



पुणे-राहुल गांधी ने पुणे कोर्ट से लगाई गुहार-कहा मेरी जान को है खतरा ,सुरक्षा सुनिश्चित करें
राहुल ने सावरकर मानहानि केस को लेकर खतरा जताया है। उन्होंने कहा- मेरे खिलाफ मानहानि की शिकायत करने वाले नाथूराम गोडसे के वंशज हैं.
कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को करेगी
पुणे(BNE) कांग्रेस सांसद राहुल गाँधी ने पुणे की एक अदालत में बुधवार 13 अगस्त को अपनी जान को खतरा बताते हुए कहा कि उनकी सुरक्षा और केस की निष्पक्ष सुनवाई के लिए प्रिवेंटिव प्रोटेक्शन दी जाए. यह राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है. कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को करेगी.आपको बता दें कि राहुल ने सावरकर मानहानि केस को लेकर खतरा जताया है। उन्होंने कहा- मेरे खिलाफ मानहानि की शिकायत करने वाले नाथूराम गोडसे के वंशज हैं.
.
राहुल गांधी ने एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट से अपील की है कि उनकी सुरक्षा और केस की निष्पक्ष सुनवाई के लिए प्रिवेंटिव प्रोटेक्शन दी जाए. यह राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है. कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को करेगी.
राहुल गांधी ने कहा- महात्मा गांधी की हत्या एक सोची-समझी साजिश थी और ऐसे पारिवारिक इतिहास को देखते हुए उन्हें नुकसान पहुंचने या गलत तरीके से फंसाए जाने का खतरा है. उन्होंने हाल के अपने राजनीतिक बयानों का भी जिक्र किया, जैसे संसद में 11 अगस्त को वोट चोर कुर्सी छोड़ का नारा और चुनावी गड़बडिय़ों के दस्तावेज पेश करना, जिससे राजनीतिक विरोधियों की नाराजगी बढ़ी है. राहुल ने यह भी कहा था कि सच्चा हिंदू कभी हिंसक नहीं होता, नफरत नहीं फैलाता. बीजेपी नफरत और हिंसा फैलाती है. इस बयान के बाद बीजेपी नेताओं ने उन पर हिंदू समुदाय का अपमान करने का आरोप लगाया.
लंदन में कहा था- सावरकर ने मुस्लिम को पीटा था
मार्च 2023 में राहुल गांधी ने लंदन में एक भाषण में दावा किया था कि वीडी सावरकर ने एक किताब में लिखा था कि उन्होंने और उनके पांच से छह दोस्तों ने एक बार एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी, और उन्हें इससे खुशी हुई थी. इस भाषण का हवाला देते हुए सत्यकी सावरकर ने गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया है.
इसी मामले में 3 जुलाई को पुणे एमपी-एमएलए कोर्ट ने सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी से वह पुस्तक दिखाने की मांग की थी, जिसमें उन्होंने सावरकर के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी की थी. जस्टिस अमोल शिंदे ने कहा कि कांग्रेस नेता को पुस्तक पेश करने के लिए विवश नहीं किया जा सकता.