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नई दिल्ली(BNE) अडानी ग्रुप के मालिक गौतम अडानी अक्सर सुर्ख़ियों में बने रहते है। उद्योग जगत में सुर्खियां बटोरना तो उनके लिए सकारत्मक है, लेकिन विपक्षी नेताओं द्वारा जो आरोप लगते है वह उनके लिए ठीक नहीं है। लेकिन अब बात देश के बाहर की है। इस बार ये मामला हिन्दुस्तान का नहीं बल्कि न्यूयॉर्क का हैं। इसे लेकर अमेरिकी कोर्ट में सुनवाई हुई और अडानी के खिलाफ अरेस्ट वारंट भी जारी किया गया है। जिसका सीधा असर कारोबार जगत में भी देखा जा रहा है। ऐसे में अडानी के लिए हालात मुश्किल नज़र आ रहे हैं।
यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी ऑफिस का दावा है कि अडानी ने भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा एक कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 2110 करोड़ रुपए की रिश्वत दी या देने की योजना बना रहे हैं और रिश्वत के इन पैसों को जुटाने के लिए अडानी ने अमेरिकी, विदेशी निवेशकों और बैंकों से झूठ बोला।
दरअसल यह पूरा मामला अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ है। अमेरिकी अटॉर्नी ऑफिस का आरोप है कि अडानी ग्रीन एनर्जी ने कॉन्ट्रैक्ट के तहत फंड देने के लिए अमेरिकी इन्वेस्टर्स और अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं से कुल 3 बिलियन डॉलर की रकम जुटाई। मामले में 24 अक्टूबर 2024 को ही यूएस कोर्ट में मुक़दमा दर्ज कर लिया गया। जिस पर सुनवाई के बाद गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर दिया गया है। सागर और विनीत अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारी हैं। इस खबर के आते ही गुरुवार को शेयर बाजार में कोहराम मच गया और गौतम अडानी की सभी कंपनियों के शेयर क्रैश हो गए। जिसे गौतम अडानी के लिए दोहरे झटके के रूप में देखा जा रहा है।
वहीं इसे लेकर कांग्रेस ने भी ट्वीट कर लिखा कि अजीब बात है…कांग्रेस लगातार अडानी और इससे जुड़े घपलों की जांच की बात कह रही है, लेकिन नरेंद्र मोदी पूरी ताकत से अडानी को बचाने में लगे हैं। वजह साफ है- अडानी की जांच होगी तो हर कड़ी नरेंद्र मोदी से जुड़ेगी।