



महाकुंभ में अव्यवस्था और श्रद्धालुओं की मौत के लिए सीधे भाजपा योगी आदित्यनाथ सरकार जिम्मेदार : आलोक शर्मा, राष्ट्रीय प्रवक्ता ,कांग्रेस
गैर जिम्मेदाराना बयान देने वाले अधिकारियों पर कब कार्रवाई करेंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी :: आलोक शर्मा, राष्ट्रीय प्रवक्ता ,कांग्रेस
भाजपा सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए श्रद्धालुओं की मौत का आंकड़ा और उनकी पहचान – नाम छुपा रही :: आलोक शर्मा, राष्ट्रीय प्रवक्ता,कांग्रेस
लखनऊ(BNE)भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने आज उत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय ” नेहरू भवन” पर प्रेस कांफ्रेंस करके भारतीय जनता पार्टी सरकार को कटघरे में खड़ा किया और प्रयागराज महाकुंभ में हुई अव्यवस्थाओं की वजह से मची भगदड़ जिससे हजारों श्रद्धालुओं की जान चली गई उसको लेकर भाजपा सरकार को घेरा और सवाल उठाए, प्रदेश मुख्यालय पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा के साथ वाइस चेयरमैन मनीष हिंदवी ,प्रवक्ता अंशू अवस्थी, उमाशंकर पांडे, सचिन रावत, शिवेंद्र चौहान उपस्थित रहे ।
राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने भाजपा सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि आखिर जो अधिकारी विवादास्पद रहे, जिनके चलते अव्यवस्था फैली, महाकुंभ के नाम पर आवंटित बजट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और अभी वह अधिकारी गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं, उन पर कारवाई कब होगी ? जो लोग श्रद्धालुओं की महाकुंभ में हुई दुखद मौत पर दुःख न जताकर मोछ बताकर मजाक उड़ा रहे हैं उन पर कारवाई कब होगी ? भ्रष्टाचार के नाम पर बजट का बंदरबांट हुआ, उसकी जिम्मेदारी किसकी है ? योगी आदित्यनाथ सरकार इन सवालों से भाग नही सकती।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने कहा कि महाकुंभ जो की सनातन धर्म का सबसे बड़ा संगम है जहां पर पूरे देश से और विश्व से श्रद्धालु आस्था के साथ आते हैं, महाकुंभ का आयोजन सदियों से होता चला आया है और जब भी किसकी सरकारें रहीं तो उन्होंने उसे आयोजन को सफल बनाने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाई , इस महाकुंभ में हम शुरुआत से सुन रहे थे, सरकार की तरफ से बार बार दिव्य और भव्य की बात कही जाती रही, हम भी चाहते हैं खूब भव्य और दिव्य हो , लेकिन महाकुंभ में जिस तरीके से अव्यवस्था फैली और उसका कारण गैर जिम्मेदार लोग जिनके हाथों में सरकार में संचालन की बागडोर सौंपी,उनकी वजह से और उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के संरक्षण की वजह से हजारों श्रद्धालु इस भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए, काल से गाल में समा गए, योगी आदित्यनाथ जी की भाजपा सरकार तो अभी भी वह आंकड़ा 30 बता रही है लेकिन वह आंकड़ा हजारों में है इसीलिए सरकार संख्या और आंकड़ा छिपाने के साथ श्रद्धालुओं की पहचान के बारे में अभी भी चुप्पी साध रखी है ।
राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार की शुरुआत उसी समय से शुरू हो गई थी जब बजट के नाम पर सरकार ने खूब हल्ला मचाया ,लेकिन वह बजट जिसका प्रयोग श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए, उनकी सुगम यात्रा, उनके पुण्य स्नान के आयोजन में खर्च होना था उसमें भ्रष्टाचार की दीमक लग गई और ये काम उन्हीं अधिकारियों ने किया जिन्हें सरकार ने जिम्मेदारी दी, जिसकी वजह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को तैयारी की अंतिम तिथि को चार बार बढ़ाना पड़ा , कारण साफ और एकदम स्पष्ट है कि जो भी लोग परंपरागत रूप से महाकुंभ में काम करते चले आ रहे थे उनकी बजाय अनुभवहीन गुजरात के लोगों की कंपनियों को काम दिए गए और उन गुजरात की कंपनियों ने काम को कम दाम पर उन्हीं परंपरागत स्थानीय लोगों को पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर दिया , यही गुजरात मॉडल है जहां पर धर्म के नाम पर सनातन की आड़ में पैसे का बंदर बांट किया जाता है , दूसरा सबसे बड़ा कारण जिन अधिकारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई जो पहले भी मेला अधिकारी रहे थे विजय किरन आनंद, वैभव कृष्ण उन सभी विवादास्पद अधिकारियों को जिनका विवादों से नाता रहा है, भ्रष्टाचार से नाता रहा है, उन सब को सनातन धर्म के इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्रयागराज के महाकुंभ में जिम्मेदारी को लगाया गया, जिनके वाराणसी में भगदड़ मची 29 श्रद्धालुओं की जान गई , पिछले कुंभ के दौरान किए गए खर्चों पर कैग की रिपोर्ट में सवाल खड़े हुए, आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि उन लोगों को फिर से जिनका कोई भी भीड़ के नियंत्रण का प्रबंधन का अनुभव नहीं था उन्हें सरकार ने जिम्मेदारी सौंपी ?
