन आज के तकनीकी युग में संविधान के मूल स्वरूप और आधुनिक तकनीक के बीच सामंजस्य बनाना अनिवार्य है।
श्री महाना ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों की जिम्मेदारी संविधान की मूल भावना को बनाए रखने और इसे जनकल्याण के लिए उपयोग करने की है। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान निर्माताओं ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के तहत देश के विकास की कल्पना की थी।
पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का विषय “संविधान की 75वीं वर्षगांठः संसद और राज्य विधानसभाओं का संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में योगदान” रखा गया है। यह तीसरी बार है जब बिहार इस महत्वपूर्ण सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
इससे पूर्व आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी ने 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव, अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी, बिहार सरकार के मंत्री और विधानमंडल के सदस्य उपस्थित थे।