LUCKNOW (BNE) दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत निगम के निजीकरण के विरोध में क्रांतिकारी किसान यूनियन ने राज्य भर में विरोध-प्रदर्शनों में शामिल होने का निर्णय लिया।
यूनियन की राज्य इकाई की आनलाइन बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. दर्शन पाल ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन से संयुक्त किसान मोर्चा ने बिजली के निजीकरण का विरोध किया। अभी हाल में उस आंदोलन के चार साल पूरे होने पर देश भर में चेतावनी रैलियां करके राष्ट्रपति को ज्ञापन भी सौंपा गया। ज्ञापन में लोकसभा में पेश संशोधित बिजली बिल की वापसी की मांग प्रमुख रही।
अब घाटे के नाम बिजली को निजी हाथों में सौंपने का काम चोर दरवाजे से यूपी में किया जा रहा है। बिजली के निजी हाथों में जाने पर करीब डेढ़ बिजली कर्मचारियों की नौकरी चली जाएगी, किसानों को सिंचाई के लिए मिलने वाली मुक्त बिजली योजना पर संकट छा जाएगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि संयुक्त किसान मोर्चा की राज्य इकाई के आह्वान पर 4 दिसंबर सभी जिला मुख्यालयों पर यूनियन के सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ता बढ़-चढ़कर भागीदारी करेंगें। साथ ही बिजली कर्मचारियों के निजीकरण के विरोध में आंदोलन में पूरा समर्थन किया जाएगा। राष्ट्रीय महासचिव शशिकांत अलीगढ़ ने बताया कि राज्य के सभी जिलों में गांव-कस्बों में स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। इन स्मार्ट मीटरों का पंजाब, महाराष्ट्र, उड़ीसा समेत पूरे देश में काफी विरोध जारी है। अकेले उड़ीसा में 15 हजार से अधिक स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं ने उखाड़ दिए। उन्होंने यूपी में स्मार्ट मीटर लगाने का आमजन से विरोध करने की अपील की। बैठक में इनके अलावा राष्ट्रीय संयुक्त सचिव बलवंत यादव, प्रदेश अध्यक्ष रामनयन यादव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नगेन्द्र चौधरी, उपाध्यक्ष रामरतन, उपेंद्र कुमार, कोषाध्यक्ष एकादशी यादव, गरीब राजभर, सुरेश चन्द्र गांधी, अनिल प्रधान, अजय लोधी, दिनेश कुमार, मोहम्मद हफीज आदि शामिल रहे।