अयोध्या-श्रीरामलला के प्रतिष्ठा द्वादशी समारोह के द्वितीय वार्षिकोत्सव में सम्मिलित हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
अयोध्या(BNE ) धार्मिक नगरी अयोध्या बुधवार को साल 2025 के अंतिम दिन एक ऐतिहासिक और गौरवशाली पल का साक्षी बना। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रभु श्रीरामलला के प्रतिष्ठा द्वादशी समारोह के द्वितीय वार्षिकोत्सव में सम्मिलित होने पहुंचे। इस पावन अवसर पर समूची अयोध्या राममय नजर आई और उत्सव का माहौल ऐसा था मानो त्रेतायुग जीवंत हो उठा हो। रक्षा मंत्री ने सबसे पहले हनुमानगढ़ी में बजरंगबली का आशीर्वाद लिया और फिर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के चरणों में शीश नवाया।
.कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण मां अन्नपूर्णा मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा की स्थापना रही, जिसे रक्षा मंत्री ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच संपन्न किया। इस गरिमामयी उपस्थिति ने न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया, बल्कि रक्षा मंत्री के संबोधन ने देश की सुरक्षा और संप्रभुता को लेकर एक कड़ा संदेश भी वैश्विक पटल पर प्रस्तुत किया। राजनाथ सिंह ने अपने उद्बोधन की शुरुआत अत्यंत भावुक होकर “नाथ आजु मैं कहा न पावा” की चौपाई से की और कहा कि आज उन्हें ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे जीवन की समस्त उपलब्धियां उन्हें प्राप्त हो गई हों। उन्होंने इस ऐतिहासिक अवसर के लिए स्वयं को राघवेंद्र सरकार द्वारा चुना हुआ बताते हुए इसे अपने जीवन का सबसे सौभाग्यशाली दिन करार दिया।
रक्षा मंत्री ने दो वर्ष पूर्व हुई रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को स्मरण करते हुए कहा कि वह क्षण केवल एक मंदिर का निर्माण नहीं था, बल्कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति की पुनर्प्रतिष्ठा थी। उन्होंने कहा कि आज अयोध्या की हर गली, हर चौराहा और सरयू का हर घाट राम की कीर्ति से विभूषित है। यह आभा केवल अवध तक सीमित नहीं है, बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष आज राम के आदर्शों में डूबा हुआ है। उन्होंने उन पीढ़ियों के बलिदान को याद किया जिन्होंने 500 वर्षों तक असहनीय अपमान और संघर्ष सहा लेकिन अपनी आस्था को कभी डिगने नहीं दिया।
राम मंदिर आंदोलन को दुनिया का सबसे बड़ा और ग्रैंड नैरेटिव बताते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि यह भूगोल और समय की सीमाओं से परे एक ऐसा अहिंसक संघर्ष था, जिसका उदाहरण विश्व इतिहास में कहीं और नहीं मिलता। उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि प्रभु राम का प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे देशों में भी लोग राम के आदर्शों से खुद को जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। अयोध्या के चहुंमुखी विकास पर चर्चा करते हुए उन्होंने आधुनिक हवाई अड्डे, सुदृढ़ रेल नेटवर्क और बेहतर रोड कनेक्टिविटी का जिक्र किया और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘डबल इंजन’ नेतृत्व की जमकर सराहना की।
रक्षा मंत्री के संबोधन का सबसे ओजस्वी हिस्सा वह था जब उन्होंने देश की सीमाओं की सुरक्षा और आतंकवाद के विरुद्ध भारतीय सेना के अदम्य साहस की चर्चा की। उन्होंने हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए पड़ोसी मुल्क और दुश्मन ताकतों को सख्त चेतावनी दी। राजनाथ सिंह ने बड़े ही गर्व के साथ कहा कि भारत अब वह पुराना देश नहीं रहा जो केवल हमले सहता था, बल्कि आज का नया भारत जरूरत पड़ने पर आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारने की क्षमता रखता है और उसने ऐसा करके दिखाया भी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस प्रकार प्रभु श्रीराम ने युद्ध के मैदान में मर्यादा का पालन करते हुए अधर्म का नाश किया था, उसी प्रकार भारतीय सेना ने भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अत्यंत सीमित, नियंत्रित और उद्देश्यपूर्ण कार्रवाई करते हुए आतंकियों के ठिकानों को उनके ही गढ़ में नष्ट किया। यह ‘ललकार’ साल के अंतिम दिन अयोध्या की शांतिपूर्ण भूमि से गूंजी, जिसने यह साफ कर दिया कि भारत की आध्यात्मिक शांति और उसकी सैन्य शक्ति एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
रक्षा मंत्री ने अपने भाषण में अयोध्या के साथ-साथ मां जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम में बन रहे भव्य मंदिर का भी उल्लेख किया और इसे सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया। उन्होंने कहा कि विकास की यह धारा केवल बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के खोए हुए सांस्कृतिक गौरव को वापस लाने का एक महायज्ञ है। सभा में मौजूद हजारों श्रद्धालुओं और विशिष्ट अतिथियों के बीच राजनाथ सिंह ने यह संकल्प दोहराया कि जब तक आकाश में सूर्य और चंद्रमा विद्यमान हैं, तब तक सनातन आस्था की यह धर्मध्वजा पूरी शान से लहराती रहेगी। उन्होंने प्रार्थना की कि प्रभु राम हम सबको कर्तव्य के मार्ग पर चलने की शक्ति प्रदान करें ताकि भारत एक परम वैभवशाली राष्ट्र के रूप में पुनः विश्व गुरु बन सके। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने साल 2026 के आगमन की पूर्व संध्या पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और एक सशक्त व सुरक्षित भारत का भरोसा दिलाया। अयोध्या से उठी यह सैन्य पराक्रम और आध्यात्मिक चेतना की गूँज निश्चित रूप से नए साल में पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।










