कन्नौज: तीसरे दिन भी लगातार जारी रही इत्र कारोबारी के यहां छापामारी, अटकलें तेज़
बृजेश चतुर्वेदी
कन्नौज(BNE) प्रसिद्ध इत्र कारोबारी के यहां आयकर विभाग और जीएसटी की संयुक्त टीम की छापेमारी लगातार तीसरे दिन भी जारी है। टीम के अधिकारी दिन-रात पत्रावलियों की जांच, नकदी और संपत्ति का मिलान कर रहे हैं। कार्रवाई के दौरान कारोबारी और उनके परिवार के सदस्यों का किसी रिश्तेदार या करीबी से संपर्क नहीं हो पा रहा है, जिससे परिजन चिंतित हैं।
जांच में शामिल आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कार्रवाई के बारे में कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जांच पूरी होने के बाद ही आधिकारिक जानकारी साझा की जाएगी। इस बीच, कन्नौज के अन्य इत्र व्यवसायी चन्द्रवली एंड संस फर्म के कर्मचारियों से संपर्क कर कार्रवाई की जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।
अटकलें लगा रहे लोग
छापेमारी को लेकर किसी के पास भी सटीक जानकारी नहीं होने के कारण शहर में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों की गाड़ियों का आना-जाना लगातार जारी है, जो इस बात का संकेत है कि जांच अभी और समय तक चल सकती है। सरायमीरा-कन्नौज रोड स्थित अशोक नगर में चंद्रवली एंड संस नाम से इत्र की फर्म है। एक ही कैंपस में 6 भाइयों सुबोध दीक्षित, अतुल, मनोज, विपिन, राम, श्याम का घर और कारखाना है।
सुबोध और उनके भाइयों के खिलाफ इनकम टैक्स विभाग को गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। यहां बुधवार सुबह करीब 7 बजे प्रवर्तन निदेशालय, आईटी और जीएसटी की टीम पहुंची। इसके बाद टीम ने कार्रवाई की। फिलहाल, अधिकारियों ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है। एक साल पहले भी उनके यहां जीएसटी की टीम ने छापामारी की थी हालांकि उस वक्त कोई बड़ी गड़बड़ी सामने नहीं आई थी।
इत्र फर्म चंद्रवली एंड संस की कहानी तीन पीढ़ी पुरानी है। इसकी शुरुआत ठठिया थाना क्षेत्र के होलेपुर गांव निवासी किसान के बेटे पंडित चंद्रवली ने की थी। उन्होंने कड़ी मेहनत के बलबूते कन्नौज के बड़े इत्र कारोबारियों से प्रतिस्पर्धा की और खुद का नाम कन्नौज के गिने-चुने इत्र कारोबारियों में शुमार कराया। इसके बाद उनके बेटे वीरेंद्र दीक्षित ने पिता की विरासत को संभाला और कई गुना ज्यादा कारोबार बढ़ा दिया।
मनोज दीक्षित ने छिबरामऊ से लड़ा था चुनाव
तीसरी पीढ़ी में वीरेंद्र दीक्षित के 6 बेटे सुबोध दीक्षित, अतुल दीक्षित, मनोज दीक्षित, विपिन दीक्षित, राम दीक्षित और श्याम दीक्षित ने व्यापार को आगे बढ़ाया हालांकि तीसरी
पीढ़ी कारोबार के साथ ही साथ राजनीति में भी सक्रिय रही। मनोज दीक्षित ने राजनीति में किस्मत आजमाने के लिए राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के टिकट पर छिबरामऊ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा हालांकि वह हार गए।
पूर्व सांसद सुब्रत पर दिया था विवादित बयान
हार के बाद मनोज दीक्षित ने समाजवादी पार्टी का दामन पकड़ लिया। वह अखिलेश यादव के करीबियों में गिने जाने लगे। समाजवादी पार्टी ने उन्हें प्रदेश सचिव का पद दे दिया। जिसके बाद से वह लगातार सपा में सक्रिय हैं। 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान मनोज दीक्षित ने कन्नौज में अखिलेश यादव के मंच से भाजपा सांसद सुब्रत पाठक पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने भाजपा सांसद के टुकड़े-टुकड़े कराने की बात मंच से कही थी।
राजनीतिक रसूख रखता है परिवार
मनोज के भाई सुबोध के परिवार के सभी राजनीतिक पार्टियों से अच्छे संबंध हैं। उनके एक भाई विपिन समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण के करीबी हैं। इसके अलावा, राम दीक्षित के भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक से अच्छे संबंध हैं।
सुबोध दीक्षित की पत्नी उमा दीक्षित ने पिछले साल कन्नौज नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था। उमा ने भाजपा की ओर से दावेदारी पेश की थी। हालांकि, उन्हें बसपा प्रत्याशी कौसरजहां अंसारी ने हरा दिया था।