लखनऊ, (BNE), बांग्लादेश में हिंदू समुदाय का 90 प्रतिशत हिस्सा दलित समाज से है, जो वर्तमान में गंभीर संकट का सामना कर रहा है। वी.वी.आई.पी. गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में विधान परिषद सदस्य और डॉ. आंबेडकर महासभा ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने इस ज्वलंत मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की।
डॉ. निर्मल ने कहा कि विभाजन के समय बंगाल के प्रमुख दलित नेता योगेंद्र नाथ मंडल, डॉ. आंबेडकर के समकालीन थे, जो मुस्लिम लीग के प्रभाव में पूर्वी पाकिस्तान चले गए। वहां वे कानून मंत्री बने, लेकिन जल्द ही उन्हें दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और जनसंहार का सामना करना पड़ा। लाखों दलितों की हत्या और महिलाओं के साथ बलात्कार के बाद उनका मोहभंग हो गया। अंततः 8 अक्टूबर, 1950 को उन्होंने पाकिस्तान से भागकर भारत की शरण ली और अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
डॉ. निर्मल ने बताया कि मंडल के भारत लौटने के बाद पूर्वी पाकिस्तान में दलितों पर बड़े पैमाने पर अत्याचार हुए। 1971 में भी लाखों दलित मारे गए। बंटवारे के समय पूर्वी पाकिस्तान में दलितों की आबादी 28 प्रतिशत थी, जो अब घटकर मात्र 6 प्रतिशत रह गई है।
उन्होंने चेताया कि वर्तमान में बांग्लादेश के हिंदू दलित, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। वहां हत्याएं, मकानों को जलाने की घटनाएं और महिलाओं के साथ दुव्र्यवहार लगातार बढ़ रहा है। हालात इतने खराब हैं कि कभी भी बड़ा नरसंहार हो सकता है।
डॉ. निर्मल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तुरंत हस्तक्षेप की अपील की है। उन्होंने कहा कि भारत को बांग्लादेश में हिंदुओं, दलितों और बौद्धों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि आपातकालीन स्थिति में इन पीड़ित समुदायों को भारत में शरण देने पर विचार किया जाना चाहिए।
दलितों की ओर से डा. निर्मल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 5 सूत्रीय मांग पत्र प्रेषित किया है:-
1. हम मांग करते है कि भारत सरकार तत्काल बांग्लादेश से उच्च स्तरीय कूटनीतिक वार्ता कर हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
2. बांग्लादेश में मानवाधिकार संगठनों को स्वतंत्रता से जाॅच करने की अनुमति के लिए दबाव डाले।
3. संयुक्त राष्ट्र और अन्य अन्तर्राष्ट्रीय मंचो पर इस मुद्दे को उठाकर बांग्लादेश को जिम्मेदार ठहराया जाय।
4. भारत हिन्दुओं व विशेष रूप से दलित समाज के लिए एक सहयोग मंच का गठन करे ताकि बांग्लादेशी हिन्दुओं की मदद के लिए संसाधन जुटाए जा सके।
5. आपात स्थिति में सीधे हस्तक्षेप कर कठोर कार्यवाही की जाय।
हम सभी राजनैतिक दलों संगठनों और समाज के हर वर्ग से अपील करते है कि इस मानवाधिकार के मुद्दे पर एक जुट होकर आवाज उठाएं।