



श्रीराधा और श्रीकृष्ण की कथा से जुड़ी दिव्य लीलाएं, जानें ब्रज की खास परंपरा
बरसाना का विश्व प्रसिद्ध मंदिर
बरसाना की पहाड़ी पर स्थित राधारानी का मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम की गाथा का प्रतीक भी है। यहां की लट्ठमार होली अपनी अनूठी परंपरा के लिए विश्वभर में जानी जाती है।
श्रीराधा का दिव्य जन्म और महिमा
पद्म पुराण के अनुसार, राजा वृषभानु ने यज्ञ भूमि साफ करते समय राधा को भूमि कन्या के रूप में पाया था। ब्रह्माजी के वरदान से राधा उनके घर पुत्री रूप में प्रकट हुईं। भाद्र शुक्ल अष्टमी के दिन राधा का जन्म हुआ, और उनकी दिव्यता ने सभी को मोहित कर दिया।
श्रीकृष्ण और राधा का अद्वितीय संबंध
कहा जाता है कि श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी लक्ष्मी जी ने राधा रूप में अवतार लिया। देवर्षि नारद को राधा के दिव्य स्वरूप का दर्शन तब हुआ, जब उन्होंने श्रीकृष्ण का वंदन किया। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा कि बिना राधा की कृपा के कोई उनके प्रेम का अनुभव नहीं कर सकता।
प्रेम और मोक्ष की प्रतीक श्रीराधा
श्रीराधा और श्रीकृष्ण अभेद माने गए हैं। उनकी कृपा से ही प्रेम और मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। बरसाना का यह मंदिर, राधा-कृष्ण के प्रेम और शक्ति का अद्वितीय स्थान है, जहां भक्त उनकी दिव्य लीलाओं का अनुभव कर सकते हैं।
राधारानी का मंदिर न केवल आस्था, बल्कि भारतीय संस्कृति और प्रेम की परंपरा का गौरव है। यहां हर भक्त श्रीराधा की कृपा और श्रीकृष्ण के दिव्य प्रेम का अनुभव कर सकता है।