आलोक शर्मा ने कहा यह सरकार सिर्फ और सिर्फ तथ्यों को और आंकड़ों को छुपाती है, आप लोगों को याद होगा गुजरात के मोरबी में पुल गिरा सैकड़ों लोगों की जान चली गई , सरकार भ्रष्टाचारियों को बचाती रही , और अपराधी जमानत पर विदेश भाग गए , महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ हुई , हजारों श्रद्धालु की मौत के आंकड़ों को सरकार छुपाती रही , मीडिया कर्मियों से अधिकारियों ने बदसलूकी भी की क्योंकि वह सच दिखाना चाहते थे, उसके बाद दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मची तमाम लोगों की जान गई सरकार ने वह गिनती सिर्फ 18 बताया , हर बार अपनी नाकामियों को पर पर्दा डाल-डाल कर आप काम चलाते रहेंगे, कभी सुधरने का नाम नहीं लेंगे , यह कैसे लोग हैं ? कौन से धर्म का पालन कर रहे हैं ? सनातन धर्म तो यह नहीं सिखाता ।
आलोक शर्मा ने कहा महाकुंभ के लिए इतने बड़े बजट की बात की गई लेकिन पानी की क्या गुणवत्ता थी आज श्रद्धालुओं से पूछ लीजिए, भीषण जाम, 20-20 किलोमीटर पैदल , दो-दो दिन लोग अपनी गाड़ियों में बैठे रहे, महिलाओं के वीडियो बनाकर बेचे जाते रहे, कहां व्यवस्थाएं थी ? और तो और अहंकार में चूर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी जिन श्रद्धालुओं की मौत हुई, जो लापता थे, उनके परिजनों अपनों को ढूंढ रहे थे उन्हें गिद्ध और सूअर की संज्ञा देते रहे , इससे ज्यादा दुखद नहीं हो सकता । टेंट का काम गुजरात की कंपनियों को दे दिया गया, हाथरस में भगदड़ से सैकड़ों लोगों की जान गई , सरकार तब भी आंकड़े छुपाती रही,और अब डीजीपी महोदय कह रहे हैं की घटना हुई ही नहीं
आलोक शर्मा ने कहा कि हमारे चार सवाल हैं जिनके जवाब सनातन धर्म के महान कार्यक्रम महाकुंभ में आए श्रद्धालु मांग रहे हैं और कांग्रेस पार्टी मांग रही है कि भ्रष्टाचारी, विवादास्पद अधिकारियों को जिम्मेदारी क्यों दी गई उनके फेल प्रबंधन पर उन पर कार्रवाई कब होगी ? जो महाकुंभ के बजट में भ्रष्टाचार के दोषी हैं उन पर कारवाई कब होगी ? सरकार श्रद्धालुओं की मौत का आंकड़ा और उनकी पहचान क्यों छुपा रही है ? और अगर वाहवाही सरकार लेगी तो श्रद्धालुओं की मौत की जिम्मेदारी और नाकामी भी सरकार की है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी कब अपनी अव्यवस्था की नाकामी मानेंगे ?