यह कई प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजनन स्थल है
पैंगोंग झील: आज हम आपको भारत और तिब्बत में फैली पैंगोंग झील के बारे में बताने जा रहे है, जो सम्भवता आज से पहले आपने सुना और पढ़ा हो। इस झील की चर्चा देश ही नहीं ,अपितु विदेशों में फैली है। ये झील अपने आप में एक अजूबा है। खासियत ये है कि साल भर वर्फ से ढकी रहने वाली ये झील दिन में किए बार रंग भी बदलती है। इसलिए ये झील अपनी इस ख़ास विशेषता के कारण दुनिया भर में मशहूर है, और यहाँ हर वर्ष टूरिस्ट इसे देखने के लिए आते है। इस झील को दुनिया की सबसे बड़ी और अनोखी झील का तमगा मिला हुआ है। इस झील को पैंगोंग त्सो भी कहा जाता है।यह हिमालय क्षेत्र की एकमात्र झील है। समुद्र तल से करीब 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह झील करीब 135 किलोमीटर लंबी है। यह झील लगभग 604 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है।
अगर इस झील के पानी की बात करें तो इसका पानी इतना खारा है कि इसमें कोई मछली या कोई अन्य जलीय जीवन नहीं पाया जा सकता है। हालाँकि, यह कई प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजनन स्थल है। इस झील का औसत तापमान माइनस 18 डिग्री से माइनस 40 डिग्री के बीच रहता है। ऐसा माना जाता है कि पानी में आयरन की मौजूदगी के कारण यह झील दिन में कई बार अपना रंग बदलती है।
पैंगोंग झील की चौड़ाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह अपने सबसे चौड़े बिंदु पर भी छह किलोमीटर चौड़ी है। खारे पानी की इस झील की सबसे खास बात यह है कि यह सर्दियों में पूरी तरह जम जाती है, जिसके बाद आप इस पर गाड़ी चलाएं या आइस स्केटिंग करें या पोलो खेलें तो भी यह नहीं टूटती। हालाँकि, ऐसा करने के लिए आपको पहले विशेष अनुमति लेनी होगी। यह झील भारत के लद्दाख में 45 किमी और तिब्बत में 90 किमी तक फैली हुई है। माना जाता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LaC) इस झील के बीच से होकर गुजरती है। हालाँकि, इसके सटीक स्थान को लेकर अक्सर भ्रम रहता है।