



MAHAKUMBH 2025:घर बैठे कीजिये महाकुंभ में डिजिटल स्नान ,सुविधा शुल्क मात्र 1100 रूपये
डिजिटल स्नान पर छिड़ी बहस ,लोगों के ये रहे कमेंट
इस नई सेवा के पीछे की सच्चाई और धार्मिक महत्व पर मंथन जरूरी है ताकि आस्था और व्यवसाय के बीच संतुलन बना रहे.
प्रयागराज (BNE )यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वजह से इस बार का MAHAKUMBH 2025 कई मायनों में अद्भुत रहा। महाकुम्भ का अंतिम स्नान 26 फरवरी महाशिवरात्रि को है। अभी भी महाकुम्भ में रोजाना लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करके मोक्ष की कामना कर पुण्य कमा रहे है। लेकिन अभी ऐसे भक्तो की संख्या लाखों में होगी ,जो कुम्भ स्नान करना तो चाहते है, लेकिन भीड़, लंबी दूरी और टिकटों की मारामारी के चलते वह प्रयागराज नहीं पहुंच पा रहे है। इसी समस्या को देखते हुए एक व्यक्ति ने कुम्भ में पहुंचे बिना ही डिजिटल स्नान कराने की मुहीम छेड़ी है। डिजिटल स्नान करने के लिए आपको मात्र 1100 रूपये की सुविधा शुल्क देना होगा।
क्या है डिजिटल स्नान?
वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि इस सेवा के तहत श्रद्धालु अपनी पासपोर्ट साइज तस्वीर व्हाट्सएप पर भेजते हैं. फिर सेवा प्रदाता उन तस्वीरों को प्रिंट निकालकर संगम में प्रतीकात्मक रूप से स्नान कराता है. इस अनोखी पेशकश के लिए 1100 रुपये का शुल्क लिया जाता है.
यह वीडियो इंस्टाग्राम हैंडल @echo_vibes2 से 19 फरवरी को पोस्ट किया गया, जिसमें दीपक गोयल नामक व्यक्ति इस सेवा का प्रचार करते नजर आ रहे हैं. वीडियो में दीपक गोयल दावा कर रहे हैं कि उनकी सेवा से हजारों लोग लाभान्वित हो चुके हैं.
डिजिटल स्नान पर छिड़ी बहस ,लोगों के ये रहे कमेंट
वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई. कई लोगों ने इसे आस्था से जुड़ी भावनाओं का अपमान बताया, जबकि कुछ इसे आधुनिक तकनीक का प्रयोग मान रहे हैं. एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “सनातन धर्म का मज़ाक बनाया जा रहा है, क्या सच में ऐसा करने से स्नान का पुण्य मिलेगा?” वहीं, कई लोगों ने इसे व्यावसायिक अवसर बताया, जहां भावनाओं के नाम पर पैसे कमाने की कोशिश की जा रही है.
₹500 में गंगा स्नान का दावा!
सोशल मीडिया पर एक और पोस्टर वायरल हो रहा है, जिसमें 500 रुपये में डिजिटल गंगा स्नान का दावा किया जा रहा है. इसमें कहा गया है कि श्रद्धालु अपनी फोटो भेजें और उनकी फोटो की फोटोकॉपी गंगा में प्रवाहित कर दी जाएगी, जिससे पुण्य प्राप्त होगा.
धार्मिक और कानूनी पहलू
धार्मिक गुरुओं का कहना है कि असली स्नान का महत्व तभी है जब व्यक्ति स्वयं गंगा में डुबकी लगाए. डिजिटल माध्यम से स्नान करवाने का कोई धार्मिक आधार नहीं है. वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह सेवा ठगी का नया तरीका हो सकती है और प्रशासन को इस पर जांच करनी चाहिए.
महाकुंभ में ‘डिजिटल स्नान’ जैसी सेवाएं धार्मिक भावनाओं का दोहन कर रही हैं या यह आधुनिक युग का अनूठा समाधान है? यह सवाल हर किसी के मन में है. इस नई सेवा के पीछे की सच्चाई और धार्मिक महत्व पर मंथन जरूरी है ताकि आस्था और व्यवसाय के बीच संतुलन बना रहे.